झाड़ फूंक के शक पर गांव के ही आठ लोगों ने मिलकर  वृद्ध  की हत्या

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जोगी एक्सप्रेस 

उमरिया – (तपस गुप्ता) अधीक्षक डॉ असित यादव ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर रविवार को हुवे व्रद्ध की हत्या का खुलासा करते हुवे बताया कि वृद्ध गांव में झाड़ फूंक का काम करता था इसकी हत्या इन्ही कारणों से गांव के आठ लोगों ने मिलकर की है।  पुलिस अधीक्षक  यादव ने बताया कि हत्या में शामिल सुनील का एक वर्षीय पुत्र कई दिनों से पीलिया बीमारी से ग्रसित था जिसका इलाज स्थानिय चिकित्सकों के अलावा कटनी में भी कराया गया था परन्तु अपेक्षाकृत लाभ न मिलने से पीड़ित बच्चे का परिजन म्रतक बुद्धू कोल को झाड़ फूंक करने घर लाया था परन्तु दुर्भाग्य से बुद्धू के द्वारा झाड़ फूंक के बाद बच्चे की मौत हो गयी।इस घटना से आहत सुनील को लगा कि म्रतक बुद्धू की वजह से ही बच्चे की मौत हो गयी है जिसके बाद सुनील के अलावा अन्य सात लोगों ने लाठी डंडे से व्रद्ध के साथ जमकर मारपीट की जिसके बाद व्रद्ध की मौत हो गयी।म्रत्यु के बाद गांव के कथली नदी पर आरोपी शव को लेकर गए और वही रेत आदि से गड्ढा खोदकर दफना दिए। उन्होंने बताया कि दूसरे दिन म्रतक का बड़ा भाई भंगिया कोल सम्बन्धित थाना चंदिया पहुंचा और गुमशुदगी की शिकायत की जिसके बाद स्थानीय स्तर पर आवश्यक जानकारी जुटाकर पुलिस कथली नदी पहुंची और शव को रेत से निकलकर अपने कब्जे में लिया।प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पुलिस अधीक्षक श्री यादव ने बताया कि हत्या में शामिल आठ आरोपियों में से पांच आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है बाकी तीन आरोपी फरार है जिन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जायेगा।पुलिस ने जिन पांच आरोपियों की गिरफ्तारी की है उसमें मुख्य रूप से सुनील रजक,प्रकाशमणि रैदास,गोकुल केवट,महे लाल कोल,सज्जन बैगा,सोनू कोल,सुंदर गोड शामिल है।इस पूरे मामले में  एक बात समझ से परे है कि जिस असहाय व्रद्ध को गांव के ही आठ लोगों ने लाठी डंडों से मारकर हत्या कर दी,क्या इस मारपीट के दौरान गांव के अन्य लोगों को इस घटना की तनिक भी जानकारी नही लग सकी और अगर इस घटना की जानकारी  प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गांव के दूसरे लोगों को थी तो उन्होंने मौके पर इसका विरोध क्यों नही किया और इसकी जानकारी समय पर पुलिस को क्यों नही दी।सप्ताह भर के अंदर ही अलग अलग थानों में दो हत्याएं हुई उन दोनों हत्या में आरोपियों ने झाड़फूंक के शक पर हत्या करना सामने आया जिसे किसी भी द्रष्टिकोण से सही नही कहा जा सकता । जरूरी है कि प्रशासन इस बावत ग्रामीण क्षेत्रों में जन जागरूकता फैलाये जिससे लोगों में अंधविस्वास पर विराम लग सके और अपराधों पर भी अंकुश लग सके।

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