जेएनयू देशद्रोह मामले में केजरीवाल सरकार को मिला 1 महीने का वक्त

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नई दिल्ली : जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के खिलाफ लगी देशद्रोह की धारा को लेकर दिल्ली सरकार आठ महीने गुजर जाने के बावजूद अब तक कोई फैसला नहीं ले पाई है. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को एक माह के भीतर अपना रुख साफ़ करने को कहा है. कन्हैया पर फैसला लेने केजरीवाल को मिला महीने भर का समय.

गौरतलब है कि फरवरी 2016 में दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी परिसर में देश विरोधी नारे लगे थे और इस मामले में जेएनयू के तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया कुमार को भी आरोपी बनाया गया था.

दिल्ली पुलिस का दावा था कि पुलिस के पास ऐसे कई तथ्य और सबूत हैं जो ये साबित करते हैं कि उन नारे लगाने वालों में कन्हैया कुमार भी शामिल था. इसी को आधार बनाते हुए जब पुलिस ने अदालत में चार्जशीट दायर की तो कन्हैया कुमार को मुख्य आरोपी बताया गया और उसके खिलाफ देशद्रोह की धारा के तहत चार्जशीट दाखिल की.

मामले में पेंच तब फंसा जब कानून का सवाल उठा यानी आईपीसी की धारा 124ए यानी देशद्रोह के तहत मामला दर्ज करने के लिए संबंधित राज्य के गृह विभाग की मंजूरी जरूरी होती है. कोर्ट ने चार्जशीट दाखिल करते समय दिल्ली पुलिस से भी यही सवाल किया था कि क्या चार्जशीट दाखिल करते समय राज्य सरकार से इजाजत ली गई थी. अभी तक दिल्ली सरकार ने देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने के लिए दिल्ली पुलिस को अनुमति नहीं दी है. यही कारण है कि अभी तक कोर्ट दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान नहीं ले पाई है.

लिहाजा मामले की सुनवाई कर रही दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली सरकार से उस दौरान ही इस मामले पर अपना रुख साफ करने को कहा था. लेकिन अब तक दिल्ली सरकार ने इस पर अपना कोई रुख साफ नहीं किया है.

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