अवैध रेत खनन के लिए माफिया नदियों को कर रहे छलनी भरतपुर में प्रतिबंध के बाद भी जारी है नदियों से रेत की निकासी बनास , मवई , नेउर नदी में रेत माफियाओ का तांडव

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इन्ट्रो – सूबे में सरकार तो बदल गई, लेकिन रेत माफियाओं का तांडव जारी है, मानसून सीजन में लगाई गई पाबंदी भी भरतपुर में बेअसर दिखाई दे रही है, रेत माफिया दिन दहाड़े विशालकाय पोकलेन मशीन और हाईवा वाहनो से रेत निकाल रहे है, अगर ये सिलसिला जारी रहा तो नदिया अपना अस्तित्व खो देंगी ।
बैकुण्ठपुर । जिले की भरतपुर तहसील की नदियांं इन दिनो माफियो के गिरफ्त में है, मानसून सीजन के दैरान नदियों से रेत निकालने के लिए पाबंदी लगाई गई है, ये सिर्फ कागजो तक ही सीमित है। तहसील से निकलने वाली क्षेत्र की जीवन दायनी बनास सहित अन्य नदियांं अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है, रेत माफियाओं ने अपने कारोबार को संचालित करने के लिए रोक के बावजूद मशीनो और बड़े वाहनो के हवाले कर दिया है। ये कहना गलत नही होगा कि रेत माफिया हावी है और प्रशासन नतमस्तक है। माफिया दिन दहाड़े नदियों के सीने पर खंजर घोप रहे हैं, भरतपुर में सिया और एनजीटी की ओदशो की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। नदियों से रेत निकाल कर माफिया मध्यप्रदेश , उत्तरप्रदेश सहित अन्य राज्यों में भेज रहें है, लेकिन शासन के खजाने में फूटी कौड़ी तक नही मिल रही है, अधिकारियों का भी रेत कारोबारियों और माफियाओं को खुला संरक्षण मिला हुआ है।


रोक भी बेअसर
मानसून काल के दैरान जलीय जीव-जन्तु के प्रजनन काल होने के चलते रेत खदानो से रेत की निकासी पर एनजीटी और सिया के द्वारा रोक लगाई गई है, लेकिन प्रदेश के अंतिम छोर में बसे भरतपुर तहसील के अंतर्गत आने वाली नदियों में पाबंदी भी बौनी साबित हो रही है , प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की सांठ-गांठ से माफिया यहां पर खुला तांडव कर रहें है। अगर यही हाल रहा तो बनास, मवई सहित अन्य नदियांं अपने अस्तित्व को खो देगीं माफिया से अधिकारियों को मिलने वाले चांदी के चंद सिक्कों के चलते सभी ने अपना जमीर बेच दिया है ।


इन क्षेत्रो में अवैध उत्खनन
खनिज संसाधन द्वारा ग्राम पंचायतो के माध्यम से सेमी मैकेनाईज्ड पद्धति से रेत खनन की मंजूरी दी गई है, लेकिन वर्षा काल के दौरान नदियों से रेत खनन पर रोक भी है, लेकिन भरतपुर तहसील के मलकाडोल, हरचोका, भरतपुर, कोटाडोल, भगवानपुर में रेत माफियाओं के द्वारा विशाल काये पोकलेन मशीन लगा कर रेत का उत्खनन और परिवहन कराया जा रहा है। इस अवैध कारोबार में पंचायत की भी सहमति बतया गया है कि नियमों के विपरित ग्राम पंचायत ने रेत माफिया को शासन के मंशा के अनुरूप ठेका दे रखा है, जो कि नियमयों और कायदो के विपरित है।


दिन दहाड़े उतरती है मशीन
भरतपुर तहसील के अंतर्गत निकलने वाली बनास सहीत अन्य नदियों में दिन-दहाड़े रेत माफियाओं के द्वारा पोकलेन मशीन उतारी जा रही है और हाईवा सहित बड़े वाहनो के द्वारा निकासी कराई जा रही है, भरतपुर मे अंधेर नगरी चौपट राजा की कहावत चरितार्थ करती है। बताया गया है कि भाजपा से जुड़े माफिया इस कारोबार में शामिल हैं, वही कांग्रेसियों ने भी अवैध कारोबार में अपनी सल्तनत बना ली है, जीवनदायनी नदी बनास का प्राकृतिक स्वरूप और भौगोलिक स्थिति माफियों ने बदल दी, जलीय जीव-जन्तुओं की भी हत्या खुले आम कीजा रही है, अधिकारियों ने भी अपने आंख में पट्टी बांध रखी है।


भंडारण की आड़  में गोरख धांधा
खनिज संसाधन विभाग द्वारा भरतपुर के हरचोका, खमरौध और खेतौली में रेत खनिज के भंडारण की स्वीकृति जारी की गई है, रेत कारोबारियो के द्वारा नियमों को रौंदते हुए रेत का भंडारण उक्त स्थान पर कर रखा है। स्वीकृत क्षेत्र व मात्रा से अधिक रेत भंडारित कि गई है रेत खदानों के बगल में रेत भंडारित कि गई है, लीज क्षेत्र के बाहर नदियों के बाहर रेत का उत्खनन वर्षा काल के दौरान धड़ल्लेे से किया जा रहा है, लेकिन विभाग ने कभी भरतपुर की ओर झांकने की कोशिश नही कि जिसका नतीजा है कि माफियाओं के हौसले दिन प्रति दिन बढ़ते जा रहे है।
कौन है नवाब
भरतपुर में रेत के अवैध कारोबार को जन्म देने वाला मध्यप्रदेश के कटनी के रहने वाले नवाब खान नामक रेत माफिया शामिल है। पूर्व सीएम रहे रमन सिंह के करीबी नवाब ने जनकपुर व भरतपुर में अपनी सल्तनत कायम कर रखी है, वन क्षेत्रो से प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्लेे से रेत की निकासी की जा रही है, बताया जा रहा है कि वन विभाग की भी सांठ-गांठ है, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश सहित देश के कई राज्यो में रेत ऊंचे दामों में बेची जा रही है।
माफिया माला माल, सरकार कंगाल
रेत के नियम तो पूर्व रमन सरकार ने बनाये थे, सरकार को मिलने वाला राजस्व, शासन के खजाने में नहीं पहुंच रहा है। अगर आंकलन किया जाये तो करोड़ो रूपये का राजस्व रेत माफिया और पंचायत डकार गई है। भरतपुर में नदियों से हो रहे अवैध उत्खनन से माफिया रोजाना लोखों रूपये की चांदी काट रहे है। रेत लेने आने वालो से 10 से 15 हजार रूपये प्रति वाहन वसूल किये जा रहे है, लेकिन रेत से शासन को किसी प्रकार का राजस्व नही मिल रहा है, यही हाल भंडारणों का भी है। जहां पर मात्रा से अधिक रेत भंडारित की गई है।
इनका कहना है ।
हाल ही में मैने प्रभार लिया है, लेकिन खनिज निरीक्षक का पद रिक्त होने के चलते कार्यवाही में दिक्कत आ रही है। भरतपुर में अवैध उत्खनन, भंडारण और परिवहन मिला तो सख्त कार्यवाही की जायेगी।
अनिल कुमार साहू
खनिज अधिकारी
कोरिया

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