किसान आंदोलन की लगातार अनदेखी भारी पड़ेगी मोदी सरकार को
मोदी सरकार तो किसानों से उनकी फसलों का समर्थन मूल्य प्राप्त करने का अधिकार छीनने में लगी हुई है
खेती-बाड़ी-मंडी-सोसायटी को बर्बाद कर देंगे ये तीन काले कानून
किसान से समर्थन मूल्य और अपनी जमीन पर खुद खेती करने का अधिकार छीनने का है विरोध
जमाखोरी की खुली छूट बड़े कारोबारियों को देकर आम उपभोक्ताओं की होगी लूट
कांग्रेस दिल्ली की सीमा पर चल रहे आंदोलनरत किसानों के साथ एकजुट
मोदी सरकार हठधर्मिता छोड़ तीनो काले कानून वापस लें
रायपुर/02 जुलाई 2021। प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन प्रदेश कांग्रेस के संचार प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी और प्रभारी महामंत्री संगठन चंद्रशेखर शुक्ला ने संयुक्त बयान में कहा है कि दिल्ली सीमा पर किसान आंदोलन के दौरान सैकड़ों आंदोलनरत किसानों की सांसे थम गयी लेकिन मोदी सरकार की तानाशाही खत्म नहीं हुयी। किसानों की ये अनदेखी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को बहुत भारी पड़ने वाली है। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात की लेकिन भाजपा की केंद्र सरकार ने तो तीन काले कानून किसानों को बर्बाद करने के लिए लाए हैं जिनसे व्यापारियों को जमाखोरी करने किसानों की जमीन ठेके पर लेने और किसानों की उपज बिना समर्थन मूल्य के खरीदने की छूट मिल रही।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा किसान विरोधी कृषि कानूनों को वापस न लिए जाने की घोषणा को केंद्र सरकार की हठधर्मिता ठहराते हुए प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन प्रदेश कांग्रेस के संचार प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी और प्रभारी महामंत्री संगठन चंद्रशेखर शुक्ला ने कहा है कि यदि मोदी सरकार ने किसानों को बर्बाद करने वाले ये तीनों काले कानून लागू करने की ठान ही ली है तो किसानों और देश की जनता को मुगालते में रखने के लिये बातचीत की पेशकश बार-बार क्यों की जाती है? 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में सारे वादों को मोदी सरकार ने भुला दिया है और लगातार किसान विरोधी फैसले लेने में मोदी सरकार लगी हुई है। कांग्रेस ने पूछा है कि स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू करने का वादा करके सत्ता में आई मोदी सरकार ने कभी भी सी 2 लागत $ 50 प्रतिशत किसानों को देने के वादे को पूरा करने की दिशा में काम क्यों नहीं किया? 2021 पूरा होने जा रहा है लेकिन 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के वादे को पूरा करने की दिशा में काम करने की बात तो दूर मोदी सरकार तो किसानों से उनकी फसलों का समर्थन मूल्य प्राप्त करने का अधिकार और उनकी जमीन पर खेती करने का अधिकार भी छीनने में लगी हुई है। 2014 की लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में भाजपा ने कहा था कि किसानों के लिए स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश लागू की जाएगी लेकिन उसका आज तक अता पता नहीं। छल करने और झूठ बोलने के अपने चरित्र के चलते भाजपा ने स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों का मूल रूप ही बदल दिया।
प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन प्रदेश कांग्रेस के संचार प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी और प्रभारी महामंत्री संगठन चंद्रशेखर शुक्ला ने कहा है कि किसानों की खेती की लागत के साथ-साथ किसान खेत में जो खुद मजदूरी करता है उन दोनों को जोड़कर उसके ऊपर किसानों को 50 प्रतिशत लाभ देने की बात स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश में है। केंद्र की भाजपा सरकार ने षडयंत्रपूर्वक किसान की खुद की मेहनत और मजदूरी को स्वामीनाथन कमेटी के सिफारिश से हटा दिया।
कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि संसद में कृषि संबंधी तीन काले कानूनों को संसद में बिना चर्चा के पारित कर दिया गया। खेती किसानी से जुड़े ये तीन कानून देश के किसानों के लिये काल बनकर आए हैं। संघीय ढांचे का उल्लंघन कर, संविधान को रौंदकर, संसदीय प्रणाली को दरकिनार कर और बहुमत के आधार पर तानाशाह मोदी सरकार ने जबरन तथा बगैर किसी चर्चा व राय मशविरे के ये कानून पारित करवाए हैं। यहां तक कि इसे पारित करने के लिये राज्यसभा में हर संसदीय मर्यादा व लोकतांत्रिक मूल्यों को तार-तार कर दिया गया। ये तीनों कानून खेती पर निर्भर 62 करोड़ जनता के जीवन को गहरे अंधकार में झोंक देगा। इन कानूनों से न केवल किसानों की बल्कि खेतिहर मजूदरों, कृषि उपज मंडियों, सहकारी समितियों में काम करने वाले लोगों और अनाज व्यापार से जुड़े छोटे व्यापारियों और दुकानदारों की रोजी-रोटी पर बेहद असर पड़ेगा वो पूरी तरह से बर्बाद हो जाएंगे। यह देश के अन्नदाता को भाजपा परस्त पूंजीपतियों का गुलाम बनाने की गहरी साजिश है। अगर इस कानून को लागू किया तो देश का किसान एक बार फिर से अंग्रेजों की गुलामी वाले दौर में पहुँच जाएगा। इसके अलावा इन कानूनों से देशभर में उपभोक्ताओं पर महंगाई की अभूतपूर्व मार पड़ने वाली है।
किसान काले कानूनों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व उनकी सरकार विरोध को दरकिनार कर देश को बरगला रहे हैं। अन्नदाता किसान की बात सुनना तो दूर, संसद में उनके नुमाईंदों की आवाज को दबाया जा रहा है और पूरे देश में सड़कों पर किसान मजदूरों को लाठियों से पिटवाया जा रहा है। भाजपा सरकार तीन काले कानूनों के माध्यम से देश की ‘हरित क्रांति’ को हराने की साजिश कर रही है। कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि देश के अन्नदाताओं की मंशा के अनुरूप तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया जाये।