पुल-पुलिया से खूले है विकास के नये दरवाजे

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मात्र ढ़ाई महिनो मे दूरस्थ चूरेंगांव मे बना बारदा नदी पर पुल

दूरस्थ क्षेत्र को सूगम यातायात की सुविधा देकर लिखी जा रही है विकास की नई इबारत


कोण्डागांव-हमन मनला 12 महिना आय जाय बर अब्बड़ परेशानी होते राहाय, पूल बनाये बर लिखा पढ़ी कर कर के हमन थक गे रहन, कोनो हमर सुनवाई नही हुईस, ई लकड़ी के पूलिया मे आय जाय के हमर जिदंगी कट गे’’ यह व्यथा ग्राम चुरेगांव निवासिनी 65 वर्षीय वृद्धा सुकमी बाई की ही नही चुरेगांव सहित पूरे 24 गांव जैसे अब सवालवाही, अर्रा, कावागांव, कोटगोड़ा, हलईनार, पराली, जुगानार, तमोरा, कलेपाल, बुढाकुरसई, करमरी, कोंगेरा, मातलाना, तेलंगा, मुल्ले, कुचाड़ी, कुदुरपाल, पुचाड़ी, भण्डारपाल, पीपरा, गरदा के ग्रामीणो की पीड़ा थी परन्तु इस असुविधा का सुखद अन्त दिनांक 09 जूलाई को हुआ जब जिला कलेक्टर नीलकण्ठ टीकाम की अगुवाई मे जिले के समस्त अधिकारी विधायक अन्तागढ़ भोजराज नाग, पूर्व विधायक सेवक राम नेताम एंव अन्य जनप्रतिनिधियो ने ग्राम ईरागांव और चुरेगांव पर बने बारदा नदी पर बने नये पूल को लोर्कापण किया। इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनने के लिए चुरेगांव और ईरागांव के भारी संख्या मे ग्रामीण उपस्थित थें।ज्ञातव्य है कि पूल निर्माण का महत्व इस दृृष्टि से भी है मात्र ढ़ाई महिने पहले ही लोक सभा सांसद विक्रम उसेण्डी एंव विधायक भोजराज नाग एंव जिला कलेक्टर नीलकण्ठ टीकाम द्वारा लगभग 1 करोड़ रू0 लागत पूल निर्माण की आधारशिला रखी गई थी।शायद इन ग्रामो के ग्रामीणो सहित आस पास के दर्जनो ग्राम पंचायतो को भी उम्मीद नही थी की इतने कम समय मे पूल बनकर तैयार होगा और उन्हे सीधे मुख्यालय तक सीधे आवागमन की सुविधा प्राप्त होगी वजह था सालो से पूल पूलिया की मांग करते हुए एक प्रकार से ग्रामीण थक हार चुके थे और लकड़ी का संर्किण पूल बनाकर किसी तरह अपने लिए आवाजाही का विकल्प ढूंढ़ा था। परंतु जिले मे पदस्थ उर्जावान कलेक्टर ने यहां की समस्याओ को समझते हुए अपने पदस्थापना के बाद सबसे पहले इस पंहुच विहीन क्षेत्र को सघन दौरा करते हुए आवागमन की मूल समस्या के समाधान पर फोकस किया और इसके लिए तत्काल प्रोजेक्ट तैयार करने, क्षेत्र मे हो रहे कार्यो के समीक्षा, सभी स्तरो पर समस्या का दूर करने की जिम्मेदारी, समन्वय स्थापित करना, निर्माण कार्यो की सतत् निगरानी जैसे कार्य युद्ध स्तर पर एक साथ प्रारभं हुए परिणाम स्वरूप 45 दिनो मे पूल का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया। मौके पर अपार हर्षोल्लास प्रकट करते हुए भारी संख्या मे उपस्थित ग्रामीणो ने ढोल नगाडे़, नृत्य एंव स्थानीय देवी देवताओ की पूजा अर्चना करते हुए प्रशासन का आभार व्यक्त किया। इस दौरान उपाध्यक्ष बस्तर विकास प्राधिकरण भोजराज नाग, अध्यक्ष जिला पंचायत देवचंद मातलाम, जिला पंचायत सदस्य लददू राम उईके, पूर्व विधायक सेवक राम नेताम, बस्तर संभाग कमिश्नर दिलीप वासनीकर, एसडीएम धनंजय नेताम, एंव अभियंता अरूण शर्मा सहायक आयुक्त आदिवासी विकास जी0आर0सोरी, एंव बड़ी संख्या मे क्षेत्रवासी उपस्थित थे। लोर्कापण के ऐतिहासिक क्षण मे विधायक भोजराज नाग ने लोगो को बधाई देते हुए कहा कि क्षेत्र के संर्वागीण विकास मे यह पूल अहम भूमिका निभायेगा और शासन द्वारा प्रदत्त् समस्त सुविधायें एंव योजनाये आसानी से ग्रामीणो तक पंहुचेगी। राज्य शासन की भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होने बताया कि सरकार द्वारा बस्तर जिले के अंदरूनी क्षेत्रो मे सड़क पूल पूलिया का निर्माण कराया जा रहा है ताकि समाज के अन्तिम छोर तक के व्यक्ति तक शासन के समस्त योजनाओ का लाभ पंहुचे। संभागायुक्त दिलीप वासनीकर ने इस मौके पर कहा कि शासन की मंशा है कि जिले के दूरस्थ क्षेत्रो मे आवाजाही की व्यवस्था निर्बाध रूप से हो और जिस तरह प्रशासन द्वारा पूर्ण गुणवत्ता के साथ कम समय मे पूल का निर्माण किया गया है इसके लिए जिला प्रशासन सहित सभी अधिकारीगण एंव जन प्रतिनिधी साधुवाद के पात्र है। उन्होने आशा व्यक्त किया कि सभी के सहयोग से यह क्षेत्र शिक्षा कृषि, स्वास्थ्य, एंव पोषण के क्षेत्र मे भी अग्रणी बनेगा। पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने ग्रामीणो को विकास की मुख्य धारा मे जुड़ने का आहवान करते हुए कहा कि बाहरी तत्वो के हस्तक्षेप से यह क्षेत्र वर्षो से अलग थलग रहा है और क्षेत्र के पिछड़ेपन के लिए वही लोग जिम्मेदार है। अब समय आ गया है कि स्थानीय ग्रामीण ऐसे तत्वो को मूह-तोड़ जवाब देते हुए शासन की योजनाओ मे सहभागी बने। पुलिस और सुरक्षा बल उनका सहयोग करने के लिए सदैव तत्पर रहेगां। जिला कलेक्टर नीलकण्ठ टीकाम ने इस मौके पर कहा कि प्राचीन दण्डाकारण्य का यह क्षेत्र 3 हजार वर्षो से उतरापथ से दक्षिणापथ जाने का प्राचीनतः मार्ग रहा हैैैै। जिले के कई पूरातात्विक धरोहर इसके साक्षी है परंतु कालान्तर मे बाहरी तत्वो के प्रभाव से यह मार्ग विलोप हो गया था। आज आवश्यकता है इसके पूराने गौरव को फिर से स्थापित किया जाय और इसके लिए क्षेत्र के सभी जनमानस के सहयोग की आवश्यकता है। पूल निर्माण की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए उन्होने कहा कि जिले मे 125 किमी बहने वाली बारदा नदी पर पूल बनाना अत्यंत जरूरी था क्योंकि इस नदी पर एक मात्र पूल छेरीबेड़ा ग्राम निर्मित है। ऐसे मे वर्षा के दिनो मे नदी के उसपार के सभी ग्राम कट जाते थे और वर्ष के 6 से 7 महिने मे आवागमन मे भारी दिक्कत होती थी और स्वास्थ्य शिक्षा और कृषि जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित इस क्षेत्र मे पूल निर्माण जरूरी हो गया था और इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा तत्काल शासन को प्रस्ताव भेज कर अवगत कराया गया। इस प्रकार इसी नदी पर बडे़ओड़ागांव, उरन्दाबेड़ा एंव बोकड़ाबेड़ा मे भी पूल निर्माण का कार्य भी लगभग पूर्ण कर लिया गया है। जिला प्रशासन द्वारा ग्रामीणो को विकास की मुख्य धारा मे लाने का जो अभियान प्रारंभ किया गया हैं यह निरंतर जारी रहेगा। उन्होने ग्रामीण से आग्रह किया कि वे बाहरी तत्वो के बहकावे मे ना आंये और भावी पीढ़ी के उज्जवल भविष्य के लिए विकास मे सहभागी बने। लोर्कापण कार्यक्रम के समापन पर पूल निर्माण मे सहयोग देने वाले ग्रामीणो को प्रोत्साहन स्वरूप उपहार दिये गये साथ ही साईकिल एंव पौध वितरण भी किया गया।

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