स्वास्थ्य मंत्री ने सचिन पायलट पर उठाए सवाल, राजस्थान सरकार में घमासान
कोटा
राजस्थान में कांग्रेस सरकार का झगड़ा अब खुलकर सामने आ रहा है. हाल ही में कोटा में बच्चों की मौत मामले में उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा था. जिसके बाद अब राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री सचिन पायलट को घेरते हुए कहा कि जब अस्पताल की छत टपक रही थी और खिड़कियां टूटी हुई थी तो अस्पताल प्रशासन पीडब्ल्यूडी विभाग को लिख रहा था. इसे ठीक करने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए गए?
रघु शर्मा ने कहा कि जिम्मेदारी सभी जनप्रतिनिधियों की बनती है. हर महीने मीटिंग होती है, उसमें स्थानीय जनप्रतिनिधि क्यों नहीं जाते हैं ताकि अस्पताल की समस्या के बारे में समझाया और बताया जा सके. दरअसल, कोटा में सचिन पायलट ने जिम्मेदारी तय करने की बात कही थी.
कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़कर 107 पार कर गया है. राज्य के डिप्टी सीएम सचिन पायलट शनिवार को कोटा अस्पताल पहुंचे. कोटा में बच्चों की मौत पर सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हमें जिम्मेदारी तय करनी होगी. सचिन पायलट ने कहा कि पहले क्या हुआ इस पर चर्चा नहीं होनी चाहिए. वसुंधरा को जनता ने हरा दिया लेकिन अब जिम्मेदारी हमारी है.
110 बच्चों की हुई मौत
राजस्थान के कोटा में बच्चों के मरने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़कर रविवार को 110 पहुंच गया है. अस्पताल में 100 से ज्यादा बच्चों की मौत के बाद सरकार ने जांच पैनल नियुक्त किया था. विशेषज्ञों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि हाइपोथर्मिया (शरीर का तापमान असंतुलित हो जाना) के कारण बच्चों की मौत हुई है. अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की कमी भी इसकी वजह बताई जा रही है. राजस्थान सरकार की ओर से बच्चों की मौत के कारण का पता लगाने के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की है कि हाइपोथर्मिया के कारण शिशुओं की मौत हुई है.
हाइपोथर्मिया से हुई बच्चों की मौत
राजस्थान के कोटा स्थित जे. के.लोन सरकारी अस्पताल में एक महीने में 105 बच्चों की मौत के बाद सरकार ने जांच पैनल नियुक्त किया था. विशेषज्ञों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि हाइपोथर्मिया यानी शरीर का तापमान असंतुलित हो जाना के कारण बच्चों की मौत हुई है. अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की कमी भी इसकी वजह हो सकती है.