उपराष्ट्रपति ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, स्वर्गीय श्री एन. टी. रामा राव को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की
नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति, श्री एम. वेंकैया नायडू ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय श्री एन. टी. रामाराव को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वे अभिनेता-राजनेता एक ऐसी अभुतपूर्व घटना रहे हैं, जिन्होंने राजनीतिक मंच को बादशाह के जैसे आगे बढ़ाने का काम किया है।
वरिष्ठ पत्रकार रमेश कंडुला द्वारा लिखित एक राजनीतिक जीवनी, ‘विद्रोही मसीहा’ नामक पुस्तक का विमोचन करते हुएउपराष्ट्रपति ने कहा कि राजनीतिक पटल पर एनटीआर के आने के बाद राजनीतिक परिदृश्य में बहुत गहरा बदलाव देखा गया। उन्होंने कहा कि एनटीआर के मामले में वास्तविक रूप से”शक्ति”लोगों के माध्यम से प्राप्त की जाती थी।
उन्होंने कहा कि लेखक ने यह बिल्कुल सही बताया गया है कि एनटीआर द्वारा तत्कालीन संयुक्त आंध्र प्रदेश में राजनीतिक संस्कृति को नए सिरे से परिभाषित किया गया और एक नए राजनीतिक शैली की पटकथा लिखी गई।
श्री नायडू ने कहा कि एनटीआर वैकल्पिक राजनीति के शीर्ष अग्रदूतों में एक हैं। राजनीति में उनका प्रवेश और एक क्षेत्रीय पार्टी के रूप में लगभग नौ महीने के अंदर उनकी ‘नाटकीय’ रूप कीसफलता ने राष्ट्रीय राजनीति को एक नई दिशा प्रदान की है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि एनटीआर का उप-राष्ट्रवाद रचनात्मक था और उनके ब्रांड के क्षेत्रवाद ने भारत के बहुलवादी विचारधारा को मजबूती प्रदान की। उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि संविधान के संघीय स्वरूप को मजबूती प्रदान करने के लिए उनकी लड़ाई और सरकार की कल्याणकारी भूमिकाओं सशक्त करने के लिए उन्होंने जो बल दियावह आज भारत में प्रासंगिक बना हुआ है जब देश में क्षेत्रीय आकांक्षाएं बढ़ रही हैं।
उन्होंने कहा कि एनटीआर संघवाद और क्षेत्रीय आकांक्षाओं के एक प्रभावी रक्षक के रूप में उभरकर सामने आए, जिन्हें इस देश में एकल पार्टी के रूप में लंबे समय तक पीड़ा का सामना करना पड़ा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे राज्यों और केंद्र की शक्तियों के बीच उचित संतुलन बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
श्री नायडू ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता के लिए एनटीआर का योगदान एक अग्रणी प्रयास रहा है। इस संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र के लिए एक स्वस्थ, ठोस और रचनात्मक विपक्ष हमेशा ही प्रासंगिक रहेगा।
उन्होंने कहा कि एनटीआर ने मौलिक और दूरगामी विधायी और प्रशासनिक पहलों को पूराकरने का बीड़ा उठाया औरउनका पहला पहल उप-लोकपाल अधिनियम था जो कि समाज और राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने के प्रति उनकी उत्सुकता का प्रदर्शन करता है। नायडू ने कहा कि उन्होंने महिलाओं को संपत्ति का अधिकार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व प्रदान करके सशक्त बनाया और जिला परिषदों में पिछड़ें जातियों के लिए आरक्षण शुरू किया। श्री नायडू ने कहा कि उनका 2 रुपये किलो चावल वाली योजना वेल्फरिज्म में अग्रणी बन गई। हालांकि, उपराष्ट्रपति ने आगाह किया कि वेल्फरिज्म पर बल केवल लोकलुभावन योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने के बदले लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने पर दिया जाना चाहिए।
यह देखते हुए कि अभिनेता के रूप में एनटीआर एक प्रसिद्ध व्यक्ति थे, उन्होंने कहा कि “यह वैश्विक रूप से स्वीकार किया जाता है कि कोई अन्य फिल्मी कलाकार हमारे पुराणों में से किसी एक भूमिका को सहजतापूर्वक नहीं निभा सकता है-जैसे कि भगवान राम, भगवान कृष्ण, अर्जुन, कर्ण, दुर्योधन या रावण के रूप में अलग-अलग भूमिकाओं को, जिस प्रकार सेअनुग्रह, सहजता, निष्ठा और गहराई के साथ कि एनटीआर ने अपने अभिनय को सजीव किया है।”
1983 में उदयगिरी विधानसभा क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए अपने चुनाव को याद करते हुए श्री नायडू ने कहा कि वे उन कुछ उम्मीदवारों में से एक हैं जिन्होंने एनटीआर के नेतृत्व में टीडीपी की सुनामी का सामना किया है।
इस बात को बताते हुए कि एनटीआर ने खुद को एक मसीहा के रूप में देखा जो कि आंध्र प्रदेश और उससे आगे के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को बदल सकता है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि एनटीआर निश्चित रूप से एक नेक इरादे वाले और दिल के अच्छे व्यक्ति थे। श्री नायडू ने कहा, “राजनीति में उनका आगमण सत्ता के लिए एक आत्म-वासना और बहुत ज्यादा द्वेष या अति महत्वाकांक्षा से प्रेरित नहीं था।”
दिवंगत नेता के साथ अपने लंबे और नजदीकी संबंध को याद करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे एनटीआर के साथ एक विशेष लगाव महसूस करते थे और 1984 में एनटीआर सरकार की “अनुचित बर्खास्तगी” के बाद औरइसकी बहाली के लिए हुए लोकतंत्र बचाओ आंदोलन में अग्रिम पंक्ति में शामिल थे।
उपराष्ट्रपति ने आंध्र प्रदेश की राजनीति में सबसे बड़ी उथल-पुथल के संदर्भ में निष्पक्षता के साथ और एक अनुभवी पर्यवेक्षक वाली अंतर्दृष्टि के लिए लेखक की प्रशंसा की। उन्होंने एनटीआर के विभिन्न पहलुओं के बारे में और अधिक पुस्तकों को लिखने की आवश्यकता पर बल दिया।