कांग्रेस पार्टी धर्म का राजनैतिक इस्तेमाल नही करती भाजपा को अब भगवान श्रीराम के नाम पर राजनीति बंद करना चाहिए-राजेन्द्र बंजारे

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रायपुर, छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव एवम पूर्व जनपद अध्यक्ष राजेंद्र पप्पू बंजारे ने राम गमन पथ को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने सीएम भुपेश बघेल के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी धर्म का राजनैतिक इस्तेमाल नही करती भाजपा को अब भगवान श्रीराम के नाम पर राजनीति बंद करनी चाहिए। उसे राम के नाम पर वोट नही मांगना चाहिए लोगो की आस्था अपनी जगह होती है लोग विकास को ध्यान में रखकर वोट करते है। श्रीराम स्वयं सदाचार और त्याग का प्रतीक हैं। उन दलों को राम से प्रेरणा लेनी चाहिए, जो उनके नाम का इस्तेमाल राजनीति के लिए करते आए हैं। अब ऐसे दलों की राजनीतिक दुकानें बंद हो जाएंगी, जो राम के नाम पर सत्ता में आने का प्रयास करते रहे हैं। भाजपा के राम मॉब लिंचिंग, चंदे और धंधे वाले राम ही केवल बनकर रह गए है। बीजेपी राम के नाम को गलत इस्तेमाल कर मॉब लिंचिंग, चंदे लेना और व्यापार कर रही है। कांग्रेस प्रदेश सचिव राजेन्द्र बंजारे ने कहा छत्तीसगढ़ में भाजपा 15 साल सत्ता में राज किया परंतु राम गमन पथ एवम माता कौशल्या नगरी चंदखुरी को विकसित करने की दिशा में कोई कदम नही उठाये। ठीक विपरीत छत्तीसगढ़ की कांग्रेस पार्टी वाली भुपेश सरकार द्वारा राम वन गमन पथ का, पर्यटन की दृष्टि से विकास की योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य राज्य में आने वाले पर्यटकों, आगन्तुकों के साथ-साथ देश और राज्य के लोगों को भी राम वन गमन मार्ग एवं स्थलों से परिचित कराना एवं इन ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण के दौरान पर्यटकों को उच्च स्तर की सुविधाएं भी उपलब्ध कराना है।रायपुर से 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चंदखुरी के कौशल्या माता मंदिर से राम वन गमन परिपथ को सम्पूर्ण रूप से विकसित करने की शुरूआत होगी जो स्वागत योग्य है पूर्व जनपद अध्यक्ष राजेंद्र बंजारे ने कहा कि चंदखुरी में दुनिया का एक मात्र कौशल्या माता मंदिर है, इसमें भगवान राम बाल रुप में मां की गोद में दिखाए गए हैं। चंदखुरी भी रामयण से छत्तीसगढ़ को सीधे जोड़ता है, रामायण के बालकांड के सर्ग 13 श्लोक 26 में आरंग विकासखंड के तहत आने वाले गांव चंदखुरी का जिक्र मिलता है। तब इसका नाम चंद्रखुरी हुआ करता था, जो बाद में बोलचाल में चंदखुरी हो गया। रामायण के मुताबिक कौशल के राजा भानुमंत थे। भानुमंत आरंग में ही रहा करते थे। उनकी पुत्री का नाम भानुमति था। इनका विवाह राजा दशरथ से हुआ। शादी के बाद कौशल क्षेत्र की राजकुमारी होनी की वजह से उनका नाम कौशिल्या पड़ा।

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