बच्चा देश का भविष्य ही नही वर्तमान भी है : शताब्दी पाण्डेय
रायपुर- पुरानी बस्ती स्थित अग्रसेन महाविद्यालय में संगोष्ठी का कार्यक्रम किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं को संबोधित किया। अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. सौम्या नैय्यर ने कहा कि विद्यालय ही वो जगह है जहां सिर्फ विषय का ज्ञान ही नहीं दिया जाता बल्कि विभिन्न गतिविधियों के जरिए बच्चों का संपूर्ण विकास होता हैैं। डॅा. सौम्या नैय्यर प्रगति महाविद्यालय में प्राचार्य के पद पर है।
विशेषज्ञ वक्ता के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता शताब्दी पाण्डेय ने कहा कि स्कूली शिक्षा में डॉप आउट्स एक गंभीर चुनौती है। क्योंकि वर्तमान पीढ़ी बाल मन को समझ ही नही रही है। पहले घर के बुजुर्ग चेहरा देखकर ही मन के भावों को समझ लिया करते थे लेकिन आज के लोगों को ये कला आती ही नहीं। बच्चों को नजरअंदाज करना हमारी आदत में शामिल हो गया है। शैक्षणिक संस्थान के साथ-साथ परिवार को भी बच्चों को समझने की कला सीखनी होगी।
विशेषज्ञ वक्ता के रूप में मोटिवेटर डॅा. मुकेश शाह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सुविधाओं का अभाव और सुविधाओं का प्रवाह दोनो ही ड्रॉप आउट्स का कारण है। शैक्षणिक संस्थानों के साथ एनजीओ भी यदि समाज के प्रति अपनी जवाबदेही समझकर यदि ड्रॉप आउट्स छात्रो को लेकर उन्हे पढऩे के लिये प्रेरित करे तो इस समस्या से उबरा जा सकता है। संचार माध्यम भी जागरूकता फैलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है।
महाविद्यालय के निदेशक डॉ. व्हीके अग्रवाल ने कहा कि छात्रों में शिक्षा के महत्व को समझने की इच्छा पैदा करने और समाज के प्रति अपनी जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए इस संगोष्ठी का कार्यक्रम किया गया था।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. डॅाली पाण्डेय ने किया। आभार प्रदर्शन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. युलेन्द्र कुमार राजपूत ने किया। इस अवसर पर बढ़ी संख्या में शिक्षक और छात्र/छात्राएं उपस्थित थे।