वो हमसे अरबों डॉलर की मदद लेते हैं और फिर हमारे ख़िलाफ़ मतदान भी करते हैं: अकेले पड़े ट्रंप ने दी आर्थिक मदद रोकने की धमकी
JOGI EXPRESS
न्यूयॉर्क,अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र में यरूशलम को इसराइल की राजधानी न मानने वाले देशों को आर्थिक मदद रोकने की धमकी दी है.इसी महीने अंतरराष्ट्रीय आलोचना को दरकिनार कर ट्रंप ने यरूशलम को इसराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता दी थी.व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा, “वो हमसे अरबों डॉलर की मदद लेते हैं और फिर हमारे ख़िलाफ़ मतदान भी करते हैं.””उन्हें हमारे ख़िलाफ़ मतदान करने दो. हम बड़ी बचत करेंगे. हमें इससे फ़र्क नहीं पड़ता.”राष्ट्रपति ट्रंप ने यह बात संयुक्त राष्ट्र में यरूशलम को इसराइल की राजधानी मानने के विरोध में लाए जा रहे प्रस्ताव पर मतदान से पहले कही है.प्रस्ताव के मसौदे में अमरीका का उल्लेख नहीं है लेकिन कहा गया है कि यरूशलम पर लिया गया कोई भी फ़ैसला रद्द होना चाहिए.यरूशलम शहर को लेकर इसराइल और फ़लस्तीनी क्षेत्र के बीच विवाद है. दुनिया के सबसे पवित्र शहरों में शुमार किए जाने वाले यरूशलम पर इसराइल और फ़लस्तीन बराबर दावा ठोंकते हैं.इसराइल इसे अपनी राजधानी मानता है लेकिन अमरीका के सिवा दुनिया के किसी देश ने यरूशलम को इसराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता नहीं दी है.न्यूयॉर्क में बीबीसी संवाददाता नादा तौफ़ीक के मुताबिक अमरीका और संयुक्त राष्ट्र में अमरीकी राजदूत निकी हेली अन्य देशों से अपने पक्ष में मतदान करवाने के लिए कूटनीति के बजाय अमरीकी शक्ति और प्रभाव का इस्तेमाल कर रहे हैं.अमरीका का तर्क है कि यरूशलम को इसराइल की राजधानी मानना और अपना दूतावास वहां स्थापित करना उसका संप्रभुत्व अधिकार है. लेकिन संयुक्त राष्ट्र और दुनिया के अधिकतर देश ये नज़रिया नहीं रखते हैं.इसी बीच अमरीका के कई सहयोगी देश इस सख़्त बयानबाज़ी को खोखली धमकी मान रहे हैं.एक शीर्ष राजदूत ने नादा तौफ़ीक को बताया है कि भले ही ट्रंप प्रशासन इसराइल को लेकर उठाए गए कदम पर अडिग हो लेकिन वो आर्थिक मदद रोकने जैसा कठोर क़दम नहीं उठा सकेगा.नादा तौफ़ीक के मुताबिक, गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में अमरीका अलग-थलग ही रहेगा. दुनिया एक बार फिर राष्ट्रपति ट्रंप को बता देगी को वह इसराइल को लिए गए उनके फ़ैसले से सहमत नहीं है.1967 के युद्ध में विजय के बाद इसराइल ने पूर्वी यरूशलम पर क़ब्ज़ा कर लिया था. इससे पहले यह जॉर्डन के नियंत्रण में था.अब इसराइल अविभाजित यरूशलम को ही अपनी राजधानी मानता है. वहीं फ़लस्तीनी अपने प्रस्तावित राष्ट्र की राजधानी पूर्वी यरूशलम को मानते हैं.यरूशलम को लेकर अंतिम फ़ैसला भविष्य की शांति वार्ताओं में लिया जाना है.यरूशलम पर इसराइल के दावे को कभी अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है. दुनिया के सभी देशों के दूतावास फिलहाल तेल अवीव में ही हैं. हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप ने अमरीकी विदेश विभाग से दूतावास को तेल अवीव से यरूशलम लाने के लिए कह दिया है.अरब और मुस्लिम देशों के आग्रह पर 193 सदस्य देशों वाले संयुक्त राष्ट्र में गुरुवार को आपात और विशेष बैठक बुलाई गई है. अरब और मुस्लिम देशों ने दशकों से चली आ रही अमरीकी नीति को बदलने के लिए ट्रंप की सख़्त आलोचना भी की है.संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के यरूशलम को लेकर लिए गए फ़ैसले को रद्द करने के प्रस्ताव को अमरीका ने वीटो कर दिया था. फ़लस्तीनियों ने सभी देशों से पवित्र शहर यरूशलम में दूतावास न स्थापित करने की अपील की है.संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी चौदह सदस्य देशों ने प्रस्ताव के समर्थन में ही मतदान किया था लेकिन अमरीकी राजदूत निकी हेली ने इसे अमरीका का अपमान करार दिया था.इसी बीच निकी हेली ने भी राष्ट्पति ट्रंप की धमकी को ट्विटर पर दोहराया है.वहीं फ़लस्तीनी विदेश मंत्री रियाद अल मलीकी और तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावासोगलू ने अमरीका पर अन्य देशों को धमकाने के आरोप लगाए हैं.अंकारा में एक साझा प्रेस वार्ता में कावासोगलू ने कहा, “हम देख रहे हैं कि अकेला पड़ गया अमरीका अब धमकियां दे रहा है. कोई भी सम्माननीय प्रतिष्ठित राष्ट्र इन धमकियों के आगे नहीं झुकेगा.”
साभारः बी बी सी