धनपुरी ओसीएम की मिट्टी बनी कोयला, भ्रष्ट अधिकारियों की बदौलत उपभोक्ता कोयले की जगह मिट्टी लेने को मजबूर

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धनपुरी कहने को तो यह माइंस सुहागपुर एरिया के लिए सबसे फायदेमंद खदानों में से एक मानी जाती है परंतु आए दिन ब्रेकडाउन और फेस कोयला ना होने का बहाना प्राइवेट कंपनी विपुल जिसको टेंडर दिया गया था ओबी हटा कर फेस बनने का फिर फेस से कोयला खनन कर उपभोक्ताओं को दिया जाना, परंतू अब एस ई सी एल द्वारा उक्त कंपनी को भुगतान ही नही किया गया तो अब फ्री फोकट में कौन काम करेगा,वही एस ई सी एल अपनी नाकामियों को छुपाने व अपने भ्रष्ट और नाकारा कर्मचारियों की बदौलत कब तक उपभोक्ताओं का शोषण करते रहेंगे, वही समय पर भुगतान न होने की वजह से आज इसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है वहीं उपभोक्ता एसईसीएल को फायदा पहुंचाते हैं आज उन्हें नुकसान पहुंचाने में एसईसीएल धनपुरी ओ सी एम कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। जबकि नियमानुसार उपभोक्ताओं से कोयला लेने की एवज में पहले ही पैसा जमा करा लिया जाता है और उपभोक्ताओं को सुविधा देना एसईसीएल का महज मृगमरीचिका साबित हो रहा, सूत्रों की माने तो धनपुरी ओसीएम में पैसों की डिमांड की वजह से भी अब उपभोक्ता कन्नी काटते नज़र आ रहे है।वही धनपुरी ओसीएम के मौजूदा टेक्निकल इंस्पेक्टर द्वारा प्राइवेट टारेक्स चालको से खदान में लोडिंग किए जाने की आवाज में ₹10 प्रति टन मांग की जाती है वही टेक्निकल इंस्पेक्टर गुप्त रूप से ₹60 प्रति टन फील्ड से व₹40 प्रति टन बैंकर से ले रहे हैं, जबकि बूम बैरियर कांटा करने के लिए उपभोक्ताओं को अच्छी खासी रकम चढ़ावा स्वरूप दिया भ्रष्टाचार करने वाले एसईसीएल के बाबू को चढ़ाती जा रही है। वही एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर से विजिलेंस की टीम कोरम पूरा करने के लिए भेजी जाती है और उनको भी मोटा लिफाफा व सुरसुरा सुंदरी का चढ़ावा चढ़ाव कर विदा करने में यहाँ के भ्रष्ट अधिकारी महारत हासिल किए हुए हैं। एक उपभोक्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब से यह माइंस विपुल कंपनी को कोयला निकालने का ठेका दी है तबसे आए दिन उपभोक्ताओं को नुकसान उठाना पड़ रहा है और इस बाबत जब एसईसीएल के अधिकारियों से चर्चा की जाती है तो उनका कहना है होता है कि मशीन ब्रेकडाउन है हम क्या करे?
इस तरह के गैरजिम्मेदाराना बयान और मुँहफट बेलगाम अधिकारियों से कौन हुज्जत करे यही सोंच कर उपभोक्ता व ट्रांसपोर्टर इनके मुंह नही लगते,

उपभोक्ताओं को हो रहे नुकसान की कौन करेगा भरपाई?
आपको बता दें कि एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर से नगद पहले उपभोक्ताओं से पैसा जमा करा लिया जाता है उसके बाद कागजी कार्यवाही कर उन्हें कोयला उठाने की अनुमति दी जाती है अब यह बड़ी विडंबना है कोयला उठाने जब उपभोक्ता नियत स्थान पर जाता है तो लंबी चौड़ी रिश्वत की लिस्ट पहले थमा दी जाती है उसके बाद उस उपभोक्ता का पूरा चीर हरण करते हुए उसे माल दिया जाता है माल यानी कोयला अब यदि एसईसीएल की नाकामियों और ब्रेकडाउन हुई मशीनें को एसईसीएल अपनी गलती स्वीकार्य नही करता तो इसका खामियाजा उपभोक्ता क्यू उठाए??
क्या यही एसईसीएल का कर्तव्य और उपभोक्ताओं को सहूलियत दी जा रही है।
आखिर कब तक एसईसीएल की नाकामियों का खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ेगा यह सवाल विडंबना ओ और प्रश्नवाचक शब्दों के साथ अनंत काल तक क्या गर्त में रहेगा कब उपभोक्ताओं को न्याय मिलेगा यह सवाल आज एसईसीएल के भ्रष्टाचार और नाकामियों के लिए एक बड़ा प्रश्न बन चुका है

एसईसीएल मुख्यालय में पहुंचता है समय पर चढ़ावा
यह चमत्कार सिर्फ भ्रष्टाचार में लिप्त धनपुरी ओसीएम ही कर सकती है। कोयले की आड़ में मिट्टी परोस ना और उपभोक्ताओं को बेवकूफ बनाना सुहागपुर एरिया का सबसे बड़ा फंडा। है
जानकार बताते हैं कि आंखों देखी पर धूल झोंकने की कोशिश का यूं कहें कि नाकाम प्रयास एसईसीएल धनपुरी ओसीएम करता रहा है धनपुरी में पहले भी टेक्निकल इंस्पेक्टर हुए है पर इस तरह उपभोक्ताओं का खून नही चूसा गया है,
वर्तमान परिदशय में सब कुछ उल्टा है।

मिट्टी बनी कोयला

यह तो इस कलयुग में चमत्कार कहेंगे या धनपुरी वासियों का आविष्कार कोयला नाम से ही काला होता है परंतु धनपुरी ओशियम सुहागपुर एरिया की सबसे ख्याति प्राप्त और और सबसे ज्यादा उत्पादन क्षमता रखने वाली एसईसीएल उपभोक्ताओं को चूना लगाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है कोयले की जगह मिट्टी पत्थर बेंचकर रिकॉर्ड और कीर्तिमान स्थापित करना चाहती है अफसोस की बात यह है कि एसईसीएल में बैठे अधिकारी इस बात को कभी स्वीकार नहीं करते की यह गलती हमारी है और वही बिलासपुर मुख्यालय में बैठे दलाल टाइप के अधिकारी अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए उपभोक्ताओं को दोषी बना देते हैं

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