आस्था और उल्लास के साथ कोण्डागांव के 700 वर्ष पुराने मेले का हुआ शुभारम्भ

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पारम्परिक रीति-रिवाजो के साथ हुआ देवी-देवताओं की हुई परिक्रमा
मंत्री कवासी लखमा, विधायक मोहन मरकाम, चंदन कश्यप,
कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक भी हुए मेले में शामिल

कोण्डागांव, जिले की आस्था और परम्परा के प्रतीक कोण्डागांव के 700 वर्ष से अधिक पुराने मेला आज प्रारंभ हो गया। इस मौके पर अपार जन समूह द्वारा भीगे चावलों एवं पुष्प-पंखुड़ियो की वर्षा के साथ देवी-देवताओं की अगुवानी कर परंपरा निभाई गयी। इस दौरान मंत्री कवासी लखमा, विधायक मोहन मरकाम, चंदन कश्यप ने भी मेले में शिरकत की।

छः दिवस तक चलता है कोण्डागांव का मड़ई

होली त्यौहार से लगभग छह दिवस पूर्व आयोजित होने वाले इस मेले में इस वर्ष भी आसपास के ग्रामों से आए ग्रामीणों एवं उनके देवी-देवताओं के भारी हुजुम में आस्था और संस्कृति के विभिन्न रंग देखने को मिले। यूं तो बस्तर संभाग के सभी पारम्परिक मेले-मड़ई अपनी विशेषता के कारण एक अलग पहचान रखते है क्योंकि मड़ई यहां मात्र मनोरंजन का आयोजन नहीं है बल्कि इसके माध्यम से क्षेत्र के अलग-अलग समुदाय अपने आराध्य ग्राम देवी-देवताओं का पूरे विधि-विधान, पूजा-अर्चना के साथ अपनी धार्मिक सद्भावना प्रदर्शित करते है। ताकि आगामी नये वर्ष में संपूर्ण क्षेत्र में सुख समृध्दि बनी रहे। इस वर्ष भी उक्त मेले में जिले के आस-पास के ग्रामों जैसे पलारी, भीरागांव, बनजुगानी, भेलवापदर, फरसगांव, कोपाबेड़ा, डोंगरीपारा के ग्रामीण देवी देवता, माटीपुजारी, गांयता सम्मिलित हुए। जहां आराध्य मां दन्तेश्वरी के अलावा विभिन्न समुदायो के देवी देवताओं जैसे सियान देव, चौरासी देव, बुढाराव, जरही मावली, गपा-गोसीन, देश मात्रा देवी, सेदंरी माता, दुलारदई, कुरलादई, परदेसीन, रेवागढ़ी, परमेश्वरी, राजाराव, झूलना राव, आंगा, कलार बुढ़ा, हिंगलाजीन माता, बाघा बसीन देवताओ की पूरे धार्मिक विधि-विधान ढ़ोल नगाडे़, मोहरी, तोड़ी, मांदर एंव शंख ध्वनि के साथ भव्य पूजा अर्चना सम्पन्न की गई।
इसके पूर्व मेले से एक दिन पहले सोमवार की रात्रि को मेला परिसर में स्थित दंतेश्वरी मावली मंदिर में मुख्य पुजारियों द्वारा दैवीय अनुष्ठान किया गया जिसे स्थानीय बोली में ’’निशा जात्रा’’ कहा जाता है। तत्पश्चात इस क्रम में आज प्रातः मुख्य पूजा स्थल मावली माता के मंदिर के सभी पुजारीगण फूलो से सुसज्जित मंडप तैयार कर एक अन्य पुरातन मंदिर की इष्ट देवी बुढ़ी माता (डोकरी देव) के मंदिर में एकत्रित हुए और माता की पालकी को मुख्य मेला स्थल लाया गया। चूंकि बुढ़ी माता (डोकरी देवी) क्षेत्र के समस्त समुदायो की इष्ट देवी भी मानी जाती है अतः देवी को लाये जाने के पश्चात मुख्य पुजारियो एंव सिरहाओ द्वारा नगर के प्रमुख अधिकारी एंव जन प्रतिनिधि गणो की अगुवानी की गई। सम्पूर्ण मेला स्थल की परिक्रमा भी परम्परागत दैवीय अनुष्ठान का एक प्रमुख अंग माना जाता है। इस क्रम में सर्वप्रथम ग्राम पलारी से आई हुई माता डोली एंव लाट द्वारा सर्वप्रथम पूरी भव्यता के साथ भ्रमण किया गया। तत्पश्चात उनके पीछे-पीछे अन्य ग्रामो के देवी देवताओ एंव ग्रामो की डोलियां ने उनका अनुसरण करते हुए परिक्रमा किया, इनके साथ ही छतर एंव डंगई लाट धरे हुए उनके भक्त गण एवं सेवादार भी साथ चल रहे थे। इस दौरान पांरम्परिक आस्था के प्रतीक स्वरूप इन लाटो को काले, लाल झंडियो एंव फूलो से सजाया गया था और पूरा मेला स्थल ढ़ोल, मोहरियों, मांदर की धुन से गुंजायमान था।

जिले के जनप्रतिनिधियों के संग कलेक्टर एवं एसपी ने की मेले की परिक्रमा

इस अवसर पर अध्यक्ष जिला पंचायत देवचंद मातलाम, नगर पालिका अध्यक्ष हेमकुंवर पटेल के अलावा जिला कलेक्टर नीलकंठ टीकाम, एसपी सुजीत कुमार, एसडीएम पवन प्रेमी, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास जी.एस.सोरी, तहसीलदार यू के मानकर एवं अन्य जनप्रतिनिधियों द्वारा भी मेले स्थल की पारंपरिक परिक्रमा की गयी। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष भी मेले में सभी अत्याधुनिक प्रकार के झूले, मीना बाजार, सर्कस, मनोरंजन की वस्तुएं, दैनिक उपयोग की सामग्रिया, खाने पीने से लेकर सजने संवरने के विभिन्न स्टॉल मेले में लगाये गए है। इस संबंध में जिला प्रशासन द्वारा मेले में सभी आवश्यक व्यवस्थाये भी की गई है। इसके साथ ही इस मेले में जिला मुख्यालय के आसपास के ग्राम जैसे कोकोड़ी, किबई बालेंगा, पाला, तेलंगा, खरगांव, गोलावण्ड के नर्तक दलो द्वारा पारम्परिक लोक नृत्यों का प्रदर्शन किया जायेगा।

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