पूर्व-पश्चिम रेल कॉरिडोर निर्माण, संचालन और संधारण के लिए कंसेशन समझौते पर हस्ताक्षर

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गेवरा-रोड-पेण्ड्रारोड तक 135 किलोमीटर लम्बी दोहरी रेल लाइन बिछायी जाएगी रेल कॉरिडोर का निर्माण लगभग 4970 करोड़ रूपए की लागत से मार्च 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य

रायपुर –मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की उपस्थिति में आज यहां मंत्रालय महानदी भवन में दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे और छत्तीसगढ़ पूर्व-पश्चिम रेलवे लिमिटेड के बीच पूर्व-पश्चिम रेल कॉरिडोर के निर्माण, संचालन और संधारण के लिए कन्सेंशन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता 30 वर्षाें के लिए किया गया है। इस महत्वपूर्ण समझौते से गेवरारोड-पेण्ड्रारोड तक 135.30 किलोमीटर ईस्ट-वेस्ट रेल कॉरिडोर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है। लगभग चार हजार 970 करोड़ 11 लाख रूपए की लागत से ईस्ट-वेस्ट रेल कॉरिडोर में दोहरी रेल लाइन बिछायी जाएगी। यह परियोजना मार्च 2022 तक पूरी होने की संभावना है। कंसेशन एग्रीमेंट पर दक्षिण-पूर्व मध्य रेल के मुख्य यातायात एवं योजना प्रबंधक श्री जी.एम. नायडू और पूर्व-पश्चिम रेलवे लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री जे.एन. झा ने हस्ताक्षर किए।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इस अवसर पर अधिकारियों को शुभकामना देते हुए कहा कि यह रेल परियोजना छत्तीसगढ़, रेलवे और कोल इंडिया के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है। प्रधानमंत्री स्वयं इस परियोजना की प्रगति की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने इस परियेाजना की प्रगति पर प्रसन्नता प्रकट की।
वन मंत्री श्री महेश गागड़ा, मुख्य सचिव श्री अजय सिंह, वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के सचिव श्री सुबोध कुमार सिंह, वित्त विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह, छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम के प्रबंध संचालक श्री सुनील मिश्रा, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक श्री सुनील सिंह सोइन सहित रेलवे और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।
ईस्ट-वेस्ट रेलवे लिमिटेड छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बनाया गया संयुक्त उपक्रम एसपीव्ही (स्पेशल परपश व्हीकल) कंपनी है, जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम, एसईसीएल और इरकान इंटर नेशनल लिमिटेड हिस्सेदार है। इस कारिडोर की मदद से कोरबा में कुसमंुडा और गेवरा में प्रारंभ होने वाली नई कोयला खदानों से निकलने वाले कोयले का परिवहन सुगमतापूर्वक हो सकेगा। यात्री परिवहन भी इस रेलमार्ग द्वारा होगा। एक अनुमान के मुताबिक इन दोनों खदानों के प्रारंभ होने से कोरबा में कोयले का उत्पादन एक सौ मिलियन टन से बढ़कर 160 मिलियन टन हो जाएगा। इस कारिडोर के निर्माण से इस क्षेत्र में रेल कनेक्टिविटी भी बेहतर होगी। इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का काम पूरा हो गया है। मुख्यमंत्री के समक्ष इस अवसर पर ईस्ट रेल कॉरिडोर के चल रहे निर्माण कार्य पर प्रस्तुतिकरण दिया गया। इस कॉरिडोर से खरसिया से कोरीछापर तक 45 किलोमीटर रेल लाइन का काम आगामी मार्च 2019 तक पूर्ण होने की संभावना है।

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