आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस का मेगा फ्लॉफ शो! आंदोलन में पहुंचे चंद लोग, खाली रही सैकड़ों कुर्सियां

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रायपुर
केन्द्र सरकार को आरक्षण विरोधी बताते हुए छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में सत्ताधारी दल कांग्रेस (Congress) ने रविवार को राजधानी के गांधी मैदान में खाली कुर्सियों के साथ प्रदेशव्यापी आंदोलन किया. जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा, खाली कुर्सियों के साथ प्रदेशव्यापी आंदोलन. वह भी ऐसा आंदोलन, जिसमें शामिल होने के लिए पीसीसी प्रभारी माहमंत्री की ओर से कांग्रेस संगठन के सभी जिला-ब्लॉक और शहर अध्यक्षों का पत्र लिख उपस्थित होने के लिए कहा गया था. वह तो भला हो महिला कांग्रेस का, जिनकी उपस्थिति ने सत्ताधारी दल की नाक बचा ली. नहीं तो पीसीसी की ओर से जितने नेता मंच पर थे उससे कम मंच के नीचे कुर्सियों पर मौजूद थे.

राजधानी रायपुर (Raipur) में आयोजित इस प्रदेश स्तरीय आंदोलन के दौरान कांग्रेसियों में आप बोले आप सुने की स्थिति बनी रही. नेताओं को सुनने कार्यकर्ताओं को टोटा आंदोलन के समाप्ति तक दिखाई दिया. दरअसर एलपीजी के बढ़े हुए दाम के विरोध में महिला कांग्रेस ने भी आंदोलन का आह्वान किया था, जिसमें शामिल होने महिला कांग्रेसी पहुंचीं. जिन्होंने कार्यक्रम में कुछ भीड़ बढ़ाने का काम जरूर किया, लेकिन आरक्षण के मुद्दे पर बुलाए गए लोगों में चंद लोग ही पहुंचे.

राज्य में जिस सत्ताधारी दल कांग्रेस ने केंद्र सरकार के खिलाफ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी यानी कि अपने आला कमान के निर्देश पर एक दिवसीय प्रदेशस्तरीय आंदोलन किया हो, उस आंदोलन में खुद पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ही नहीं पहुंचे.

गांधी मैदान में सुबह 11 बजे से आयोजित आंदोलन पहले ही कार्यकर्ताओं की कमी के कारण डेढ़ घंटे देरी से करीब साढ़े बारह बजे शुरू हुआ. जिसका औपचारिक समापन करीब चार बजे कर दिया गया.

राजधानी रायपुर की चार विधानसभा सीटों में से तीन पर कांग्रेस पार्टी ने साल 2018 की चुनाव में कब्जा जमाया था. कांग्रेस की ओर से रायपुर ग्रामीण से सत्यनारायण शर्मा, रायपुर पश्चिम से विकास उपाध्याय और रायपुर उत्तर से कुलदीप जुनेजा विधायक बने थे, मगर कांग्रेस के प्रदेशस्तरीय आंदोलन में राजधानी के एक भी विधायक शामिल नहीं हुए. जबकि विधायक कुलदीप जुनेजा रविवार को ही अपने विधानसभा क्षेत्र के एक भूमीपूजन कार्यक्रम नारियल फोड़ने पहुंचे थे. वहीं शहर अध्यक्ष रह चुके विकास उपाध्याय भी इस कार्यक्रम में नदारद रहे. इनके साथ ही वरिष्ठ नेता और विधायक सत्यनारायण शर्मा की अपुनस्थिति भी कई सवालों को जन्म दे रही थी.

संगठन का कोई बड़ा चेहरा शामिलप्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी की जंबो सूची में करीब तीन सौ पदाधिकारी शामिल हैं और कांग्रेस ने चुनाव से पहले करीब पांच लाख सदस्य बनाने का दावा किया था. अब तीन सौ की जंबो कार्यकारिणी और सत्ताधारी दल के चुनाव से पहले पांच लाख कार्यकर्ता, जिनकी संख्या चुनाव के बाद एकाएक बढ़ गई. उनमें से अगर दर्जन की संख्या में नेता-कार्यकर्ता आंदोलन में शामिल होंगे तो इसे मेगा फ्लॉप शो क्यों नहीं माना जाएगा. बात अगर सिर्फ राजधानी रायपुर की करें तो रायपुर से ही करीब पचास नेता पीसीसी की जंबो कार्यकारिणी में शामिल हैं. मगर मंच पर और कार्यकर्ता दिर्घा में बामुश्किल एक दर्जन नेता ही दिखाई दिए, जो बताने के लिए काफी है कांग्रेस संगठन की मौजूदा स्थिति कितनी लचर हो चुकी है.

पंद्रह सालों बाद संगठन और कार्यकर्ताओं के दम पर सत्ता में वापसी करने वाली कांग्रेस पार्टी सत्ता प्राप्ति के साथ ही संगठात्मक रूप से लचर नजर आ रही है. नए पीसीसी चीफ की नियुक्ति को छ: माह से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी ना तो नई कार्यकारिणी का ऐलान हो सका और ना ही नए पीसीसी चीफ का संगठन पर कोई प्रभाव दिखाई दे रहा है. शायद यही वजह है कि जब पीसीसी चीफ मोहन मरकाम कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन पहुंचते हैं तो नाममात्र के ही नेता-कार्यकर्ता ही उनकी अगुवाई में मौजूद रहते हैं. जबकि छत्तीसगढ़ कांग्रेस की राजनीति में पूर्व पीसीसी चीफ भूपेश बघेल, शहीद नंदकुमार पटेल की अगुवाई में दर्जनों नेताओं को नतमस्तक होते भी प्रदेश की जनता ने देखा है. मगर कांग्रेस की संगठन की मौजूदा स्थिति बताने के लिए काफी है कांग्रेस में ऑल इज नॉट वेल की स्थिति बनी हुई है.

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