स्वच्छता सेवा रैली के दौरान स्कूली छात्रों के प्रताड़ना का मामला,राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को शिकायत

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बी  एस.वी.एम. के तहत प्रतापपुर में हुआ था कार्यक्रम कड़ी धूप में छात्रों को रहना पड़ा था भूखे प्यासे

जोगी एक्सप्रेस 

ब्यूरो अजय तिवारी 

  सूरजपुर : जिले के जनपद पंचायत प्रतापपुर द्वारा एसवीएम के तहत आयोजित स्वच्छता सेवा रैली कार्यक्रम में शामिल स्कूली छात्रों को प्रताड़ित करने के साथ चिलचिलाती धूप में भूखे प्यासे रखने के मामले की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग दिल्ली को गयी है,एसडीएम ज्योति सिंह और जनपद सीईओ की उपस्थिति में अधिकारियों ने अपनी सुविधा का तो पूरा ध्यान रखा था किंतु छात्रों के साथ व्यवहार मानवता को शर्मसार करने वाला था।
गौरतलब है कि स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से स्वच्छता ही सेवा नाम से कार्यक्रम शासन द्वारा चलाया जा रहा है जिसके तारतम्य में सोमवार को प्रतापपुर में भी रैली निकाल बस् स्टैंड में कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें कई स्कूलों के बच्चे शामिल थे। कार्यक्रम का आयोजन जनपद पंचायत प्रतापपुर द्वारा किया गया था जिसमें एसडीएम ज्योति सिंह,मुख्यकार्यपालन अधिकारी राजेश सिंह सेंगर,जनपद उपाध्यक्ष संतोष सिंह के साथ स्कूलों के प्राचार्य भी शामिल थे। कार्यक्रम के दौरान रैली बस् स्टैंड से शुरू होकर थाना तक गयी और फिर वहां से वापस बस् स्टैंड आयी,इस दौरान चिलचिलाती धूप थी और करीब दो किमी की पदयात्रा उन्हें करनी पड़ी,रैली के  दौरान बारिश भी हुई और बच्चे भींगे भी,कार्यक्रम आयोजित करने वाले जनपद सीईओ और एसडीएम इस रैली में शामिल नहीं थे क्योंकि कड़ी धूप थी,केवल शिक्षक और छोटे कर्मचारियों की ड्यूटी रैली में लगा दी गयी थी। रैली में जो हुआ सो हुआ ही बस् स्टैंड में आयोजित कार्यक्रम में तो अधिकारियों ने और हद पार कर दी थी अपने बैठने के लिए इन्होंने स्टेज बनवाया था,छाया करवाई थी जिसमें ये अधिकारी और जनप्रतिधि बड़े आराम से बैठे थे किंतु बच्चे,उनके नसीब में फिर वही चिलचिलाती धूप ही थी। मानवता को शर्मसार करते अधिकारियों का कारनामा यहीं नहीं रुका,खुद तो वे बोतल बन्द पानी पी रहे थे और बच्चों के नसीब में टैंकर का पानी भी नहीं था,पीने के पानी की कोई व्यवस्था इन्होंने नहीं कि थी। तीन घंटे से ज्यादा समय तक बच्चों को जबरन धूप और बारिश में रखने के बाद आखिर में अधिकारियों को बच्चों की याद आयी और दो रुपये के पैकेट वाला पार्ले जी बिस्किट उन्हें थमा दिया जो भी सभी बच्चों के लिए नहीं था। धूप,बारिश के साथ पीने का पानी नहीं,ये नजारे तो थे ही अधिकारियों ने बच्चियों को एक सजा और दे रखी थी,फ़ोटो खिंचवाने के लिए उन्होंने कुछ बच्चियों को बैनर पकड़ा खड़ा रखा था जो भी कुछ मिनटों के लिए नहीं बहुत देर तक ताकि वे फ़ोटो खिंचवा अधिकारियों से वाह वाही ले सकें। स्वच्छता ही सेवा के तहत जनपद पंचायत प्रतापपुर द्वारा आयोजित रैली और बस् स्टैंड में कार्यक्रम मानवता को शर्मसार करने वाली थी जिसमें स्कूली बच्चों के ही पालक स्वरूप प्राचार्य मूक दर्शक बन तमाशा देख रहे थे। सोमवार को रैली के नाम पर जो तमाशा अधिकारियों द्वारा किया गया वह स्थानिय लोगों और अभिभावकों के लिए असहनीय था जिसके बाद प्रतापपुर के आरटीआई और सामाजिक कार्यकर्ता राकेश मित्तल ने इसकी शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग दिल्ली को करते हुए सभी दोषियों के खिलाफ नियमानुसार उचित कार्यवाही करने की मांग की है।

स्कूली बच्चे क्यों बन रहे बलि का बकरा

मौज अधिकारियों की और तपस्या स्कूली बच्चों की,स्वच्छता अभियान के बहाने अधिकारियों ने स्कूली बच्चों को बलि का बकरा बना लिया है,जब मन चाहा रैली निकाल ली ओ भी इन बच्चों के सहारे,इन रैलीयों में न अधिकारी होता है और नहीं आम आदमी। अधिकारी बच्चों को शामिल तो करते हैं लेकिन उनके लिए कोई सुविधा नहीं होती,केवल मौके पर ही सुविधा नाम की चीज नहीं होती लेकिन कागजों में मालूम नई कितना खर्च सुविधा के नाम पर दिखाया जाता है। इस तरह की रैलियों में स्कूली बच्चों को शामिल करने का दूसरा पहलू यह भी है कि जब रोज रोज बच्चे अधिकारियों के हिसाब से इन रैलियों में शामिल होंगे तो वे पढ़ेंगे कब। सबसे बड़ी बात तो यह है कि अभिभावक जिनके भरोसे अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं वे ही जिला शिक्षा अधिकारी,खंड शिक्षा अधिकारी,प्राचार्य,शिक्षक इन बच्चों की चिंता नहीं करते और प्रशासन से वह वाही लूटने बच्चों को इन रैलियों में शासन के आदेश का हवाला दे जाने दे देते हैं जबकि यह बच्चों के लिए बहुत ही कष्टदायक है,मिली जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों के रैलियों में उपयोग पर प्रतिबंध भी लगा रखा है।

सूरजपुर जिले का असंवेदनशील प्रशासन

पूरे प्रदेश में यदि कहीं का प्रशासन सबसे ज्यादा असंवेदनशील प्रशासन है तो वह सूरजपुर जिले का है,आम आदमी के साथ कितनी बड़ी भी घटना हो जाए यहां के अधिकारियों को फर्क नई पड़ता है,ओड़गी में मलेरिया से मौतें हों, जंगली हाथियों से तबाही हो या आम आदमी का शोषण हो,किसी भी बात से इन्हें फर्क नई पड़ता जो सबने देखा भी है। जिले का पूरा प्रशासनिक अमला सिर्फ अपने मे मस्त है,भ्रष्टाचार सबसे बड़ा काम है,बस् नेताओं को खुश रखना और उनकी चापलूसी सहारा। एसडीएम ज्योति सिंह और सीईओ राजेश सिंह सेंगर की उपस्थिति में स्कूली बच्चों को प्रताड़ित करना,यह मामला भी जिले के अधिकारियों को संवेदनशील नहीं बना सका, जिले के बड़े अधिकारियों ने अब तक मामले को संज्ञान में भी नही लिया क्योंकि दोषी तो उनके ही अधीनस्थ हैं जो बड़े अधिकारीयों के आसपास रहते हैं।

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