ईश्वर को शासक मानकर उसके आदेश का पालन करना ही इस्लाम-साजिद

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जोगी एक्सप्रेस 

जमिलुर्रह्मान 

शहडोल म.प्र .धनपुरी। मुहर्रम के मौके पर हजरत इमाम हुसैन की शहादत के बारे में जानकारी देते हुए संक्षेप लिखित संदेश मे साजिद खान ने बताया कि इस्लाम समस्त मानव समाज के लिए एक संतुलित ईश्वरी जीवन व्यवस्था है। इस व्यवस्था में अल्लाह को शासक मानकर उसके सारे आदेशों का पालन करना ही इस्लाम है। यह आदेश हमारे सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक व्यक्तित्व पर भी लागू होते हैं। इस्लामी राजनीतिक की बुनियाद यह है कि इंसान को और इस समस्त संसार को ईश्वर ने बनाया और पैदा किया है, इसलिए वही पैदा करने वाला है और उसी के आदेश का पालन इंसान को करना चाहिए, इसके अतिरिक्त अपने जैसे किसी इंसान या इंसानी के समूह का कानून इंसान पर नहीं चलना चाहिए इंसान की हैसियत इस धरती पर उसके खलीफा उत्तराधिकारी की है वह स्वयं कानून बनाने वाला नहीं बल्कि ईश्वर की ओर से अवतरित कानून को इस धरती पर लागू करने वाला है जिस प्रकार हर इंसान यह चाहता है कि उसके घर में उसी की मर्जी चले ठीक उसी प्रकार ईश्वर भी यह चाहता है कि उसकी धरती पर उसकी मर्जी चले इंसान शासक नहीं प्रजा है। पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्ला.अलैहि. ने अपने जीवन काल में इस व्यवस्था को कायम किया और आप के बाद आपके चारों खलीफा इसी व्यवस्था को चलाते रहें यह व्यवस्था 30 वर्ष तक चलती रही और संसार ने इसकी खूबियां अपनी आंखों से देखी और चौथे खलीफा हजरत अली की शहादत के बाद एक टर्निंग पॉइंट आया और हजरत अमीर मुआविया ने अपने बाद अपने बेटे यजीद को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया जबकि मुसलमानों के खलीफा आम मुसलमानों की स्वतंत्र राय और मशवरे और लोक तांत्रिक तरीके से चुना जाता था अब इस प्रकार इस्लामी राजनीति अपनी पटरी बदल रही थी हजरत इमाम हुसैन रजि की दूरदृष्टि ने इसके कुप्रणाम का अंदाजा कर लिया था और आप जानते थे कि यदि आज इसका तीव्र विरोध ना किया गया तो मानवता उस व्यवस्था से सदा के लिए वंचित हो जाएगी जो इस धरती पर न्याय, सुख, शांति, इंसानी भाईचारा और विश्व बंधुत्व को कायम करती है, यह महान उद्देश्य था जिसके लिए आपने अपनी और समस्त परिवार की शहादत दे दी यह पवित्र उद्देश आपको अपनी जान और औलाद से भी बढ़कर प्यारा था।

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