बिहार दावत-ए-इफ्तार से बनते-बिगड़ते समीकरण

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पटना। बिहार दावत-ए-इफ्तार से बनते-बिगड़ते राजनीतिक समीकरण के कारन आने वाले दिनों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बदलाव का संकेत दे रहे हैं। जैसे-जदयू की इफ्तार पार्टी में जीतनराम मांझी का शामिल होना और फिर हम की इफ्तार पार्टी में सीएम नीतीश का जाना। राबड़ी की पार्टी से तेजस्वी का गायब रहना और काफी दिनों बाद तेजप्रताप का मां के घर आना।

इन सबके बीच बड़ी बात ये देखने को मिली कि भाजपा की इफ्तार पार्टी में जदयू शामिल नहीं हुआ तो वहीं जदयू की तरफ से आयोजित पार्टी में भाजपा का कोई नेता नहीं पहुंचा। बता दें कि पीएम मोदी की कैबिनेट में सांकेतिक भागीदारी की बात से नाखुश जेडीयू के किसी नेता ने रविवार को आयोजित बीजेपी की इफ्तार पार्टी में शिरकत नहीं की थी। हालांकि, मीडिया ने जेडीयू की गैरहाजिरी पर सवाल किए तो बीजेपी इन सवालों को टालती नजर आई।

इधर बीजेपी ने जेडीयू को वही तेवर दिखाए और जेडीयू की इफ्तार पार्टी में बीजेपी का भी कोई नेता शामिल नहीं हुआ। हालांकि, उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि इफ्तार का कोई राजनीतिक मतलब नहीं निकालना चाहिए।

सुशील कुमार मोदी ने कहा कि इफ्तार पार्टी मूलरूप से एक धार्मिक आयोजन है और कल ही राजद-भाजपा-जदयू तीनों पार्टियों की तरफ से एक साथ इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया था जिससे असुविधा हुई।सोमवार को लोजपा की इफ्तार पार्टी में एनडीए के सभी नेता शामिल होंगे। जो भी हो, तमाम दावों के बावूजद जदयू-भाजपा के रिश्तों में थोड़ी तल्खी जगजाहिर हो गई है।

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