बजट : किसानों और आम आदमी को राहत

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नई दिल्ली: वर्ष 2019 में होने वाले आम चुनाव से पहले अपने अंतिम बजट में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने किसानों और गरीबों पर मेहरबानी बरतते हुए जता दिया कि सरकार चुनाव के मोड में आ गई है. 2019 के चुनाव से पहले त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड, कर्नाटक, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव हैं.

मोदी सरकार का अंतिम बजट मुख्य रूप से महिलाओं, किसानों, युवाओं, गरीबों पर केंद्रित रहा. कॉर्पोरेट जगत को भी जेटली ने लुभाने का प्रयास किया है. दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) कर वर्तमान के शून्य फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया है तथा 99 फीसदी कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर को घटाकर 25 फीसदी कर दिया है. हालांकि, उन्होंने आयकर दाताओं के लिए कर संरचना में कोई बदलाव नहीं किया है.

वित्तमंत्री का जोर ग्रामीण भारत और कृषि पर था, लेकिन अगले साल के आम चुनाव को देखते हुए उन्होंने कई योजनाओं और प्रोत्साहनों की घोषणा की है. खरीफ फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य फसल की लागत का डेढ़ गुना कर दिया है. वित्त वर्ष 2018-19 के लिए संस्थागत कृषि ऋण के लिए 11 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जबकि पहले यह 8.5 लाख करोड़ रुपये था. उनके बजट भाषण में शिक्षा और स्वास्थ सेवाओं पर भी ध्यान दिया गया है.

किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास
देश भर में किसान आंदोलन कर रहे हैं. बजट में किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाने के वादे से किसानों की आय बढ़ेगी. कृषि बाजार में व्यापक निवेश की भी बात कही गई है. सिंचाई परियोजनाओं और कृषि से जुड़ी परियोजनाओं के लिए और भी कई योजनाओं की घोषणा की गई है. इसमें 42 मेगा फूड पार्क बनाने के अलावा पट्टाधारी किसानों को भी लोन उपलब्ध कराने के लिए तंत्र बनाने, ऑपरेशन ग्रीन के लिए 500 करोड़ देने की घोषणा है. बजट में 22 हजार हाटों को कृषि बाजार में तब्दील करने की भी घोषणा है.

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