30 साल बाद शरद पूर्णिमा पर दुर्लभ योग

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आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। इस बार यह पूर्णिमा रविवार, 13 अक्टूबर यानी आज है। इसे रास पूर्णिमा और कोजागरा व्रत भी कहते हैं। ज्योतिषियों के मुताबिक, पूरे साल में केवल इसी चंद्रमा सोलह कलाओं का होता है। इस बार शरद पूर्णिमा पर 30 साल बाद दुर्लभ योग बन रहा है। इस दिन चंद्रमा और मंगल का दृष्टि पड़ रहा है। इस योग को महालक्ष्मी योग भी कहा जाता है। चंद्रमा पर बृहस्पति की दृष्टि पड़ने से गजकेसरी नाम का एक और शुभ योग बन रहा है। यह योग बनने से इस बार पूर्णिमा का महत्व और अधिक है।

माता लक्ष्मी धरती पर करती है भ्रमण 
आचार्य बालकृष्ण मिश्र के मुताबिक, शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस रात्रि पर मां लक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं। इस बार महायोग बनने के चलते इस दिन महालक्ष्मी की पूजा करने का फल अधिक मिलेगा। इस बार पूर्णिमा के दिन मीन राशि में चंद्रमा और कन्या राशि में मंगल रहेगा। इस तरह दोनों ग्रह एक दूसरे के बिलकुल आमने-सामने रहेंगे।

मां लक्ष्मी की करें आराधना 
शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। चांदनी रात में जो भक्त भगवान विष्णु सहित देवी लक्ष्मी और उनके वाहन की पूजा करते हैं, देवी लक्ष्मी उन पर कृपा करती हैं। इस रात में लक्ष्मी पूजन करके रात्रि जागरण करना धन समृद्धि दायक माना गया है। इस रात में कौड़ी खेलने की भी प्रथा है। कौड़ी मां लक्ष्मी को प्रिय हैं।

नए काम करना शुभ 
शरद पूर्णिमा पर खरीदारी और नए काम शुरू करना शुभ रहेगा। इस शुभ संयोग में धन लाभ होने की संभावना और बढ़ जाएगी। इस दिन शुरू किए गए काम लंबे समय तक फायदा देंगे। इसी रात लोग खीर पकाकर चंद्रमा की रोशनी में रख देते हैं और सुबह इस भाव से खीर का प्रसाद ग्रहण करते हैं। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रदेव अमृत वर्षा करते हैं और खीर खाने से स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।

शरद पूर्णिमा की तिथ‍ि और शुभ मुहूर्त 
शरद पूर्णिमा तिथि: रविवार, 13 अक्‍टूबर
चंद्रोदय का समय: 13 अक्‍टूबर की शाम 05 बजकर 26 मिनट
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 अक्‍टूबर की रात 12 बजकर 36 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्‍त: 14 अक्‍टूबर की रात 02 बजकर 38 मिनट तक

शरद पूर्णिमा पर इन मंत्रों का करें जप 
चंद्रमा को अर्ध्य देते समय करें इस मंत्र का उच्चारण…
– ओम चं चंद्रमस्यै नम:
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम ।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।।
ओम श्रां श्रीं

– ओम ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्मये नमः

कुबेर मंत्र
– ओम यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये
धन धान्य समृद्धिं मे देहि दापय दापय स्वाहा।।

मनाया जाता है कोजागरा पर्व 
बिहार एवं बंगाल के लोग इस दिन को कोजागरा और कोजागरी लखी पूजा के रूप में मनाते हैं। इस दिन मां लक्ष्‍मी की भक्तों विशेष कृपा रहती है। पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में इस दिन कुमारी कन्याएं सुबह सूर्य और चंद्रमा की पूजा-अर्चना करती हैं। माना जाता है कि इससे योग्य वर मिलता है।

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