रंगोत्सव के ये आठ स्वाद, घोल देंगे त्यौहार में मिठास-दीपक
होलिका दहन का मुहूर्त आरंभ 05:43 से
कोविड-19 के चलते और शासन के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए घरों में ही “फागुन तिहार” मनाएंगे
छत्तीसगढ़ का पारंपरिक पकवान व्यंजन बनेंगे
प्राकृतिक रंग टेशु के फूल का उपयोग करें
रावन – आयुर्वेद ग्राम रावन में व अंचल रवेली,नेवारी,भोथाडीह, फुलवारी,तिल्दाबांधा सहित रंगों की तरंग का त्यौहार होली। इस पर्व पर जितना रंगीन गगन अबीर गुलाल से होता है , आज उतनी ही उमंग इस पर बनने वाले पकवानों से खास बनती है। आधुनिकता की दौड़ में समाज चाहे कितना ही आगे क्यों न बढ़ जाए। फास्ट फूड और ऑन लाइन में जाए के चाहे कितनी ही पैठ (विशेष दिनों)घरों में बना लें ,लेकिन छत्तीसगढ़ के गांवों में आज भी त्यौहारों पर स्वाद के लिए महिलाएं अपने हाथों से बढ़ाती हैं। विशेषकर होली पर बनने वाले पकवान, जो बनते हैं, मां की ममता को हाथों में संजोकर और मन में परिवार के लिए प्रेम का रंग लिये हुए। होली पर अपने हाथों के जादू से परिवार की खुशियों को और दोगुना कर देती है।
छत्तीसगढ़ का पारंपरिक पकवान व्यंजन
आज व कल रसोईया सजेगी,ठेठरी, खुरमी, चौरसेला, अईरसा,नमकीन, गुजिया,भजिया,बेसन के सेव, परिवार सहित चखेंगे के स्वाद।
आज होली पर शुभ संयोग
पंडित चंद्रप्रकाश वैष्णव रावन ने बताया,होलिका दहन का मुहूर्त आरंभ 05:43 से।
पलाश(टेशु) फुल प्राकृतिक रंगों की उपयोगिता
होली में रासायनिक रंगों के उपयोग, ना करके हर्बल प्रतीक रंगों का उपयोग करें ।योग प्रचारक दीपक कुमार वर्मा ने बताया होली के लिए रंग ,बनाने के अलावा इसके फूलों को पीसकर चेहरे में लगाने से चमक बढ़ती है ।टेशु की फलियां कृमि नाशक का काम करती है ।इसके उपयोग से बुढ़ापा भी दूर रहता है । पलाश के फुल से स्नान करने से ताजगी महसूस होती है ।पलाश फूल के पानी से स्नान करने से लू नहीं लगती, तथा गर्मी का एहसास नहीं होता पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इससे प्राप्त लकड़ी से दंड बनाकर द्विजों का यज्ञोपवीत संस्कार किया जाता है।