सारे अधिकार और फंड मोदी सरकार ने अपने पास रखकर कर्तव्य और दायित्व राज्य सरकारों पर थोप दिए: कांग्रेस

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 नरेंद्र मोदी के फ़ैसलों ने कोरोना संकट को मानवीय त्रासदी में बदला

·      बेरोज़गारी तो होगी लेकिन इसकी ज़िम्मेदार भी केंद्र सरकार

·      छत्तीसगढ़ में न कोई भूखा रहा न किसी को पैदल चलने की मजबूरी रही
 
 
रायपुर, 31 मई, 2020. कोरोना प्रबंधन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के बयान पर कांग्रेस ने कहा है कि भाजपा केंद्र सरकार की नाकामियों को छिपाने के लिए राज्यों पर दोष मढ़ने की कोशिश कर रही है. लेकिन जनता सब जान समझ रही है. छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि सच यह है कि 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा होते ही केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने ‘आपदा प्रबंधन कानून’ के तहत सारे अधिकार अपने पास रख लिए थे और राज्य सरकार तो सिर्फ़ आदेशों का पालन करते रहे.
 
उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री राहत कोष के रहते हुए नरेंद्र मोदी ने ‘पीएम केयर्स’ नाम की एक संस्था खड़ी करने का षडयंत्र रचा और सारी राशि अपने पास रख ली. राज्यों के बार बार अनुरोध के बाद भी कोरोना से लड़ने के लिए कोई सहायता राशि नहीं दी गई. सांसदों की निधि से लेकर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से हज़ारों करोड़ रुपयों की राशि ‘पीएम केयर्स’ में रख ली जिसका हिसाब न सार्वजनिक किया जा रहा है और न इसका ऑडिट कैग के ज़रिए होने वाला है.
 
शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि जिस दिन रेलमंत्री पीयूष गोयल झूठ का पुलिंदा लेकर बयान दे रहे थे उसी दिन तय हो गया था कि अब भारतीय जनता पार्टी और केंद्र की मोदी सरकार ने अपनी विफलताओं का ठीकरा राज्य सरकारों पर फोड़ने का षडयंत्र शुरु कर दिया है. उन्होंने कहा है, “सच यह है कि राज्यों में सारी गतिविधियां बंद करने का फ़ैसला प्रधानमंत्री का था, मज़दूरों को बिना काम-धाम किए रोकना उन्हीं का फ़ैसला था, आर्थिक गतिविधियां रोकना भी उन्हीं का फ़ैसला था. यहां तक कि कोरोना के इलाज के लिए किट उपलब्ध करवाना भी शुरुआत में केंद्र के हाथ में था.” दरअसल कोरोना संकट एक चिकित्सकीय संकट था जिसे मोदी सरकार के फ़ैसलों ने मानवीय त्रासदी में बदल दिया.
 
संचार विभाग प्रमुख ने कहा है कि अगर केंद्र की भाजपा सरकार इस संकट से निपटने में सक्षम होती तो लॉकडाउन की घोषणा होते ही दिल्ली की सीमा पर इकट्ठा हुए लाखों मज़दूरों को रोक लेती या कोई इंतज़ाम कर लेती. सच यह है कि लाखों लोग पहले दिन से सड़कों पर जो निकले तो आज तक यह सिलसिला रुका नहीं है. सड़कों पर हज़ारों मील पैदल चलने के लिए मजबूर करने वाली सरकार केंद्र की भाजपा सरकार ही है. सड़कों पर और रेलवे ट्रैक पर हुई अनगिनत मौतों के लिए भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही ज़िम्मेदार हैं. दर्जनों ट्रेनों के रास्ता भटकने के लिए कौन ज़िम्मेदार है यह बताने की ज़रुरत भी नहीं है.
 
पूर्व मुख्यमंत्री के बयान पर अफ़सोस ज़ाहिर करते हुए शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि पंद्रह साल प्रदेश के मुखिया रहे व्यक्ति को सत्ताच्युत होते ही इस राज्य से इतना भी लगाव नहीं बचा है कि वे अपनी पार्टी के सांसदों से कह पाते कि वे कोरोना संकट से निपटने के लिए अपनी सांसद निधि का पैसा राज्य में खर्च करवा पाते. उन्होंने कहा है कि जहां तक आर्थिक संकट का सवाल है तो इसे तो प्रदेश की सरकार ने स्वीकार किया है और इसीलिए उसने केंद्र से 30 हज़ार करोड़ का आर्थिक पैकेज मांगा है. अच्छा होता यदि रमन सिंह राजनीतिक रोटी सेंकने वाले बयान की जगह इस पैकेज के समर्थन में प्रधानमंत्री को पत्र लिखते.
 
उन्होंने कहा है कि मज़दूरों से ट्रेनों का किराया वसूलने वाली भाजपा सरकार का बचाव करने से पहले रमन सिंह को जानना चाहिए कि छत्तीसगढ़ सरकार ने मज़दूरों को लाने के लिए 50 से अधिक ट्रेनें चलाईं और उनका किराया भी ख़ुद भरा. सात राज्यों से घिरे हाने के कारण हर राज्य के मज़दूर छत्तीसगढ़ से गुज़रते रहे और छत्तीसगढ़ सरकार ने सामाजिक संगठनों और स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से ऐसा इंतज़ाम किया कि न तो राज्य में कोई भूखा रहा और न कोई पैदल घर गया.
 
शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि केंद्र सरकार ने जब महंगाई भत्ता न देने की घोषणा की तब रमन सिंह चुप रहे लेकिन राज्य की मजबूरी पर वे घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं. राज्य में 23 लाख से अधिक मज़दूरों को मनरेगा से मिल रहे रोज़गार, राजीव गांधी किसान न्याय योजना से किसानों को मिल रही नकद राशि और लघु वनोपज से आदिवासियों को मिल रहे लाभ रमन सिंह को नहीं दिख रहे हैं और वे बेरोज़गारी पर विलाप कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि सिर्फ़ छत्तीसगढ़ में नहीं नहीं बल्कि पूरे देश में बेरोज़गारी बढ़ी है और आने वाले दिनों में और बढ़ेगी लेकिन इसका पूरा ज़िम्मा बिना विचार किए लॉकडाउन करने वाली भाजपा की केंद्र सरकार पर है.
 
अगर नरेंद्र मोदी की सरकार अगर ईमानदार है तो उन्हें चाहिए कि वे केंद्रीय श्रम मंत्रालय से राज्यवार बेरोज़गारी का आंकड़ा जारी करें और फिर कांग्रेस रमन सिंह के साथ खुली चर्चा को तैयार है कि किस राज्य में कितनी बेरोज़गारी है. शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि अगर 15 सालों में रमन सिंह ने ठीक तरह से ढांचागत विकास किया होता तो आज सरकार और बेहतर ढंग से इस संकट का मुक़ाबला करती क्योंकि तब कम मज़दूर पलायन करके दूसरे राज्यों में गए होते.
 
संचार विभाग प्रमुख ने कहा है कि रमन सिंह जी इंतज़ार करें और देखें कि भूपेश बघेल जी की सरकार किस तरह इस संकट से निपटती है और किस तरह से सुनिश्चित करती है कि विकास के कार्य न रुकें. यह अवश्य होता कि सेंट्रल विस्टा और स्काई वॉक की तरह अनावश्यक निर्माण नहीं होंगे लेकिन विकास का कोई कार्य नहीं रुकेगा.

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