रावन: शुभ मुहूर्त पर महामाया मंदिर में हुई पूर्णाहुति, जवारों का विसर्जन आज
अर्जुनी /रावन। जय बाबा देव धर्म नगरी के नाम से जाने जाने वाला गौरव ग्राम रावन में चैत्र नवरात्र महाष्टमी पर्व, दिन शुभ दिवस पर देवी मंदिरों सहित पूजन का कार्यक्रम दोपहर से प्रारंभ हो गया था लाकडाऊन का पालन करते हुए यज्ञ हवन सम्पन्न। गौरव ग्राम रावन के मां महामाया मंदिर में शाम 4 बजे मंदिर प्रांगण में हवन पूजन पंडित हरीश कृष्णचंद्र उपाध्याय ने विधिवत मंत्रोच्चार के साथ प्रारंभ करवाया। हवन कुंड में आहुतियां डाली गई। ग्राम के जय महामाया शक्ति पीठ मंदिर में मंगलवार को चैत्र नवरात्र पर अष्टमी के हवन में पूर्णाहुति दी। शासन के निर्देशों का पालन करते हुए । अगले वर्ष की भांति इस साल भी व्रती महिलाएं-युवतियां पूजा का थाल लिये शीतला मंदिर में दर्शन व दाल-चावल चढ़ाने नहीं पहुंची। अपने-अपने घरों में ही रहकर पूजन के बाद माता रानी से अपने परिवार के लिए निरोग एवं दीर्घायु रहने का आशीर्वाद मांगा । परंपरा के अनुसार महामाया प्रांगण में हवन के बाद ग्राम के अन्य शक्ति स्थलों सिद्ध शक्तिपीठ मां महाकाली मंदिर, मां दुर्गा मंदिर, और घरों में देर शाम तक हवन किये गये। दोपहर बाद से शाम को गलियां, होम हवन के सुगंध और माता के जयकारे गूंजते रहे। कन्या भोज कराया गया। हवन में उपस्थित बैगा नरोत्तम धीवर हुलास वर्मा, ग्रीस वर्मा,नंदकुमार,देव सिंग, डीके,उदेराम, हीरालाल, योग प्रचारक दीपक कुमार मौजूद थे।
फोटो क्रमांक 1-गौरव ग्राम रावन के महामाया शक्ति पीठ में महाष्टमी को पूर्णाहुति देते हुए
समाचार क्रमांक दो-
रामनवमी विशेष: श्रीराम जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर पर दीप प्रज्वलित कर भगवा रंग का ध्वजा पताका लगाकर उत्सव मनायेंगे
अर्जुनी/रावन । आज राम नवमी घरों में ही रहकर , कोरोना काल के चलते परिवार सहित मनायेंगे। भगवान श्री राम को मर्यादा का प्रतीक माना जाता है। उन्हें पुरुषोत्तम यानि श्रेष्ठ पुरुष की संज्ञा दी जाती है। वे स्त्री पुरुष में भेद नहीं करते। अनेक उदाहरण हैं जहां वे अपनी पत्नी सीता के प्रति समर्पित व उनका सम्मान करते नज़र आते हैं। वे समाज में व्याप्त ऊंच-नीच को भी नहीं मानते। शबरी के झूठे बेर खाने का और केवट की नाव चढ़ने का उदाहरण इसे समझने के लिए सर्वोत्तम है।
वेद शास्त्रों के ज्ञाता और समस्त लोकों पर अपने पराक्रम का परचम लहराने वाले, विभिन्न कलाओं में निपुण लंकापति रावण के अंहकार के किले को ध्वस्त करने वाले पराक्रमी भगवान श्री राम का जन्मोत्सव देश भर में धूमधाम के साथ मनाये जा रहे है। इस दिन भगवान श्री राम की भक्ति में डूबकर भजन कीर्तन किए जाते हैं।
श्री रामकथा सुनी जाती है। रामचरित मानस का पाठ करवाया जाता है। श्री राम स्त्रोत का पाठ किया जाता है। कई जगहों भर भगवान श्री राम की प्रतिमा को झूले में भी झुलाया जाता है। रामनवमी को उपवास भी रखा जाता है। मान्यता है कि रामनवमी का उपवास रखने से सुख समृद्धि आती है और पाप नष्ट होते हैं।