किसानो ने कड़कनाथ पालन से आर्थिक आय का नया स्रोत खोज निकाला

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दंतेवाड़ा। मध्यप्रदेश के झाबुआ क्षेत्र में पाई जाने वाली कड़कनाथ प्रजाति की मुर्गियों को दंतेवाड़ा की आबोहवा भा गई है। यहां के किसान कड़कनाथ पालन से आर्थिक आय का नया स्रोत खोज निकाला है। अब इन मुर्गियों की मांग विदेशों से होने लगी है। हैदराबाद की एक कंपनी कड़कनाथ के मांस को पैकिंग कर विदेश निर्यात करेगा।

इसके लिए उन्होंने सीधा संपर्क जिला प्रशासन से किया है। इस कंपनी के कुछ सदस्यों ने एक सप्ताह पहले किसानों के मुर्गी फार्मों का मुआयना किया। छह माह के कड़कनाथ को खरीदने के लिए साढ़े छह से सात सौ रुपए कीमत लगाई है। साथ ही उन्होंने पांच हजार नग कड़कनाथ के जल्द देने की बात जिला प्रशासन से की है।

ज्ञात हो कि जिले में एक दर्जन से अधिक किसान कड़कनाथ का पालन कर रहे हैं। इन किसानों को जिला प्रशासन ने आर्थिक मदद के साथ कड़कनाथ के चूजे और चारा सहित अन्य सुविधाएं मुहैया कराई है। किसानों के पास कड़कनाथ की एक खेप तैयार हो चुकी है।

मौजूदा समय में पांच हजार से अधिक कुक्कुट किसानों के पास उपलब्ध हैं। कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस कंपनी के कुछ नुमाइंदे जल्द ही आने वाले हैं, हो सकता है इसी सप्ताह किसानों से कड़कनाथ खरीदा जाए। इसकी राशि किसानों के खाते में सीधे जमा कराई जाएगी।

जिला प्रशासन का लक्ष्य एक लाख कड़कनाथ सप्लाई का

किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए जिला प्रशासन कड़कनाथ पालन का पूरजोर प्रयास कर रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र गीदम को 44 यूनिट तैयार करने का लक्ष्य दिया है। साथ ही पशुपालन विभाग को भी किसानों के लिए जल्द 40 यूनिट जल्द तैयार कर देनी है। जिला प्रशासन ने इन दोनों विभाग को कुक्कुट पालन पर पूरी मेहनत के साथ काम करने के लिए कहा है। इन यूनिटों को तैयार करने के बाद रिपोर्ट देनी होगी। जिला प्रशासन किसानों को समृद्ध करने के लिए एक लाख कड़कनाथ उत्पादन का लक्ष्य रखा है। हालांकि इस लक्ष्य को पाने के लिए विभागों को काफी मेहनत करनी होगी। इसके अलावा किसानों को भी रूचि दिखानी होगी।

कृषि विज्ञान केंद्र में 60 लाख होंगे खर्च

कड़कनाथ कुक्कुड़ तैयार करने गीदम स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में अभी तीन हजार मुर्गा-मुर्गी मौजूद हैं। इनके अंडों को हैचिंग यूनिट में 21 दिनों में चूजे तैयार किए जा रहे हैं। यह चूजे करीब छह माह में एक से डेढ़ किलो का हो जाता है। जिसकी बाजार में कीमत प्रति नग साढ़े 600 से 700 रुपए है। इधर जिला प्रशासन की मंशा बड़ी तादाद में चूजे तैयार करने हैं। इन चूजों को किसानों को अनुदान में दी गई यूनिट में दिया जाएगा।

बताया जा रहा है कि तीन माह के अंदर 100 से अधिक किसान कड़कनाथ कुक्कुट पालन व्यवसाय से जुड़ेंगे। साथ ही 21 से अधिक स्वसहायता समूह को भी कुक्कुट पालन का प्रशिक्षण देने की तैयारी है। यह स्वसहायता समूह अधिकांश महिलाओं के होंगे। इसके लिए गीदम स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में 40 लाख रुपए से ब्रीडिंग के लिए मुर्गी-मुर्गों का पालन किया जाएगा। साथ ही किसानों को यूनिट के लिए अनुदान पर 20 लाख रुपए की आर्थिक मदद दी जाएगी।

इनका कहना है

दंतेवाड़ा में किसानों के पास तैयार कड़कनाथ की मांग हैदराबाद की आईबीजी कंपनी ने की है। कंपनी के कर्मचारी पिछले दिनों किसानों के फार्म हाउस का अवलोकन कर छह माह के एक से डेढ़ किलोग्राम वजनी 500 नग कुक्कुट सप्लाई करने कहा है। इसके लिए जिला प्रशासन से पत्राचार और अनुबंध की कार्रवाई के बाद जल्द पहली ले जाने की बात कही है। यह कंपनी विदेशों में कुक्कुट मांस सप्लाई करती है।

साभार spsamachar

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