राज की बात :आबकारी विभाग का भेदिया अब आबकारी विभाग को बदनाम करने पर हुआ आमादा

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रायपुर ,कहावत तभी जन्म लेती है जब उस पर अमल किया गया हो य उससे जुडी कोई घटना कारित हुई हो ,घर को आग लगी घर के चिराग से ये कोई नया य ताज़ा मामला नहीं जब विभाग के अधीनस्थ कर्मचारी अपनी बात जो उनके मुताबिक न हो रही हो  तब ,काम आता है शाम दाम दंड भेद ,हनी ट्रैपिंग का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था की आबकारी विभाग का मामला सामने आने लगा  जानकारों की माने तो आबकारी विभाग में अब सब चौधरी बनना चाहते है!न कोई अफसर न कोई मुलाजिम अब आदेश का पालन करे कौन ???बस इसी बात को लेकर मामला तूल पकड़ता जा रहा की तुम कौन मै कौन अहंकार की इस लड़ाई में मज़ा और माल दोनों हांथो से बटोरने में लगे कुछ लोग अब आबकारी विभाग के कर्मचारियों से साठ गांठ कर कार्यालय की बात को बाहर निकलवाने में लगे है ,सूत्रों की माने तो कुछ वसूली बाज अपने पेशे की तिलांजलि दे कर विभाग के अधिकारियो और कर्मचारियों को तबादले का भय दिखा कर मोटा माल बटोरने की फ़िराक में लगे हुए है ,जिनके हाँथ रायपुर से लेकर जबलपुर तक पहुच रहे है !विस्वसनीयता और कार्यालय की गोपनीयता को सार्वजनिक कर अपने प्यारे को विभाग की एक एक खबर बाकयदा समय पर देने पर रात की दारु और मुर्गे के साथ ही चंद सिक्के भी इस भेदिये को मिल रहे और विभाग की बदनामी और अनापशानाप खबरों को ट्विस्ट और मासला लगा कर परोश रहे ,कुछ ही समय पहले इस भेदिये ने विभाग में कदम क्या रखा मानो सारा विभाग ही भ्रष्टाचार में डूब गया हो और ये महोदय साहूकार की भाती सज्जन बनने का ढ़ोग रच कर विभाग को बदनाम करने पर तुला हुआ है ,अपने पसंदीदा पोर्टल में खबरे चलवा कर भय और खौफ का माहौल बनाने में भी इस बहरूपियो को कोई गुरेज नहीं ,विश्वनीयता किस की कितनी है यह तो समय और आपका आचरण तय करता है !लेकिन यहाँ तो मामला ही उल्टा है जबरा मारे और रोने भी न दे बिना प्रमाणिकता के बिना कोई सबूत ,बिना कोई आधार ,विभाग को बदनाम करने का जो नशा इस भेदिये को लगा है,उतना मज़ा तो शायद पूरी बोतल में भी न आए ,जब खुलासा करना ही था तो इतना तमशा करने की जरुरत क्यू आन पड़ी यह तो समय आने पर ही खुलास होगा …..

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