श्रमशक्ति की मिशाल हैं उत्कल समाज – भगवानू नायक

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नुआखाई को प्रदेश भर में उत्सव के रूप में मनाएगा उत्कल विभाग, छत्तीसगढ़ की खुशहाली के लिए देवी देवताओं से करेंगे प्रार्थना

आगामी चुनाव में होगी उत्कल समाज की महत्वपूर्ण भूमिका, छत्तीसगढ़ में 28 लाख, राजधानी में 3 लाख हैं समाज की संख्या

14 साल का समाज को हैं कड़वा अनुभव, नई पीढ़ी समाज में चाहता हैं बदलाव,मनमुटाव भुलाकर त्यौहार मनाएंगे, परंपरा को आगे बढ़ाएंगे

जोगी एक्सप्रेस

रायपुर छ.ग. । छत्तीसगढ़ में लगभग 28 लाख और राजधानी में 3 लाख उत्कल समाज की जनसंख्या हैं इस प्रकार आगामी विधानसभा  चुनाव में उत्कल समाज की निर्णायक भूमिका होगी, 26 अगस्त को उत्कल समाज का प्रमुख पर्व नुआखाई है जिसको लेकर समाज में उत्साह हैं। नव फसल की नवान्न को अपने अराध्य देवी देवी देवताओं का अर्पित कर इस पर्व को प्रदेश भर में उत्सव के रूप में मनाया जाएगा और प्रदेश की खुशहाली के लिए अपनी देवी देवताओं से प्रार्थना करेंगे। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) उत्कल विभाग के प्रदेश अध्यक्ष भगवानू नायक ने कहा नुआखाई हमारे समाज का सबसे बड़ा त्यौहार हैं इस शुभअवसर पर समाज के लोगों को आव्हान करता हूं कि सभी उत्कलबंधु आपसी मनमुटाव को भुलाकर त्यौहार मनाएं और एकता, भाईचारे के हमारे वर्षों की इस परंपरा को आगे बढ़ाएं। नायक ने कहा सबसे बड़ी श्रमशक्ति उत्कल समाज के पास हैं जिस पर हमें गर्व करना चाहिए, समाज के रिक्शा चलाने वाले और मजदूरी करने वालों के भी बाल बच्चे आज समाज में समुचित स्थान को प्राप्त कर रहें है यह समाज के बड़े बुजुर्गाें के वर्षों के त्याग और तपस्या का प्रतिफल हैं, हमारे समाज में कई उदाहरण सामने हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में कई सम्मान जनक पदों को सुशोभित कर समाज का गौरव बढ़ा रहे हैं। राज्य और केन्द्र सरकार में भी एक छोटे कर्मचारी से लेकर प्रथम श्रेणी के अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। नायक ने आगे कहा भोले भाले हमारे उत्कल समुदाय का हमेशा राजनीतिक शोषण हुआ हैं, समाज की युवा पीढ़ी पढ ़लिखकर जागरूक हो चुकी हैं जो हर हाल में समाज का सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक सहित सभी ़क्षेत्रों में तरक्की चाहती हैं बदलाव चाहती हैं, समाज को 14 साल का कड़वा अनुभव हैं, विकास के नाम पर सिर्फ उत्कल बस्तियों को निशाना बनाया गया, जिस तरीके से समाज को छला गया हैं उससे समाज ने सबक लिया है और आने वाले समय में समाज विरोधियों को सबक सिखाने का ठाना हैं।

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