महिलाओं में विधिक जागरूकता अनिवार्य रूप से हो-श्रीमति नीलू श्रृगऋषि
सागर
स्वामी विवेकानंद विष्वविद्यालय सागर के सभागार में लैंगिक उत्पीड़न एवं महिला कानून विषय पर अल्पावधि संगोष्ठी आयोजित की गई दीप प्रज्ज्जवलन के उपरांत स्वागत भाषण देते हुए डाॅ. राजेष दुबे ने कहा- भारतीय समाज में सदियों से महिलाओं का स्थान गौरवषाली रहा है परंतु आजकल समजा की विकृत मानसिकता इन्हें समान दर्जा नहीं दे पा रही है। जिससे हिंसा, विभेद, यौन प्रताड़ना, छींटाकसी तथा मानसिक षोषण से महिलाऐं संघर्ष कर रहीं है। अतः आवष्यकता है कि हम जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभाते हुए महिला जनित कानून का ज्ञान अर्जित करें।
उद्बोधन की श्रृखला में डाॅ. सुनीता जैन ने कहा कि वर्तमान में स्त्रियों के लिए कानून बनाये जा रहे हैं समाज चिंतित है परंतु इस बात का चिंतन करना आवष्यक होगा कि ऐसी विकृत मानसिकता समाज में क्यों आ रही है। डाॅ. प्रतिभा तिवारी ने कहा- कि आज महिलाओं को न केवल कानून से वरन् स्वस्थ्य रह कर एवं चुनौती पूर्ण जीवन के लिए सषक्त एवं स्वसुरक्षा के लिए जागरूक रहना होगा। मुख्य वक्त की आसंदी से बोलते हुए सागर जिले की ए.डी.जे. श्रीमति नीलू श्रृंगऋषि ने कहा-कि महिलाओं में विधिक जागरूकता अनिवार्य रूप से हो कार्य स्थल पर महिलाओं को अपनी अस्मिता के सुरक्षार्थ किस प्रकार भारत सरकार द्वारा बनाए गए यौन उत्पीड़न विधेयक का ज्ञान प्राप्त हो तथा वह स्वच्छ एवं स्वस्थ वातावरण में अपने कार्य स्थल पर कार्य कर सकें। आपने बताया कि अष्लील हरकत, अष्लील चित्रों का प्रदर्षन, स्पर्ष या कुत्सित आंगिक क्रिया भी यौन उत्पीड़न में आते हैं जिसके लिए आवष्यक है कि जहाँ भी दस से अधिक कर्मचारी हों वहाँ आंतरिक षिकायत समिति षिकायत न होने की स्थिति में समिति पीड़िता को लिखित दर्ज करेगी और लिखित षिकायत न होने की स्थिति में समिति पीड़िता को लिखित षिकायत पत्र के लिए सहयोग देगी।
विधेयक दीर्घकालीन, अल्पकालीन अथवा तदर्थ सभी कर्मचारी को यह सुरक्षा प्रदान करता है। यह सार्वजनिक या निजी क्षेत्र में, यह उनके लिए शर्तों को हर जगह काम करने में समानता जीवन और स्वतंत्रता समान लिंग अधिकार की प्राप्ति के लिए योगदान देता है। कार्यस्थल पर सुरक्षा की भावना काम में महिलाओं की भागीदारी में सुधार, उनके आर्थिक सषक्तिकरण और समावेषी विकास में उचित परिणाम कारी होगा। इस अवसर पर महिला सषक्तिकरण प्रकोष्ठ की अध्यक्ष डाॅ. ममता सिंह ने कहा कि- कार्यस्थल पर सुरक्षा की भावना काम में महिलाओं की भागीदारी में सुधार, उनके आर्थिक सषक्तिकरण और समावेषी विकास में उचित परिणाम कारी होगा।
महिलाओं को अपनी सुरक्षा के प्रति स्वयं जिम्मेदार होना होगा आवष्यक है कि वह षिक्षित स्वस्थ्य एवं विधि द्वारा बनाये गये सभी कानून का ज्ञान अर्जन करें। तथा अपनी मर्यादा एवं अस्मिता के लिए स्वसुरक्षा का भी ध्यान रखें समान संवेदनषीलता समाज के प्रति होना आवष्यक है। आभार ज्ञापित करते हुए डाॅ. सुनीता दीक्षित ने कहा-कि यह सत्य है विभागों, संगठनों, कार्यालयों में आवष्यक कदम उठाये गये हैं जहाँ महिला की पर्याप्त व्यवस्था है तथापि मेरा छात्र छात्राओं से कहना है कि वह घर से निकलते समय अपने निर्धारित की पूर्ण और सत्य जानकारी देकर ही निकलें । संचालन नेहा दुबे जी के द्वारा हुआ। इस अवसर पर सुश्री अंबिका सिंह, सुश्री दीप्ती गोस्वामी, डाॅ. आराधना, डाॅ. प्रगति, आदि प्राध्यापक महिलाओं के साथ विष्वविद्यालय में सभी महिला कर्मचारी प्रबंध समिति एवं शैक्षणिक एवं अषैक्षणिक कर्मचारी सभागार में उपस्थित रहे। शांति मंत्र के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।