November 22, 2024

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने पूर्व प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव को उनकी जन्मशती पर श्रद्धांजलि दी

0
File Photo

नई दिल्ली : भारत के उपराष्ट्रपति, श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज पूर्व प्रधानमंत्री, श्री पी वी नरसिम्हा राव को उनकी जन्मशती पर श्रद्धांजलि अर्पित की और उन्हें एक ऐसे “महान व्यक्ति” के रूप में वर्णित किया, जिन्होंने आर्थिक सुधारों का बीड़ा उठाया था।

नायडू ने कहा कि कि पूर्व प्रधानमंत्री एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे– वे अभूतपूर्व विद्वान, चतुर प्रशासक, प्रसिद्ध साहित्यकार और बहु-भाषाविद् थेI उन्होंने कहा कि श्री राव ने अपनी सहमति से नेतृत्व और दूरदर्शी सोच के जरिए देश को आर्थिक संकट से उबारा था। इससे पहले उपराष्ट्रपति ने विशाखापत्तनम के सर्किट हाउस जंक्शन पर पूर्व प्रधानमंत्री की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दीI

उन्होंने कहा, श्री राव द्वारा शुरू किए गए साहसिक सुधारों ने पिछले तीन दशकों में देश के विकास को गति देने में मदद की है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने श्री नरसिम्हा राव द्वारा शुरू किए गए सुधारों को अक्षरश: लागू किया था, जबकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सुधारों को गति दी है। उन्होंने कहा, “सुधार समय की जरूरत है और हमें सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना चाहिए।”

देश में लाइसेंस राज को समाप्त करने का श्रेय श्री राव को देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे भारत के आर्थिक उदारीकरण के निर्माता थे। उन्होंने कहा कि “महत्वपूर्ण रूप से, यह श्री राव ही थे जिन्होंने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में भारत के प्रवेश को सुविधा जनक बनाया।”

उपराष्ट्रपति ने कहा, पूर्व प्रधानमंत्री ने वैश्विक मंच पर प्रभावी ढंग से राष्ट्र के हितों की रक्षा की थी, हालांकि उन्होंने कठिन समय और कठिन बाहरी रणनीतिक स्थितियों वाले वातावरण में राष्ट्र का नेतृत्व संभाला।

यह याद करते हुए कि पूर्व प्रधान मंत्री को भाषाओं के लिए बहुत प्यार था, श्री नायडू ने कहा, उन्होंने अपने कई कार्यों के बीच, महाकाव्य तेलुगु उपन्यास ‘वेई पदगालु’ का हिंदी में अनुवाद ‘सहस्र फान’ के रूप में किया और प्रसिद्ध मराठी उपन्यास, “पान लक्षत कोन घेतो” का तेलुगू में अनुवाद ‘अबला जीवितम’, का भी प्रकाशन किया।

उपराष्टपति में कहा कि श्री नरसिम्हा राव ने हमेशा स्कूलों में मातृभाषा में शिक्षा दिए जाने का पुरजोर समर्थन किया। उन्होंने कहा, “मैंने भी हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि हाई स्कूल स्तर तक शिक्षा का माध्यम बच्चे की मातृभाषा होनी चाहिए।”

यह कहते हुए कि श्री नरसिम्हा राव ने एक स्थायी विरासत छोड़ी थी, श्री नायडू ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम ने उन्हें ऐसा “देशभक्त राजनेता” कहा था, जो यह मानते थे कि राष्ट्र राजनीतिक व्यवस्था से बड़ा है। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए और राष्ट्रीय हित को हर चीज से ऊपर रखना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने इस बात पर निराशा व्यक्त की कि श्री नरसिम्हा राव जैसे महान नेता को वह अपेक्षित सम्मान नहीं मिला जिसके वह हकदार थेI उन्होंने कहा, “आइए हम उनके जन्म शताब्दी समारोह में राष्ट्र निर्माण के लिए उनके योगदान को सामने लाएं।”

उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि कोई भी राष्ट्र अपनी संस्कृति, विरासत और राष्ट्र निर्माण में महान नेताओं के अपार योगदान को भूलकर आगे नहीं बढ़ पाएगा। महापुरुषों के जीवन और उनकी शिक्षाओं को युवा पीढ़ी तक पहुंचाना ही चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *