नोएडा रंग महोत्सव में नीरा आर्य सम्मान से सम्मानित किए गए अभिनेता अखिलेश पांडे

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रायपुर,आजाद हिंद फौज की पहली महिला जासूस नीरा आर्य नागिनी की स्मृति में छत्तीसगढ़ के जाने-माने अभिनेता अखिलेश पांडे को नीरा आर्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया यह पुरस्कार तृतीय नोएडा रंगों महोत्सव में नीरा आर्य स्मृति ट्रस्ट के अध्यक्ष गणेश दास गोयल समाजसेवी श्रीमती गरिमा गोयल और चर्चित साहित्यकार तेजपाल सिंह धामा जिनके उपन्यास अग्नि की लपटें पर पद्मावत फिल्म का निर्माण हुआ था उन्होंने प्रदान किया इस पुरस्कार के तहत साल श्रीफल प्रतीक चिन्ह प्रशस्ति पत्र उन्हें प्रदान किया गया इस अवसर पर समाजसेवी गणेश दास गोयल ने कहा कि नीरा आर्य का जीवन हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत है क्योंकि उन्होंने देश के लिए अपने देशद्रोही पति को मौत के घाट उतार कर सुभाष चंद्र बोस की जान बचाई थी उत्कृष्ट अभिनय और सामाजिक कार्यों के लिए अखिलेश पांडे को यह पुरस्कार दिया गया ड्रामा आर और कल्चर सोसायटी ईशान म्यूजिक कॉलेज और सेवंथ रूट इंटरटेनमेंट एवं धामा फिल्म्स इंटरनेशनल के संयुक्त तत्वाधान में नोएडा रंग महोत्सव का आयोजन किया गया इस दौरान अभिनेता अखिलेश पांडे ने नीरा आर्य के जीवन को प्रेरणादायक बताया और कहा कि उनका जीवन देश को समर्पित था और उनके जीवन से हम सभी को देश के लिए समर्पित होने का प्रेरणा मिलती हैआजाद हिंद फौज की पहली महिला जासूस नीरा आर्य का जन्म 5 मार्च 1902 को संयुक्त प्रांत खेकड़ा नगर में हुआ था इनकी शादी ब्रिटिश भारत में सीआईडी श्रीकांत जयरंजन दास के साथ हुई श्रीकांत जय रंजन दास अंग्रेज भक्त अधिकारी था जय रंजन दास को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जासूसी करने और उन्हें मौत के घाट उतारने की जिम्मेदारी दी गई थी जब सिंगापुर में अवसर पाकर श्रीकांत जयरंजन रंजन दास ने नेताजी को मारने के लिए गोलियां दागी तो वह गोलियां नेताजी के ड्राइवर को जा लगी लेकिन इस दौरान नीरा आर्य ने श्रीकांत जयरंजन दास के पेट में संगीन मार कर उसे परलोक पहुंचा दिया था श्रीकांत जय रंजन दास मीरा के पति थे इसलिए पति को मारने के कारण नेताजी ने उन्हें नागिनी कहा था आजाद हिंद फौज के समर्पण के बाद जब दिल्ली के लाल किले में मुकदमा चला तो सभी बंदी सैनिकों को छोड़ दिया गया लेकिन नीरा आर्य को पति के हत्या के आरोप में काला पानी की सजा हुई थी आजादी के बाद नीरा आर्य ने फुल बेचकर जीवन यापन किया लेकिन कोई भी सरकारी सहायता या पेंशन स्वीकार नहीं की थी

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