November 11, 2024

वर्ष 2020-21 के बजट में राज्य सरकार की योजनाओं में कमी करने की तैयारी

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भोपाल
आर्थिक तंगी से जूझ रही राज्य सरकार वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में राज्य सरकार की योजनाओं में कमी करने की तैयारी में है। इसके लिए बजट प्रस्ताव के साथ विभागों से यह जानकारी मांगने का काम शुरू हो गया है कि किन योजनाओं को आपस में मर्ज कर उसके खर्च को कम किया जा सकता है। सरकार के एक साल के कार्यकाल के बाद आने वाला यह बजट पूर्ववर्ती सरकार की कई योजनाओं पर ताला लगा सकता है। अगले साल का बजट तैयार करने से पहले एक बार फिर वित्त विभाग ने सभी विभागों और निगम-मंडलों से उनकी बचत का ब्यौरा मांगा है।

 फायनेंस विभाग ने कहा है कि उनके बैंक खातों में जमा राशि और देनदारियों की स्थिति साफ की जाए। वित्त विभाग के बजट अफसरों ने इसको लेकर जारी अलग-अलग निर्देशों में कहा है कि विभाग अपनी योजनाएं और कर्मचारियों की संख्या के साथ उस पर आने वाले खर्च की जानकारी देंगे। हितग्राहीमूलक योजनाओं की स्थिति के साथ पिछले सालों मे मिले केंद्रांश व राज्यांश की स्थिति भी बताना होगी। विभाग यह भी बताएंगे कि योजना को किस तरह से युक्तियुक्त करके उसका खर्च कम किया जा सकता है। जिन योजनाओं में अभी राशि खर्च होना बाकी है, उसकी डिटेल बताना होगी। इसके साथ ही देनदारियों और उसमें राज्य के अंश की जानकारी भी विभागों से चाही गई है।

फायनेंस विभाग ने सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों से कहा है कि बजटीय नियंत्रण अधिकारी बजट सीलिंग को लेकर सीरियस नहीं हैं। इसलिए उन्हें ताकीद किया जाए कि बजट को लेकर होने वाली बैठकों में शामिल होने के दौरान वे सभी जानकारी के साथ मौजूद रहें ताकि बजट प्रस्ताव तैयार करने में किसी तरह की दिक्कत नहीं हो।

इसके साथ ही फरवरी में आने वाले बजट के मद्देनजर वित्त मंत्री के बजट भाषण में शामिल किए जाने वाले प्रस्तावों के बारे में भी विभागों से सुझाव लेने का काम शुरू हो गया है। इसके लिए संचालक बजट ने सभी विभागों से कहा है कि वे अपने विभाग की ओर से 15 जनवरी 2020 तक हर हाल में ऐसे प्रस्ताव भेजें।

भाजपा सरकार के शासन में संचालित योजनाओं को वर्तमान कांग्रेस सरकार ने घोषित तौर पर बंद नहीं किया है पर दर्जन भर ऐसी स्कीम हैं जिसमें नाम मात्र फंड का प्रावधान किया गया। ऐसे में जब भी भाजपा के नेताओं ने विरोध किया तो सरकार ने ऐसी योजनाओं में किए गए खर्च के बजटीय आंकड़े दिखाए हैं पर अब अगले बजट में स्थिति बदलना तय है।

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