November 23, 2024

छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को आगे बढ़ाने में साहित्यकारों एवं भाषाविदों का महत्वपूर्ण योगदान: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

0

छत्तीसगढ़ी साहित्यकार एवं भाषाविद् हुए सम्मानित

रायपुर, 28 नवम्बर 2021/ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ी साहित्यकारों एवं भाषाविदों के सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति, हमारी अस्मिता और पहचान है। छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के पीछे अपनी इसी अस्मिता और पहचान को बनाए रखने की ललक थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते तीन सालांे में छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति और भाषा को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है, इसमें छत्तीसगढ़ी साहित्यकारों और भाषाविदों का महत्वपूर्ण योगदान है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ी राजभाषा के 19 साहित्यकारों-भाषाविदों को राज गमछा और प्रशस्ति पत्र भेंटकर सम्मानित किया और उन्हें बधाई व शुभकामनाएं दी। सम्मान समारोह की अध्यक्षता संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत ने की।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य निर्माण के बाद भी छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को बचाएं रखने के लिए जैसा काम होना चाहिए था, वैसा काम नहीं हो पाया था। छत्तीसगढ़ी राजभाषा जरूर बन गई, लेकिन छत्तीसगढ़ी बोलने और लिखने को लेकर हिचक दूर नहीं हुई थी। बीते तीन सालों में स्थिति बदली है, अब मंत्रालय से लेकर बड़े-बड़े प्रतिष्ठानों एवं सार्वजनिक कार्यक्रमों में छत्तीसगढ़ी बोली जाने लगी है। वर्ष 2019 में अरपा-पैरी के धार… हमारा राजगीत बना। स्कूलों में अब छत्तीसगढ़ी एवं स्थानीय बोलियों में पढ़ाई शुरू हो चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति के गौरव को पुनः स्थापित करने का काम किया है। छत्तीसगढ़ के तीज त्यौहारों पर अवकाश देकर हमनें लोगों में छत्तीसगढ़ी संस्कृति को लेकर आत्म गौरव को जगाया है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को इस मौके पर साहित्यकारों एवं भाषाविदों ने महात्मा फुले समता पुरस्कार से सम्मानित होने की गौरवपूर्ण उपलब्धि के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें मिला महात्मा फुले समता पुरस्कार वास्तव में छत्तीसगढ़ का सम्मान है। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर महात्मा ज्योतिबा फुले के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने समाज के वंचितों, पीड़ितो और तिरस्कृत लोगों को जीवन की राह दिखाई और उन्हें समाज में सम्मान दिलाया। महात्मा फुले आजीवन समाज में समानता की स्थापना के लिए कार्य किये। वह महान समाज सुधारक थे। ऐसे महापुरूष के नाम पर उन्हें सम्मान मिलना, छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात है।
संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत ने इस अवसर पर कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ एवं छत्तीसगढ़िया लोगों के स्वाभिमान को जगाया है। हमारी भाषा, संस्कृति एवं परम्परा को मुख्यमंत्री के प्रयासों से एक नई पहचान मिली है। उन्होंने राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का उल्लेख किया और कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर छत्तीसगढ़ की फिल्म नीति बनी है। कलाकारों को आगे बढ़ाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत छत्तीसगढ़ी फिल्मांे के लिए क्रमशः एक करोड़ और 5 करोड़ रूपए के पुरस्कार का प्रावधान किया गया है। संस्कृति विभाग के सचिव श्री अन्बलगन पी. ने कहा कि आज राजभाषा दिवस के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें छत्तीसगढ़ी भाषा को आगे बढ़ाने के संबंध में साहित्यकारों एवं भाषाविदों ने गहन विचार-विमर्श किये।
इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. बिहारी लाल साहू, श्री हर प्रसाद निडर, डॉ. अनुसुईया अग्रवाल, डॉ. सुरेश देशमुख, श्री पुनूराम साहू, श्री अरूण निगम, डॉ. कुसुम माधुरी टोप्पो, श्री गिरवरदास मानिकपुरी, श्री रमेश विश्वहार, श्री बंधु राजेश्वर खरे, श्री श्याम वर्मा, श्री गुलाल वर्मा, डॉ. दीनदयाल साहू , श्री संदीप अखिल, श्री नवीन देवांगन ,सुश्री लता राठौर, डॉ. सुधीर पाठक, सुश्री जयमति कश्यप और श्रीमती तृप्ति सोनी को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार श्री विजय मिश्रा ने किया । इस अवसर पर संचालक संस्कृति एवं पुरातत्व श्री विवेक आचार्य, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सचिव श्री अनिल भतपहरी सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *