सरकारी नौकरी करने में डॉक्टरों की रुचि नहीं, मेडिकल कॉलेजों की हालत खराब

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भोपाल
डॉक्टरों की कमी के कारण प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर नहीं आ पा रही हैं। सरकारी नौकरी करने में डॉक्टर रुचि नहीं दिखा रहे हैं यही कारण है कि मेडिकल कॉलेजों में अब डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं। हाल ही में 150 मेडिकल टीचर्स ने नौकरी छोड़ी है। प्रदेश के कई मेडिकल कॉलेजों में इस मामले में स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती है।

चिकित्सा शिक्षा की रीढ़ कहे जाने वाले मेडिकल टीचर्स सरकारी मेडिकल कॉलेजों में नहीं आ रहे हैं। सरकार द्वारा पिछले कुछ सालों में खोले गए नए मेडिकल कॉलेजों की हालत बहुत खराब है। यहां एक के बाद एक मेडिकल टीचर अपनी नौकरी छोड़कर जा रहे हैं। सबसे ज्यादा नौकरी छोड़ने वाले मेडिकल टीचर्स छिंदवाड़ा के सिम्स कॉलेज के हैं। राजधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज में बीते साल में 23 डॉक्टर (मेडिकल टीचर्स) सहित प्रदेश के 150 से भी ज्यादा डॉक्टर मेडिकल कॉलेजों की सरकारी नौकरी छोड़ चुके हैं। यही नहीं आने वाले महीनों में यह संख्या और बढ़ सकती है।

डॉक्टरों के सरकारी नौकरी छोड़ने के कारणों की पड़ताल की तो पता चला इसकी वजह, वेतनमान और पदोन्नति संबंधी विसंगतियां और सुविधाओं की कमी का दर्द है। इस दर्द की दवा तलाशने के लिए वे सरकार के सामने आवाज उठा रहे हैं, पर इसका कोई असर होता दिखाई नहीं दे रहा है। नतीजा गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) में ही पिछले दो साल में लगभग 23 डॉक्टरों का जाना। इनमें से कुछ ने निजी मेडिकल कॉलेजों में नौकरी कर ली है तो कुछ ने प्राइवेट प्रैक्टिस का रास्ता अपना लिया है। कारण, दोनों ही स्थिति में उन्हें भविष्य की बेहतरी दिखी।

चिकित्सकों का कहना कि एम्स और मप्र डीएमई में सिर्फ वेतनमान का ही अंतर नहीं है। एम्स में प्रमोशन नीति भी स्पष्ट है। एक असि प्रोफेसर तीन साल बाद एससेसिएट प्रोफेसर, अगले दो साल में एडिशनल प्रोफेसर के बाद अगले दो साल में प्रोफेसर हो जाता है। जबकि मप्र में इसमें 20 से 22 साल लग जाते हैं। यही नहीं एम्स में मेडिकल टीचर्स के वर्षों की पढ़ाई का खर्च सरकार ही उठाती है।

प्रदेश में रिसर्च के लिए कोई सुनियोजित प्लानिंग नहीं है। कोई डॉक्टर करना भी चाहे तो उसे अपने खर्च पर ही करना होगा। इसके साथ ही टीचिंग के साथ काउंसिलिंग, कोर्ट सहित अन्य प्रबंधकीय काम का बोझ भी बहुत ज्यादा होता है। यही नहीं विभाग में प्रतिनियुक्ति के नियमों के चलते भी डॉक्टर यहां से जा रहे हैं।

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