रेपो रेट में कमी का लाभ बैंकिंग सेक्‍टर द्वारा ग्राहकों को देने पर सरकार की पैनी नजर है: वित्त मंत्री

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नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल की प्रबंध समिति के सदस्यों के साथ बातचीत करते हुए कहा कि सरकार ने धन सृजन करने वालों के विशेष महत्व को सदैव रेखांकित किया है क्योंकि वे रोजगार अवसर सृजित करते हैं और इसके साथ ही देश में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए संसाधनों का इष्टतम उपयोग भी करते हैं।

वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सदैव मदद देने के लिए तत्‍परता दिखाई है और इसके साथ ही एमएसएमई को सराहा है। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि हम बैंकों के साथ परामर्श कर स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं, ताकि सरकार द्वारा घोषित राहत उपाय प्रभावकारी ढंग से जमीनी स्तर पर पहुंच सकें। उन्‍होंने कहा कि विशेषकर रेपो रेट में कमी का लाभ ग्राहकों को घटी हुई ब्याज दरों के रूप में देने पर सरकार की पैनी नजर है।

वित्त मंत्री ने कहा कि व्यापार और उद्योग पर कोविड-19 महामारी के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के उद्देश्‍य से कारोबारियों के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के गारंटी बि‍ना स्‍वत: ऋण देने की व्‍यवस्‍था के तहत ऋणों के वितरण पर करीबी नजर रखी जा रही है।

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने हमेशा न्यूनतम सरकार एवं अधिकतम शासन पर फोकस किया है और इसके साथ ही उद्योग के समक्ष मौजूद चुनौतियों को दूर करने पर विशेष ध्‍यान दिया जा रहा है और ‘कारोबार में आसानी’ को बढ़ावा दिया जा रहा है।

उन्‍होंने कहा कि सरकार ने सदैव सभी उद्योग हितधारकों, विशेषकर एमएसएमई (सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम) को बिना भेदभाव के मदद प्रदान की है।

सरकार द्वारा घोषित किए गए महत्वपूर्ण सुधारों की सराहना करते हुए पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के अध्यक्ष डॉ. डी के अग्रवाल ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि 20.97 लाख करोड़ रुपये का प्रोत्साहन पैकेज एक अत्‍यंत व्यापक, पर्याप्त और दुनिया के अन्य देशों द्वारा प्रदान किए गए सबसे बड़े पैकेजों में से एक है।

डॉ. डी के अग्रवाल ने कहा कि पैकेज में न केवल मौद्रिक और वित्तीय प्रोत्साहन निहित हैं, बल्कि भारत को अगली नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए गेमचेंजर यानी व्‍यापक बदलाव लाने वाले सुधार भी शामिल हैं।

उन्होंने सुझाव दिया कि पर्यटन, विमानन, मनोरंजन, रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल जैसे अत्‍यंत प्रभावित सेक्‍टरों के लिए वर्गीकरण पर असर डाले बिना ही ऋणों का एकबारगी पुनर्गठन करना समय की मांग है।

डॉ.अग्रवाल ने सुझाव दिया कि बैंकरों के मन से आशंकाओं को दूर करने के लिए सरकार और बैंकिंग सेक्‍टर के बीच औपचारिक संवाद सुनिश्चित किया जा सकता है, ताकि बैंक अधिकारी बिना किसी भय के व्यापार एवं उद्योग जगत के लिए ऋण स्वीकृत और वितरित कर सकें।

उन्होंने सुझाव दिया कि यदि कोई व्यावसायिक इकाई किसी वास्तविक कारण से एनपीए में तब्‍दील हो जाती है तो कोई भी आपराधिक कार्यवाही उसके खिलाफ शुरू नहीं की जानी चाहिए।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि सरकारी खर्च में वृद्धि के जरिए जल्‍द-से-जल्‍द मांग का सृजन करने की जरूरत है और इसके साथ ही त्‍वरित (फास्ट ट्रैक) श्रम, कानूनी एवं भूमि सुधारों के जरिए घरेलू उद्योग जगत की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने की भी आवश्‍यकता है, ताकि भारत को एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनाया जा सके।

डॉ. डी के अग्रवाल ने कहा कि पीएचडी चैंबर को पूरा भरोसा है कि वित्त मंत्री के गतिशील नेतृत्व में भारत कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में विजयी बनकर उभरेगा। उन्‍होंने कहा कि पीएचडी चैंबर इस अत्यंत कठिन समय में सरकार और देशवासियों को अपनी ओर से पूर्ण सहयोग का आश्वासन देता है।

वित्त मंत्री ने विनम्रतापूर्वक पीएचडीसीसीआई के सदस्यों की चिंताओं का निराकरण किया और अर्थव्यवस्था, व्यापार एवं उद्योग के विभिन्न पहलुओं पर पीएचडी चैंबर द्वारा दिए गए सुझावों को नोट किया। इस संवादात्‍मक सत्र में उपस्थित अन्य प्रतिष्ठित प्रतिभागियों में ये शामिल थे: श्री अजय भूषण पांडेय, सचिव (वित्त), राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार; श्री देबाशीष पांडा, सचिव, वित्तीय सेवा विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार; श्री राजेश वर्मा, सचिव, कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय, भारत सरकार; डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन, मुख्य आर्थिक सलाहकार, आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार; श्री संजय अग्रवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, पीएचडी चैंबर; श्री प्रदीप मुल्तानी, उपाध्यक्ष, पीएचडी चैंबर; श्री सौरभ सान्याल, महासचिव, पीएचडी चैंबर; पीएचडी चैंबर के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध समिति के सदस्यगण।

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