आजम खां की गिरफ्तारी के बाद समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ी

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 लखनऊ 
आजम खां के मामले पर समाजवादी पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वह पार्टी का सशक्त मुस्लिम चेहरा माने जाते हैं और मुलायम सिंह यादव के साथ ही अखिलेश यादव भी उनको खासी अहमियत देते रहे हैं।

रामपुर में उनके खिलाफ हुई प्रशासन की कार्रवाई पर सपा पहले से उनका बचाव करती रही है। सपा मुखिया अखिलेश यादव खुद कई बार रामपुर जा चुके हैं और जिला प्रशासन पर जानबूझ कर फंसाने का आरोप लगा चुके हैं। चूंकि आजम खां ही नहीं, उनके परिवार पर कानूनी  शिकंजा कसा है। ऐसे में सपा इस मुद्दे को किस तरह उठाती है और आगे किस तरह की रणनीति बनाती है, यह देखने की बात होगी।

संस्थापक सदस्य हैं आजम खां
आजम खां सपा के संस्थापक सदस्य हैं। वे 1980 में पहली बार रामपुर सीट से विधायक बने और लंबे अर्से तक रामपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने जाते रहे। वे राज्यसभा में भी रहे। 1992 में जब मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी बनाई तब आज़म ख़ान भी उनके साथ हो लिए। मुलायम सिंह यादव आजम खां को खासी तरजीह देते रहे हैं। मुलायम सिंह व अखिलेश यादव ने उन्हें अपनी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया और आजम संसदीय कार्यमंत्री भी रहे।
 

2009 में सपा का दामन छोड़ा 
सपा में भीतरी विवाद के चलते आजम खां को अहसास हुआ कि उनकी उपेक्षा हो रही है। वे कल्याण सिंह व मुलायम सिंह यादव की नजदीकी से असहज रहे। अमर सिंह बढ़ते रुतबे से भी उन्हें बेचैनी हुई। 2009 में वे सपा से अलग हो गए। कहा कि उन्हें सपा से निकाला गया। खुद पार्टी नहीं छोड़ी। लेकिन वे किसी और दल में नहीं गए और मुलायम के कहने पर सपा में कुछ समय बाद लौट आए। मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर आजम खां ने उन्हें रामपुर में बग्घी में बिठाकर घुमाया था।

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