सेंट्रल पुल में उसना चावल नही लेने के फैसले के समर्थन में खड़ी है भाजपा
रायपुर। सेंट्रल पूल में उसना चावल नहीं लेने के फैसले पर मौन भाजपा पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा के नेता स्पष्ट करें कि वो सेंट्रल पूल में उसना चावल नहीं लेने के फैसले के समर्थन में खड़े हैं कि विरोध में सेंट्रल पुल में उसना चावल नहीं लेने के फैसले के खिलाफ छत्तीसगढ़ की कांग्रेस पार्टी ढाई करोड़ जनता किसान मिलर्स और मजदूर खड़े हुए हैं और लगातार मांग कर रहे हैं कि पूर्व की तरह ही छत्तीसगढ़ से अरवा और उसना चावल लिया जाए। लेकिन भाजपा अब तक मोदी सरकार के इस दुर्भाग्यपूर्ण किसान विरोधी निर्णय पर मौन है।
केंद्र में बैठी आरएसएस भाजपा मोदी की सरकार खरीफ वर्ष में छत्तीसगढ़ के धान खरीदी में नियम शर्ते लगाकर बाधा उत्पन्न कर किसानों को आर्थिक रूप से कमजोर करने की कोशिश कर रही है। बीते खरीफ वर्ष में भी सेंट्रल पूल में 60 लाख मैट्रिक टन चावल लेने की सैद्धांतिक सहमति देने के बाद मात्र 24 लाख मैट्रिक टन चावल लेने की अनुमति प्रदान की गई थी जो छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ धोखा है। सेंट्रल पुल में चांवल लेने में शर्तें लगाई कि छत्तीसगढ़ के किसानों को समर्थन मूल्य के अलावा एक रुपए भी अतिरिक्त दिया जाएगा तो छत्तीसगढ़ से सेंट्रल पूल में चावल नहीं लिया जाएगा। मोदी भाजपा की सरकार छत्तीसगढ़ के किसानों को आर्थिक रुप से कमजोर असहाय बनाने की कोशिश कर रही है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और भाजपा के 9 सांसदों से पूछा कि सेंट्रल पूल में पूर्व की तरह ही छत्तीसगढ़ से उसना चावल लेने की मांग को लेकर कब प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे। केंद्र सरकार लगातार छत्तीसगढ़ के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार कर रही है। किसान सम्मान निधि देने में भी छत्तीसगढ़ के साथ अन्याय हुआ है। छत्तीसगढ़ के 53000 किसानों से सम्मान निधि की राशि वापस मांगी जा रही है। छत्तीसगढ़ में किसानों के नाम से राजनीति करने वाले भाजपा के नेता मोदी सरकार के इस किसान विरोधी कृत्य पर मौन क्यों है? उन्हें किसानों की अगर वास्तविक में भलाई चाहते हैं और रमन सरकार के दौरान हुई किसानों के साथ अन्याय का प्रायश्चित करना चाहते हैं तो उन्हें मोदी सरकार के किसान विरोधी नीतियों का खुलकर विरोध करना चाहिए। छत्तीसगढ़ की जनता भाजपा नेताओं के एवं उनके सांसदों के किसान विरोधी चरित्र से खफा है।