कांग्रेसियों के खेल से खिलाड़ी परेशान

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रायपुर। भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष विजय शर्मा ने कहा है कि आदिवासियों के उत्थान के लिये सरकार विभिन्न योजनाओं का दावा तो कर रही है लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि प्रदेश सरकार की नाक के नीचे उसकी प्रशासनिक मशीनरी एक तरफ बस्तर संभाग के विद्यार्थियों की प्रतिभा तराशने के लिये शुरू की गई खेलगढ़िया योजना में कमीशनखोरी से बाज नहीं आ रही है, वहीं दूसरी तरफ सरगुजा संभाग में आदिवासियों को पीडीएस के तहत कीड़े लगे हुए चावल की आपूर्ति कर उनके स्वास्थ्य और जान-माल से खिलवाड़ किया जा रहा है।
भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि बस्तर सम्भाग के सुकमा जिले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने खेलगढ़िया योजना में बड़ी गड़बड़ी की है। शासन के नियमों को ताक पर रखकर समन्वयकों के जरिये खेलगढ़िया के नाम पर राशि वसूली जा रही है। जबकि इस योजना के तहत राज्य शासन द्वारा निर्धारित राशि सीधे शाला प्रबंधन समिति के खाते में जमा होनी थी और शाला के प्राचार्य और शाला समिति को मिलकर विद्यार्थियों की रुचि के अनुसार खेल सामग्री खरीदनी थी, लेकिन इन नियमों का पालन नहीं किया गया है और सुकमा जिले के स्कूलों को मिली बीस लाख रुपये की राशि से शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने खेल सामग्रियों खरीदी कर ली। श्री शर्मा ने कहा कि इस खरीदी गई सामग्री की कीमत और उसके बाजार मूल्य में भारी अंतर है। विद्यार्थियों की रुचि और खेल प्रतिभा को तराशने व निखारने के लिये शुरू की गई यह योजना भी प्रदेश सरकार की नाकामियों के चलते भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। इस फर्जीवाड़े की उच्चस्तरीय जाँच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि यह प्रदेश सरकार आदिवासियों के नाम पर ढोल तो खूब पीट रही है लेकिन उनके स्वास्थ्य के साथ हो रहे खिलवाड़ पर मौन साधे बैठी है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जिस संभाग के प्रतिनिधित्व करते हैं, उनके रहते पीडीएस के तहत 8 हजार क्विंटल कीड़ायुक्त चावल आदिवासियों को वितरित किया जा चुका है। बलरामपुर जिले के प्रेमनगर में एफसीआई के गोदाम में उक्त कीड़ायुक्त चावल रिसाइकिल कर पीडीएस की दुकानों में भेज दिया गया है। जबकि उक्त चावल की गुणवत्ता जाँचने के लिये एफसीआई के लैब में नमूना भेजा गया था। लैब की जाँच रिपोर्ट आने तक जिस चावल के वितरण पर रोक लगाई गई थी लेकिन रिपोर्ट आने के पहले ही अधिकारियों ने यह चावल दुकानों में खपाना शुरू कर दिया। इस चावल के उपभोग से बड़े पैमाने पर फूड पॉयजनिंग का खतरा आदिवासी बहुल सरगुजा संभाग पर मंडरा रहा है। श्री शर्मा ने कहा कि यह हैरत की बात है कि खाद्य विभाग द्वारा बार-बार सचेत करने के बावजूद नान अधिकारी इस मामले में उदासीन हैं। प्रदेश सरकार को इस मामले की गम्भीरता को समझते हुए इस पर संज्ञान लेकर उक्त चावल का वितरण तत्काल रुकवाना चाहिये और दोषी अधिकारियों को शीघ्र दण्डित किया जाना चाहिए अन्यथा बड़ा आंदोलन किया जाएगा।

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