कुपोषण को नियंत्रित करने के लिए आयुष तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

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नई दिल्ली : पोषण अभियान के तहत कुपोषण को नियंत्रित करने के लिए आज नई दिल्ली में आयुष मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इसके तहत कुपोषण को नियंत्रित करने के लिए समय पर खरे उतरे और वैज्ञानिक रुप से सिद्ध आयुष आधारित समाधानों पर काम किया जाएगा।

आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव श्री राम मोहन मिश्रा ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन इरानी और आयुष मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

श्रीमती इरानी ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि दोनों मंत्रालयों के संयुक्त प्रयास देश में माताओं और बच्चों में कुपोषण की समस्या से निपटने में एक दीर्घकालीन समाधान साबित होंगे। उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में प्रत्येक आंगनवाड़ी में न्यूट्री-गार्डन और औषधीय उद्यान स्थापित किए जाएंगे।

इस अवसर पर श्री श्रीपद नाइक ने कहा कि आयुर्वेद और अन्य आयुष प्रणालियों में गर्भवती महिलाओं द्वारा आहार का सही सेवन, माताओं में शिशुओं को स्तनपान कराने की आदत डालना, माताओं में दूध के स्राव को बेहतर करने के लिए पारंपरिक उत्पादों का उपयोग तथा बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन आदि के बेहतर तरीकों के माध्यम से हल्के और मध्यम कुपोषण की समस्या से निपटने के कई विशिष्ट उपाय मौजूद हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत को पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों का सबसे बड़ा नेटवर्क होने का गौरव प्राप्त है। अपनी व्यापक पहुंच, सामर्थ्य, सुरक्षा और लोगों के भरोसे के कारण ये व्यापक रूप से स्वीकार किए जाते हैं। इसने मंत्रालय को चिकित्सा की ऐसी प्रासंगिक प्रणाली को एकीकृत करने का अवसर दिया है जिनकी व्यापक स्वीकृति है।

समझौता ज्ञापन के तहत आयुष और महिला एंव बाल विकास मंत्रालय आयुर्वेद, योग और अन्य आयुष प्रणालियों के माध्यम से पोषण अभियान में आयुष को एकीकृत करने और कुपोषण के प्रबंधन के लिए मिलकर काम करेंगे। “पोषण अभियान” या राष्ट्रीय “पोषण मिशन” भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पोषण परिणामों में सुधार करने के लिए चलाया गया भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है।

इसके लिए दोनों मंत्रालयों के बीच परस्पर सहयोग के विशिष्ट क्षेत्रों में (i) पोषण अभियान में आयुष प्रणालियों को एकीकृत करना और (ii) आयुर्वेद, योग और अन्य आयुष प्रणालियों के सिद्धांतों और प्रथाओं के माध्यम से कुपोषण पर नियंत्रण करना शामिल है। इन्हें निम्नलिखित गतिविधियों में सहयोग के माध्यम से लागू किया जाएगा:

  1. आंगनवाड़ी केंद्रों पर
  • योग कार्यक्रम
  • महीने
    में एक बार आंगनवाड़ी केंद्रों का आयुष की टीमों द्वारा दौरा और आंगनवाड़ी
    कार्यकर्ताओं को जागरुक बनाने के लिए राज्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों
    (डब्ल्यूसीडी विभाग) के समन्वय में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ आयुष
    चिकित्सा अधिकारियों की बैठक
  • पोशन वाटिकाओं का विकास।
  1. आयुष पोषण संबंधी देखभाल के लिए
  • लक्षित आबादी के पोषण की स्थिति के बारे में आधारभूत डेटा बनाना
  • सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से टेलीमेडिसिन / आयुष हेल्पलाइन / कॉल सेंटर का प्रावधान
  • पोषण के नजरिए से विशिष्ट क्षेत्रों का निर्धारण
  • वैज्ञानिक मूल्यांकन के लिए सभी प्रयासों का उचित प्रलेखन
  1. पारंपरिक
    स्वदेशी खाद्य पदार्थों के बारे में समुदायिक स्तर पर जागरूकता पैदा  करने
    और आयुर्वेद और अन्य आयुष प्रणालियों पर आधारित पोषण की अवधारणा को बढ़ावा
    देने के लिए आईईसी गतिविधियां
  2. जमीनी स्तर पर समुदाय के बीच आयुर्वेद से संबंधित पोषण संदेश पहुंचाने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को ‘धात्रि’ यानी कि पोषण को बढ़ावा देने के लिए समर्पित स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में नामित किया जा सकता है।
  3. आयुर्वेद
    और अन्य आयुष प्रणालियों को बढ़ावा देने और एकीकृत दृष्टिकोण के माध्यम से
    समग्र पोषण संबंधी देखभाल प्रदान करने के लिए ऐसी अन्य गतिविधियाँ।

दोनों मंत्रालयों ने डिजिटल मीडिया पर कुपोषण से निबटने के बारे में अपनी संयुक्त गतिविधियों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए “हैशटैग # आयुष 4 आंगनवाड़ी” शुरू करने का भी फैसला किया है।

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