दिल्ली हिंसा पर बोले ओवैसी, प्रभावित इलाकों का दौरा करें प्रधानमंत्री मोदी

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हैदराबाद

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दिल्ली में हुए दंगों को ''लक्षित संगठित हिंसा'' करार देते हुए रविवार को कहा कि जिम्मेदारी भाजपा सरकार पर है। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित इलाकों का दौरा करने की अपील की। एआईएमआईएम की 62वीं स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए हैदराबाद के संसद ओवैसी ने दोहराया कि भाजपा नेताओं के भाषण की वजह से हिंसा हुई। उन्होंने आरोप लगाया, ''पूरी योजना और तैयारी के साथ सांप्रदायिक हिंसा हुई। नफरत का माहौल पैदा किया गया। इसे सांप्रदायिक हिंसा नहीं कहा जाना चाहिए बल्कि यह तबाही है।'' ओवैसी ने कहा, ''हमें उम्मीद है कि आपने (प्रधानमंत्री) 2002 (गुजरात दंगों) से सबक लिया होगा और सुनिश्चित करेंगे कि इस तरह की घटनाएं दोबारा नहीं हो…।'' दिल्ली के एक मेट्रो स्टेशन के पास कुछ युवकों द्वारा की गई नारेबाजी का संदर्भ देते हुए एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा, ''… ये कौन लोग हैं जो ' गोली मारो देश के गद्दारों को बोल रहे हैं। प्रधानमंत्री जी यह दंगा योजना के साथ हुआ। यह लक्षित संगठित हिंसा है और इसकी जिम्मेदारी आप पर है।'' उन्होंने कहा कि दिल्ली दंगों की जिम्मेदारी केंद्र में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की दहलीज पर है।

 

प्रधानमंत्री मोदी से राष्ट्रीय राजधानी के दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा करने की अपील करते हुए ओवैसी ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि क्या प्रधानमंत्री हमारे दर्द को मासिक रेडियो कार्यक्रम ''मन की बात में बताएंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश में शनिवार को दिए भाषण में दिल्ली हिंसा का उल्लेख नहीं किया जबकि वह '' सबका साथ, सबका विकास का विचार रखते हैं। दिल्ली पुलिस की निंदा करते हुए ओवैसी ने हिंसा प्रभावित मुस्लिम इलाकों से मांगी गई मदद पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया। गौरतलब है कि गत हफ्ते उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में कम से कम 42 लोगों की मौत हो गई थी जबकि करीब 200 अन्य लोग घायल हुए हैं। ओवैसी ने घोषणा की कि एआईएमआईएम के निर्वाचित प्रतिनिधि दिल्ली हिंसा में मारे गए लोगों की मदद करने के लिए एक महीने का अपना वेतन दान देंगे। उन्होंने कहा कि एआईएमआईएम तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव से अनुरोध करेगी कि वह राज्य में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर(एनपीआर) की प्रक्रिया लागू नहीं करें।

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