पागलपन नहीं, मेंटल हेल्थ के लिए फायदेमंद है खुद से ही बातें करना

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क्या कभी आप मुश्किल काम को समय पर पूरा करके खुश हुए हैं या​ फिर ऑफिस में देर से पहुंचने पर खुद को कोसा है? असल में गौर किया जाए तो दोनों ही परिस्थितियों में आप चुपचाप खुद से बातें कर रहे होते हैं। मन ही मन बढ़िया काम कर खुश होते हैं तो वहीं बुरा काम करने पर खराब भी लगता है। ऐसे में जब यह बातें आप तेज आवाज में करने लगते हैं तो दोनों परिस्थितियोें में आखिर क्या अंतर रह जाता है? असल में इस तरह से तेज आवाज में बातें करना, खुद से खुद की बातचीत को थोड़ा और बेहतर करने का तरीका है।

माना कि इस तरह की हरकत पर लोग आपको पलट पलट कर देखेंगे, लेकिन यकीन मानिए कि इस तरह आप खुद को बेहतर ढंग से जान पाएंगे और आप एक बार फिर से फोकस होकर काम को नई ऊर्जा के साथ पूरा कर सकेंगे। इतना ही नहीं, खुद से बातचीत का यह ढंग आपकी मेंटल हेल्थ के​ लिए भी सेहतमंद साबित होता है।

क्या होता है खुद से बातचीत करना
जब कभी आप खुद अपने विचारों से बातचीत करते हैं तो एक बार फिर से अपने लक्ष्य के बारे में गहराई से सोचते हैं और फिर से नए फोकस के साथ उसे पूरा करने में जुट जाते हैं। असल में जब आप तेज आवाज में खुद के मन की बात जानने लगते हैं तो आप अपने काम को महत्व देना सीखते हैं। इससे जहां आप खुद पर संयम करना सीख जाते हैं तो वहीं अपने विचारों को और बेहतर ढंग से संयोजित कर बेहतर प्लानिंग कर सकते हैं।

पहुंचाता है लक्ष्य तक
खुद से बात करना कोई पागलपन नहीं, बल्कि शीशे के सामने खड़े होकर खुद से बातें करना आपको जल्द से जल्द लक्ष्य तक पहुंचाता है। यही वजह है कि किसी भी तरह के खिलाड़ी को मुश्किल समय में जोश भरने के लिए उन्हें बार बार बोला जाता है कि कम ओन यू कैन डू इट। ताकि उसमें एनर्जी लेवल बढ़े और वह पूरे फोकस के साथ खेल में ध्यान देने लगे।

खुद को प्राथमिकता दें
जब कभी बहुत सारी चीजें एकसाथ होने लगे और ऐसे लगे कि आप काम करके थकने लगे हैं तो खुद से बात करके आपको बहुत राहत मिलेगी। इतना ही नहीं, आप चाहें तो तेज आवाज में काम की लिस्ट को दोहराएं। काम की लिस्ट को एक बार फिर से देखें और जरूरत के हिसाब से सभी कामों को निपटाते जाएं। ऐसा करने से आपका पूरा ध्यान काम की ओर जाएगा और दिमाग में सभी कार्यों को जल्द से जल्द खत्म करने का संदेश जाएगा।

खुद को शाबाशी देना ना भूले
अगर आप किसी मुश्किल काम को बेहतर ढंग से और शांति से पूरा कर पाते हैं, तो खुद की पीठ थपथपाना कभी ना भूले। अपने आप में एक बार फिर से जोश भरने के लिए तेज आवाज में चिल्लाएं, अपने विचारों को सुनाएं और बेहतर काम के लिए खुद को श्रेय देना सीख जाएं।

 

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