बीएचयू छात्राओ के विरोध के बाद अश्लील हरकत के दोषी प्रोफेसर छुट्टी पर भेजे गए

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वाराणसी : बीएचयू के मुख्य द्वार पर चल रहा छात्राओं का धरना प्रदर्शन 26 घंटे बाद रविवार की रात खत्म हो गया। अश्लील हरकत के दोषी जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एसके चौबे को लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया है। प्रोफेसर की बहाली का मामला दोबारा बीएचयू की कार्यकारिणी परिषद के पास भेजा जाएगा। कुलपति से छात्रों के प्रतिनिधिमंडल की बातचीत के बाद मिले आश्वासन पर छात्राओं ने धरना खत्म कर दिया और सिंह द्वार पर ही खुशियां भी मनाईं।

यह है पूरा मामला
पिछले साल तीन से नौ अक्तूबर तक भुवनेश्वर में बीएचयू से एक शैक्षणिक टूर गया था। इसी दौरान कुछ छात्राओं ने प्रोफेसर एस के चौबे पर अश्लील हरकत करने का आरोप लगाया। यह दल नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क के जीवित प्राणियों पर अध्ययन करने गया था। दौरे से लौटने के बाद 12 अक्टूबर 2018 को लड़कियों के एक समूह ने कुलपति से लिखित शिकायत में आरोप लगाया कि यात्रा के दौरान प्रोफेसर एसके चौबे ने अश्लील हरकतें कीं। कोणार्क में सूर्य मंदिर में मूर्तियों के बारे में बताते हुए अश्लील टिप्पणी भी की। आरोपों की जांच के लिए विभाग की ओर से आंतरिक शिकायत समिति गठित की गई थी।

इस समिति की सिफारिश पर विश्वविद्यालय के महिला उत्पीड़न निवारण प्रकोष्ठ के साथ कुलपति की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने प्रोफेसर को निलंबित कर जांच शुरू की। समिति को प्रो.चौबे पर लगे आरोप सत्य मिले। उन पर फैसले के लिए रिपोर्ट बीएचयू कार्यपरिषद समिति में भेज दिया गया। जून में समिति की बैठक हुई और फैसला हुआ कि प्रोफेसर को भविष्य में कोई भी प्रशासनिक पद नहीं दिया जाएगा। वह किसी टूर पर भी नहीं जाएंगे। यह कार्रवाई उनकी सेवा पुस्तिका में भी दर्ज होगी। उनका निलंबन वापस ले लिया गया और केवल बचे हुए कार्यकाल के दौरान उन्हें पठन-पाठन की इजाजत दे दी गई।

प्रोफेसर के कक्षाएं लेने पहुंचने पर शुरू हुआ विरोध
बीएचयू कार्यपरिषद से फैसला आते ही प्रोफेसर एसके चौबे ने कक्षाओं में जाना शुरू कर दिया। इसका कुछ छात्राओं ने विरोध करना शुरू कर दिया। शनिवार को यह विरोध विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर पहुंच गया। छात्राओं ने प्रोफेसर एसके चौबे को तत्काल बर्खास्त करने की मांग करते हुए सिंह द्वार पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। उनकी मांग थी कि प्रोफेसर के खिलाफ विश्वविद्यालय प्रशासन मुकदमा भी दर्ज कराए। बीएचयू में विशाखा गाइड लाइन के तहत कार्यस्थल पर सुरक्षा मानदंड लागू किया जाए। बीएचयू परिषद में महिला प्रोफेसर का उचित प्रतिनिधित्व हो। यौन शोषण के मामलों को जल्द से जल्द कार्रवाई सुनिश्चत की जाए।

छात्राओं के आंदोलन को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने रविवार की दोपहर राजनीतिक रंग दे दिया। उन्होंने प्रशासन को कटघरे में खड़ा करते हुए फेसबुक पोस्ट लिखा तो मामला और गरमाने लगा।छात्र-छात्राओं को समझाने के लिए बीएचयू के रजिस्ट्रार डॉ. नीरज त्रिपाठी, छात्र अधिष्ठाता प्रो. एमके सिंह, चीफ प्रॉक्टर प्रो. ओपी राय, लंका एसओ भारत भूषण तिवारी के अलावा सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रो. आरपी पाठक ने कई बार वार्ता की लेकिन छात्र अड़े रहे।

कुलपति ने बीएचयू पहुंचते ही छात्राओं से बातचीत की
छात्राओं ने धरना प्रदर्शन शुरू किया तो कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर शहर में नहीं थे। अगले ही दिन रविवार को वह बीएचयू पहुंचे और छात्राओं के प्रतिनिधिमंडल को बातचीत के लिए बुलाया। कुलपति ने कहा कि प्रोफेसर चौबे को कार्यपरिषद की समिति ने सख्त सजा दी है। इस कार्रवाई को उनके सेवा रिकॉर्ड में शामिल कर दिया गया है। फिर भी छात्राएं कार्य़कारिणी परिषद के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं तो इस मामले को दोबारा वहां भेजा जाएगा। कार्यकारिणी परिषद ने मामले में सजा का निर्धारण किया है इसिलए इस पर निर्णय अकेले कुलपति नहीं बदल सकते। प्रो. एसके चौबे की बर्खास्तगी की छात्राओं मांग को कार्यकारिणी परिषद में रखा जाएगा। परिषद के फैसले तक प्रोफेसर चौबे क्लास नहीं लेंगे। उन्हें लंबी छुट्टी पर भेज दिया जा रहा है। कुलपति के फैसले को छात्रों के प्रतिनिधिमंडल अौर पत्रकारिता एवं जनसंपर्क विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर धीरेंद्र राय ने सिंह द्वार पर आकर छात्रों को पढ़कर सुनाया। इसके बाद धरना समाप्त करने की घोषणा हुई अौर छात्राएं जबरदस्त नारेबाजी करते हुए हॉस्टल की ओर लौट गईं।

(साभार : लाइवहिंदुस्तान.कॉम )

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