ग्राम धुमाडांड गाँव के लगभग सभी शौचालय बेकार आज भी नब्बे प्रतिशत लोग खुले में करते हैं शौच,फिर भी है ओडी एफ ग्राम :

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शौचालय निर्माण मामले में भ्रष्टाचार की शिकायत होने पर अधिकारियो द्वारा जांच के पहले कराया जा रहा सुधार 

नब्बे प्रतिशत लोग खुले में करते हैं शौच,फिर भी है ओडीए

गाँव के लगभग सभी शौचालय है बेकार

मामले को दबाने में लगा है प्रशासन,जांच दल की भूमिका संदिग्ध

जोगी एक्सप्रेस 

ब्यूरो अजय तिवारी 

सूरजपुर/प्रतापपुर: धुमाडांड में घटिया शौचालयों की जांच के लिए जांचं दल का गठन कर तो दिया गया लेकिन जांच की बजाए प्रशासन शौचालयों को सुधारने में लगा है ताकि मामले को दबा दोषियों को बचाया जा सके। 

मामला गृहमंत्री के गोदग्राम धुमाडांड का है जो सरकारी रिकॉर्ड में तो ओडीएफ ग्राम है लेकिन नब्बे प्रतिशत लोग खुले में शौच करते हैं,जिसका कारण लोगों में जागरूकता का अभाव नई बल्कि आधे अधूरे और शौचालयों का घटिया निर्माण है। शौचालय निर्माण में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का इससे अच्छा नमूना और कहीं शायद ही देखने को मिले जिसके कारण अधिकाँश शौचालय आज भी अधूरे हैं और बारिश में ढहने की कगार पर हैं।विदित हो की धुमाडांड गृहमंत्री का गोदग्राम है और कई महीने पूर्व ही इसे ओडीएफ घोषित किया जा चुका है,सरकारी रिकॉर्ड में समस्त शौचालयों को पूर्ण बता खुले में शौच मुक्त घोषित कर तो दिया गया लेकिन सच्चाई यह है कि ग्राम पंचायत की नब्बे प्रतिशत आबादी खुले में शौच करती है। शौचालयों को पंचायत द्वारा पूर्ण तो बता दिया गया है लेकिन आधे से अधिक शौचालय आज भी अपूर्ण है और कई घटिया निर्माण के कारण गिर चुके हैं,कहीं गड्ढे नहीं हैं तो कहीं दरवाजा,कई के तो शेड ही उड़ गए हैं। इसी गाँव के हरिप्रसाद ने बताया कि सचिव के कहने पर उसने व दो अन्य लोगों ने अपना पैसा लगा शौचालय बना दिया लेकिन लेकिन एक रूपए भी नहीं मिलने के कारण वे शौचालय का गड्ढा नहीं बना पाये जिसके कारण वे शौचायल का प्रयोग दो वर्षों से नहीं कर पा रहे हैं। वहीँ बाबूटिकरा पारा के जमुनासिंह,कलीराम,रामधनी,

राजू अगरिया,सतीश कुमार,जयशंकर ने बताया कि उनके शौचालयों की स्थिति भी ऐसी ही है घटिया और अधूरे निर्माण के कारण बेकार पड़े हैं,रामधनी के शौचालय के साथ कई अन्य शौचालय बरसात में गिर गए थे,राजू अगरिया ने बताया कि वे तीन भाई हैं और सभी लग रहते है लेकिन उन्हें सिर्फ एक शौचालय दिया गया है वह भी बिना काम का। परसराम ने बताया कि उसका शौचालय तो सेंक्शन है लेकिन वह बना ही नहीं है,देवधन ने बताया कि उसके घर में गड्ढे खोदे कई महीने हो गए लेकिन उसके बाद सचिव ने काम नहीं कराया। इनके अलावा  कई अन्य लोगों से बात करने व् बने हुए शौचालयों का निरीक्षण किया,संपन्न लोगों के शौचालयों को छोड़ कोई भी शौचालय काम के नहीं हैं। शौचालयों के बद्दत्तर स्थिति के कारण गाँव का कोई भी व्यक्ति शौचालयों का प्रयोग नहीं करता है।धुमाडांड में जमकर कमीशनखोरी और घटिया व अधूरे निर्माण की बातें सामने आने के बाद जिला प्रशासन  सूरजपुर ने पहले तो मामले को दबाने का प्रयास किया किन्तु लगातार सामने आने के बाद जांच दल गठित की गई जिसमें मुखिया जिला पंचायत ने तकनीकी सहायक नवनीत मिश्रा को बनाया गया है जो खुद सीईओ के अधीनस्थ कर्मचारी है और उनकी मर्जी के बिना एक कदम भी आगे नही जा सकता है। 

ज्ञात ही की जांच दल गठित होते ही  स्थानीय लोगो में सवाल तो उठने लगे थे कि सीईओ के अधीनस्थ का कर्मचारी सही जांच कैसे कर सकेगा और वैसा हुआ भी क्योंकि जांच दल गठित होने के बाद  से लेकर अभी तक उन्हें जांच पूरी कर  लेनी चाहिए थी किन्तु जांच दल् द्वारा जांच करने की बजाय भ्रष्ट सचिव को शौचालयों को सुधारने का समय दे दिया है मतलब

*पहले सुधार फिर जांच होगी

 

सुधार कार्य संभव नहीं, कराना होगा नवनिर्माण

   वही अगर स्थानीय  जानकारों की माने तो सचिव द्वारा शौचालयों का निर्माण बहुत ही घटिया स्तर का कराया गया है ईंटों की जुड़ाई के लिए गड्ढे नहीं के बराबर की गए हैं देखने से ऐसा लगता है मानो जमीन के ऊपर ही जुड़ाई कर दी गयी है। ऊंचाई और चौड़ाई स्टीमेट के अनुरूप नहीं हैं,गैस पाईप कहीं नहीं है। शौचालयों के घटिया निर्माण के कारण ही पहली बारिश में ही लगभग शौचालय गिर गए थे जिनका बाद में मरम्मत कराया गया किन्तु अभी कई शौचालय गिरे हुए हुए हैं किसी का छप्पर  उड़ा हुआ है तो किसी के दरवाजे ही नहीं है। घटिया निर्माण के कारण ही सभी शौचालय बेकार पड़े हैं, दरवाजे इग्ने घटिया हैं कि उनका वजन दो से तीन किलो है। मामले को दबाने घटिया शौचालयों का सुधार कार्य सचिव के साथ पूरा प्रशासनिक अमला कराने में जुट गया है जबकि इनका सुधार संभव ही नहीं क्योंकि इनका निर्माण इतना घटिया है और प्रयोग किया गया सामान भी घटिया है।

दीवाल गायब कर बचाया लाखों,गड्ढे भी ग्रामीणों ने खोदे

धुमाडांड में बहुत सारे शौचालयों को एक दूसरे के साथ सटा कर बना दिया गया है,दो शौचालय एक साथ हैं तो दोनों के लिए बीच में एक ही दीवाल है,तीन शौचालय एक साथ हैं यहां तीन की बजाय बीच में दो ही दीवाल है। इस तरह सचिव द्वारा शौचालयों की एक एक दीवार गायब कर लाखों बचा लिए हैं क्योंकि प्राकलन के अनुसार एक दीवार डेढ़ हजार करीब की है सबसे बड़ी बात है है कि भुगतान अधिकारियों ने पंचायत को कमीशन के चक्कर में पूर्ण भुगतान कर दिया है,एक एक दीवाल गायब कर ही सचिव ने शौचालय निर्माण में लाखों बचा लिए हैं। इसी तरह सचिव ने पैसा बचाने शौचालय के लिए गड्ढे का काम हितग्राहीयों से ही कराया है और गड्ढे की मजदूरी बचा ली,जब पंचायत ने स्वयं एजेंसी बनकर इनका निर्माण कराया है तो गड्ढे भी उन्हें स्वयं मजदूरी देकर कराना था किन्तु उन्होंने ग्रामीणों का शोषण भी किया और पैसे भी बचा लिए।

सचिव पर मेहरबान अधिकारी,नियम के विपरीत किया भुगतान

एक शौचालय के लिए बारह हजार रुपये शासन से स्वीकृत हुए हैं जिसमें बेहतर शौचालय का निर्माण कराया जा सकता है किन्तु पैसों के बन्दर बाँट के कारण यहां एक शौचालय में तीन से चार हजार रुपय ही खर्च किया गया है।  बताया जा रहा है एक शौचालय में सात से आठ हजार रूपए का बन्दर बाँट पंचायत से लेकर जिला तक हुआ है जिसमें सभी का हिस्सा है चाहे वह छोटा कर्मचारी हो या बड़ा अधिकारी। मिली जानकारी के अनुसार जनपद में किसी भी पंचायत को इतना पैसा नहीं दिया गया है जितना धुमाडांड को । अड़तीस लाख रूपए शौचालय मद से उन्हें दिया जा चुका है,जनपद के अन्य मदों से नियम के खिलाफ भुगतान किया गया  तथा सचिव द्वारा पंचायत के विकास के लिये आने वाले अन्य मदों जैसे चौदहवां वित्त का पैसा भी शौचालय में लगा दिया है जो नियम के विरुद्ध है इन सब परस्थितियों से यह साफ दिखता है कि अधिकारी सचिव पर कितना मेहरबान है।

इन साहब के अंदाज़ भी है निराले 

इस संबंध में  मुख्य कार्यपालन अधिकारी सूरजपुर का पक्ष ज्ञात करने हेतु उनके मोबाइल नंबर 9977407988 पर सम्पर्क किया गया तो हमेशा की तरह साहब   अपने निजी कार्यो में व्यस्त नज़र आये, और कार्यलय समय में आफिस में   रहने वाला ये अधिकारी किसी भी सवाल का  जवाब देने से पहले नंबर ही बंद कर लेते है वही सूत्रों की मने तो ये अधिकारी थोडा आशिक मिजाज टाइप है और अक्सर अपने फ़ोन में फिल्म देखते है और जब साहब  फिल्म देख रहे होते है तो उन्हें किसी भी प्रकार का अवरोध पसंद नहीं ,फिल्म के कैरेक्टर के हिसाब से साहब  पता नहीं कब तक अपने आप को ढालते रहेंगे .जनप्रतिनिधि चाहे कितनी भी जरुरी से  जरुरी समस्याओ पर चर्चा के लिए फ़ोन करे साहब  कहा अपनी आदत से बाज आने वाले .  बैरेहाल  उनके द्वारा फोन रिसीव नही करने के कारण उनका पक्ष ज्ञात नही हो सका।

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