“सोने की लंका पर किसे मिलेगी विजय श्री “धनपुरी निकाय चुनाव में दावेदारों की दिनों दिन लम्बी होती फेहरिस्त

0

धन की नगरी धनपुरी में दो “क” के बीच में लगी दावेदारों की कतार,कौन बनेगा अध्यक्ष  जनता में कौतूहल…

धनपुरी कांग्रेस में गिनती के दावेदार, भाजपा में  दावेदारों की लम्बी फेहरिस्त …….. 

जोगी एक्सप्रेस 

अमित जैन धनपुरी 

शहडोल [म.प्र ,]धनपुरी   नगरीय निकाय चुनावों का बिगुल बजते ही नगर में चारो और मतदाताओ को सलामी ठोकने वाले नेता हर गली हर चौराहे में आसानी से इन दिनों नज़र आ रहे है और अपने अपने कराये कार्यो की गिनती गिना रहे है ,लेकिन जनता को सब पता है की किस तरह चुनाव आते ही ये दर्शन दे रहे ,चुनाव गुजरते ही ये भी गायब हो जायेंगे और जनता फिर से अपने आप को एक बार ठगा हुआ महसूस करेगी ,इस लिए जनता खुद इस बार अपने मन को भटकने नहीं देना चाहती ,व इस बार का निर्णय गुप्त ही रखने के विचार में नज़र आ रही है !  वही चुनावों में अध्यक्ष व पार्षदों के आरक्षण की सूची जारी हुई है, धनपुरी में चुनावी चर्चाओं ने यहांकी गर्मी को  काफी बढ़ा दिया है। धन की खान कही जाने वाली धनपुरी नगरपालिका में अध्यक्ष का चुनाव अपने-आप में महत्वपूर्ण है क्योंकि जो भी अध्यक्ष बना उसका करोड़पति भी बनना तय है। यहां प्रमुख मुकाबला कांग्रेस व बीजेपी के बीच में है। कांग्रेस पार्टी से अध्यक्ष पद के लिये शोभाराम पटेल, मुबारक मास्टर, आनंद मोहन जायसवाल,मो. आजाद, सईद मास्टर, वहीं बीजेपी से इंद्रजीत सिंह छावड़ा, दौलत मनवानी, आलोक राय, राकेश सोनी, विनीता जायसवाल, दीपक राय, हंसराज तनवर, बबलू जायसवाल, पी.के.भगत, केशव राय के अलावा भाजपाइयों के अध्यक्षत पद के दावेदारों की लम्बी फेहरिस्त है। 

विकास पर मतभेद वाली  प्रतिक्रिया…

बीते पांच वर्षों में भाजपा के कार्यकाल की अगर बात की जाये तो यहां मिली-जुली प्रतिक्रिया जनता से मिल रही है। कुछ का मानना है कि इस  दौरान जमकर भ्रस्टाचार हुआ है अधिकतर ठेकों में अप्र्त्यच्च  रूप से अध्यक्ष की साझेदारी रही है !नगर के विकाश के साथ साथ उनका स्वयं का विकास भी खूब हुआ है वही कुछ का मानना है ,की अध्यक्ष की सोच विकासोन्मुखी  रही, उनके कार्यकाल में नगर का नक्शा ही बदल दिया गया है। चाहे वह इंडोर स्टेडियम हो या सामुदायिक भवन निर्माण, मॉडल रोड जैसे कई गुणवत्तापूर्ण कार्य कराकर धनपुरी का नाम प्रदेश स्तर में रोशन किया है। लोगों का तो यहां तक कहना है कि शहडोल  भी मॉडल रोड बनी है लेकिन इतनी खूबसूरत व मजबूत नहीं बनी, जितनी की धनपुरी में बनी है। 

नेताओं की है भरमार…. 

धनपुरी नगरपालिका सिर्फ नोटो की खान नहीं है बल्कि इसे नेताओं की खान कहना भी अतिश्योक्ति नहीं होगी। यहां बेरोजगारी और राजनीति के प्रति रूझान होने की वजह से नेताओं की संख्या बहुत है। हर 5 घरों के बीच में एक न एक नेता अवश्य मिल जायेंगे। ऐसे में मतदाताओं को अपने मत को लेकर पशोपेश में रहना पड़ सकता है। देखना यह होगा कि आने वाले चुनाव में मतदाता किसे अपना आशीर्वाद देते हैं। 

 चुनाव में होगी पैसो की बारिश…. 

24 वार्डों की इस नगरपालिका में कई वार्डों में गरीब, हरिजनों की संख्या काफी ज्यादा है ओर इनमें से अधिकतर लोग अपना वोट किसे देंगे इसका निर्धारण मतदान के एक दिन पूर्व करते हैं। एसईसीएल से काफी धनराशि राजस्व के रूप में प्राप्त करने के कारण यहां धन की कोई कमी नहीं रहती और नेतागण इस अध्यक्ष की कुर्सी पाने के लिये सब कुछ झोंकने को तैयार बैठे हैं। ऐसे में यहां का चुनाव काफी मंहगा होने से

जात पात का समीकरण…. 

सूत्रों की माने तो यहां पिछले नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा को हिन्दु, मुस्लिमवाद का मुद्दा अप्रत्यक्ष रूप से उठाने का पूरा लाभ मिला था, प्रशासन की नजरों में यह क्षेत्र काफी संवेदनशील भी माना जाता है। ऐसे में यहां मुद्दा जनता के बीच क्या कारगर होगा, यह देखने योग्य होगा। वहीं इस चुनाव में युवा मतदाताओं की भी अहम और निर्णायक भूमिका देखने को मिल सकती है।

हजारो जयचंद है जनाब यहाँ…. 

इस नगर पालिका में कांग्रेस और बीजेपी का वोट बैंक लगभग बराबर है, लेकिन दोनों ही पार्टी के जयचंद कितने जनाधार व तिकड़मी दिमाग वाले हैं, इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा। पार्टी से टिकट न मिलने पर कुछ दावेदार दोनों ही दलों के लिये खतरा भी साबित हो सकते हैं, चर्चा यह भी है कि कुछ ने तो निर्दलीय चुनाव लडऩे का मन भी बना रखा है और कुछ दूसरी पार्टियों की तरफ रूख भी कर सकते हैं। 

संगठन की भूमिका होगी अहम्… 

लगातार हार पे हार देखकर यहां के कांग्रेस संगठन का मनोबल गिरा हुआ प्रतीत हो रहा है, वहीं बीजेपी का संगठन तुलनात्मक रूप से मजबूत लगता है। ऐसे में मनोवैज्ञानिक रूप से बीजेपी को फायदा मिल सकता है। बहरहाल चुनाव में अभी काफी दिन बचे हुए हैं, प्रत्याशियों के चेहरे भी स्पष्ट होकर सामने नहीं आये हैं। जब तक प्रत्याशियों के नाम की घोषण पार्टी द्वारा न हो जाये तब तक तस्वीर कुछ स्पष्ट दिखाई देती नहीं पड़ रही है।  आगे यह देखना काफी रोचक होगा कि ‘धन  की लंका  पर विजयश्री किसे मिलेगी?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *