अर्जुन मुंडा ने जनजातीय समुदाय के कल्याण के लिए आर्ट ऑफ लिविंग के साथ साझेदारी में दो उत्कृष्टता केंद्रों का शुभारंभ किया

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नई दिल्ली : केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जनजातीय समुदाय के कल्याण के लिए दो उत्कृष्टता केंद्रों का शुभारंभ किया। ये उत्कृष्टता केंद्र जनजातीय कार्य मंत्रालय (एमओटीए) और आर्ट ऑफ़ लिविंग (एओएल) के बीच सहयोग से शुरू किये जा रहे हैं। आर्ट ऑफ़ लिविंग के गुरुदेव श्री श्री रविशंकर इस अवसर पर उपस्थित थे। कार्यक्रम में केंदीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरुता, एमओटीए के सचिव श्री दीपक खांडेकर और संयुक्त सचिव श्री नवलजीत कपूर भी उपस्थित थे।

श्री अर्जुन मुंडा ने इस अवसर पर कहा कि यह आर्ट ऑफ लिविंग (एओएल) की बहुत ही सराहनीय पहल है, जिसने एमओटीए के साथ साझेदारी में दो उत्कृष्टता केंद्र शुरू किये हैं। पहला उत्कृष्टता केंद्र महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में गौ-आधारित कृषि तकनीकों के अनुरूप प्राकृतिक खेती के लिए जनजातीय किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए है जबकि दूसरा उत्कृष्टता केंद्र पंचायती राज संस्थाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए है, जिसके तहत झारखंड के 5 जिलों के 30 ग्राम पंचायतों और 150 गांवों को कवर किया गया है।

केंद्र सरकार, हमारे देश के जनजातीय लोगों के कल्याण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। आर्ट ऑफ लिविंग के स्वयंसेवकों की सक्रिय भागीदारी के साथ, जनजातीय कल्याण के उद्देश्य को पूरा किया जाएगा। यह प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने की दिशा में एक कदम सिद्ध होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह काम बहुत जल्द पूरा हो जाएगा और अधिक से अधिक लोग और संस्थान इस तरह के कार्यों से जुड़ेंगे। मंत्री ने कहा कि जनजातीय समुदाय प्रकृति की रक्षा और पर्यावरण को बचाने के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं।

श्री अर्जुन मुंडा ने स्पष्ट किया कि पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) को मजबूत करने के तहत जनजातीय समुदाय को अपने संवैधानिक अधिकारों के बारे में शिक्षित करना भी शामिल है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह पंचायती राज संस्थाओं को मजबूती प्रदान करेगा और उन्हें समुदाय के विकास के लिए निर्णय लेने में सहायता प्रदान करेगा।

श्रीमती रेणुका सिंह सरुता ने अपने संबोधन में कहा कि जनजातीय कार्य मंत्रालय जनजातीय लोगों के कल्याण के लिए कई कार्यक्रम चला रहा है। मंत्रालय कई गैर-सरकारी संगठनों और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है। ये संगठन इस क्षेत्र में सराहनीय काम कर रहे हैं। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये आर्ट ऑफ लिविंग के पास स्वयंसेवकों का एक विशाल नेटवर्क है।

गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि हमें आदिवासी लोगों से बहुत कुछ सीखना है क्योंकि वे स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति बहुत जिम्मेदार हैं। उन्होंने झारखंड के घाटशिला में आर्ट ऑफ लिविंग-एओएल स्कूल चलाने के अनुभव पर जोर दिया, जहां शैक्षिक पाठ्यक्रम में कौशल विकास को शामिल किया गया है। एओएल पूरे भारत में 750 स्कूल चला रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दांतों की सफाई और मस्तिष्क की स्वच्छता दोनों ही हमारे गांवों में बहुत आवश्यक हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि एओएल के स्वयंसेवक इन आदिवासी कल्याण योजनाओं को सफल बनाने के लिए पूरी तरह से काम करेंगे।

जनजातीय कार्य मंत्रालय सचिव, श्री दीपक खांडेकर ने आदिवासी क्षेत्रों में एओएल के पहले से किये जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जनजातीय कार्य मंत्रालय और एओएल की साझेदारी इन कल्याणकारी गतिविधियों का विस्तार करने में मदद करेगी।

झारखंड के 5 जिलों में 30 ग्राम पंचायतों और 150 गांवों में पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) को सुदृढ़ करने का पहला प्रयास शुरू किया जाएगा। इसके तहत पीआरआई के चुने हुए प्रतिनिधियों के बीच जनजातीय लोगों के लिए उपलब्ध विभिन्न जनजातीय अधिनियमों और नियमों के बारे में जागरूकता पैदा की जायेगी, जिससे ये प्रतिनिधि इन योजनाओं का लाभ जनजातीय लोगों को दिलाने में मदद कर सकेंगे। जनजातीय युवकों को स्वयंसेवकों के रूप में व्यक्तित्व विकास का प्रशिक्षण देकर, उनके बीच सामाजिक जिम्मेदारी की भावना पैदा करने और इस तरह से जनजातीय नेतृत्व तैयार करने के लिए यह मॉडल डिज़ाइन किया गया है। यह जनजातीय नेता अपने समुदाय में जागरूकता फैलाने के लिए काम करेंगे।

दूसरा प्रयास, महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में 10,000 जनजातीय किसानों को गौ-आधारित कृषि तकनीकों पर आधारित स्थायी प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण देने के बारे में है। किसानों को जैविक प्रमाणन दिलाने में मदद की जाएगी और उनमें से प्रत्येक जनजातीय किसान को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विपणन के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे।

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