झारखण्ड : राज्यपाल ने कहा योग एवं ध्यान को अपनी दिनचर्या में अवश्य अपनाना चाहिये

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रांची : माननीया राज्यपाल ने आज राँची विश्वविद्यालय द्वारा आयेजित पाँच दिवसीय कार्यक्रम “FACULTY DEVELOPMENT PROGRAM ON YOGA FOR WELL-BEING AND LIFE SKILLS DEVELOPMENT” में ऑनलाइन वेबिनार (गूगल मीट) के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि लोगों को योग एवं ध्यान को अपनी दिनचर्या में अवश्य अपनाना चाहिये। उन्होंने कहा कि इससे लोग शारीरिक एवं मानसिक, दोनों रूप से स्वस्थ रहते हैं। उन्होंने स्वयं की बात करते हुए कहा कि “उनका जीवन बहुत संघर्षमय रहा है। वह सुबह जल्दी उठने में विश्वास करती है और दिन की शुरुआत योग से होती है।” उन्होंने सभी से योग करने का आहवान करते हुए कहा कि यह शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में पूरी दुनिया नोवेल कोरोना (कोविड-19) जैसी भीषण समस्या से जूझ रही है। ऐसे में दूरी का पालन करने हेतु हमें इसी प्रकार के तकनीक के माध्यम से जुड़ना होगा। उन्होंने कहा कि हमारे वैज्ञानिक वैक्सीन निर्माण की दिशा में दिन-रात लगे हुए हैं। आशा है कि जल्द ही सुखद परिणाम आयेंगे। हमने दुनिया के कई मुल्कों को मानवीय आधार पर नोवेल कोरोना वायरस से निज़ात पाने के लिये दवा भेजी। विभिन्न देशों ने हमारे राष्ट्र की उदारता के प्रति कृतज्ञता अर्पित की। उन्होंने सभी से आयुष मंत्रालय द्वारा काढ़ा का सेवन करने की सिफारिशों पर बल देते हुए कहा कि वे इसका निरंतर सेवन करती हैं। इसके साथ गिलोई का भी सेवन करती हैं।

उन्होंने राँची विश्वविद्यालय द्वारा इस प्रकार के तकनीक के माध्यम से पढ़ाने की सराहना करते हुए कहा कि इससे विद्यार्थियों का सत्र विलम्ब नहीं होगा। इससे पूर्व राँची विश्वविद्यालय की प्रतिकुलपति डॉ. कामिनी कुमार ने स्वागत करते हुए कहा कि राँची विश्विद्यालय अपने विद्यार्थियों को योग को अपनी दिनचर्या में सम्मिलित करने हेतु निरन्तर प्रेरित करता है। राँची विश्वविद्यालय में योगा विभाग भी संचालित है। उन्होंने कहा कि हम सभी को योग की अहमियत से अवगत कराने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल महोदया ने विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन प्राप्त होने के साथ योग के प्रति विद्यार्थियों को प्रेरित करने का भी सुझाव प्राप्त होता रहा है जिसे विश्वविद्यालय परिवार कार्यान्वित करने की दिशा में अग्रसर है। इस वेबिनार में राँची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रमेश कुमार पांडेय समेत कई अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षाविद सम्मिलित थे।

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