November 22, 2024

दिव्यांग रामनंदन को क्षमता अनुरूप मनरेगा से मिला निरंतर रोजगार

0

अन्य ग्रामीणों को जागरुक करने में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
रायपुर, 17 सितम्बर, 2021/राज्य सरकार की हर व्यक्ति को काम मिले की अवधारणा को दिव्यांग रामनंदन ने सार्थक कर दिखाया है। दिव्यांग रामनंदन को क्षमता के अनुरूप मनरेगा से वर्ष 2015 से निरंतर काम मिल रहा है। इससे वे न केवल परिवार का भरण-पोषण कर पा रहे हैं बल्कि उनके दो बच्चों को भी पढ़ाने-लिखाने में भी मदद मिल रहा है। गौरतलब है कि जहां ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों के लिए शहर आकर काम करना किसी चुनौती से कम नहीं होता और शहर में हर किसी को काम मिले, इसकी कोई गारण्टी भी नहीं होती, वहीं स्थानीय स्तर पर मनरेगा से काम मिलना दिव्यांग रामनंदन के लिए कल्पना से कम नहीं है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ने ग्रामीणों की इस बड़ी चुनौती को स्थानीय स्तर पर ही 100-दिनों के रोजगार की गारण्टी देकर काफी हद तक हल किया है। दूसरी तरफ योजना के तहत होने वाले कार्यों में भी अर्द्धकुशल एवं कुशल श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है। इससे समाज के कमजोर वर्ग के लोगों को विकास की मुख्यधारा में शामिल होने का समान अवसर प्राप्त हो रहा है।

सरगुजा जिले के अम्बिकापुर विकासखण्ड की ग्राम पंचायत चठिरमा के निवासी श्री रामनंदन पिता श्री शिवप्रसाद के लिए भी शहर आकर रोजगार के लिए काम ढूंढना चुनौतियों और मुश्किलों से भरा था। एक पैर से दिव्यांगता के कारण अधिक मेहनत या भार उठाने वाला काम कर पाने की मुश्किल थी, वहीं मात्र हायर सेकेण्डरी तक की शिक्षा के कारण दिव्यांग रामनंदन को उपयुक्त रोजगार मिलना भी चुनौतीपूर्ण था। ऐसे में मनरेगा श्री दिव्यांग रामनंदन के लिए सहारा बना। उन्हें ग्राम रोजगार सहायक से जानकारी मिली कि योजना के तहत दिव्यांग व्यक्ति को भी उनकी क्षमता के अनुसार रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं।
ग्राम रोजगार सहायक की इन बातों ने श्री रामनंदन की मुश्किलों का आसान कर दी। उन्होंने बिना कोई देर किए, ग्राम पंचायत में रोजगार के लिए आवेदन दे दिया। ग्राम पंचायत ने उन्हें उनकी दिव्यांगता के अनुसार महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत कार्यस्थल पर श्रमिकों के प्रबंधन के लिए मेट के रुप में एवं समय-समय पर श्रमिकों को पानी पिलाने काम देते हुए रोजगार के अवसर प्रदान किए। इस प्रकार श्री रामनंदन को साल 2015 से महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत लगातार काम मिल रहा है और उन्हें योजना से पिछले पाँच सालों में 79 हजार 895 रुपए का मजदूरी भुगतान किया गया है। गाँव में ही रोजगार प्राप्त करके वे अब पहले से कहीं अधिक सशक्त हो गए हैं।
दिव्यांग रामनंदन कहते हैं कि उनके परिवार में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती विफाईया के अलावा दो बच्चे हैं। वे योजना से मिली मजदूरी को अपने दोनों बच्चों सूर्यकांत और रविकांत की पढ़ाई और परिवार के भरण-पोषण में खर्च करते हैं। बचे हुए पैसों को खेती-बाड़ी में लगाते हैं। वे बताते हैं कि उनके पास 0.8 एकड़ कृषि भूमि है, जिसे उनकी पत्नी संभालती है। वह उसमें धान की पैदावार लेती है और साग-सब्जियाँ उगाती हैं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *