गुरूपुर्णिमां पर पूज्य गुरू का पूजन अर्चन कर शिष्यों नें शुभाषिर्वाद ग्रहण किया

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बुढार। गुरूपूर्णिमा का पावन पर्व परम्परानुरूप श्रद्धा एवं आस्था पूर्वक नगर एवं आस-पास मनाया गया।
श्रीरामजानकी मन्दिर बुढार के साकेतवासी महन्त श्री नारायण दास शास्त्री जी के परम शिष्यो नें गुरूपूर्णिमा महोत्सव पर श्रीराम जानकी मंदिर पहुंचकर पूज्य स्वामीं जी महाराज के तैलचित्र को साक्षी मानकर श्रद्धापूर्वक पूजन अर्चन कर शुभाशिर्वाद प्राप्त किया।
वर्तमान में उपजे कोरोना संक्रमण को दृष्टिगत रखते हुये श्रीरामजानकी मन्दिर बुढार के महन्त श्रीरामबालक दास जी महाराज के शिष्यों नें भी श्रद्धा एवं आस्था पूर्वक वैदिक मन्त्रोच्चारण के मध्य विधि-विधान पूर्वक पूजन-अर्चन किये।
गुरूपूर्णिमा कें पावन अवसर पर श्रद्धालुजनों नें गुरूदीक्षा भी ग्रहण की।
पूज्य महन्तश्री ने शिष्यों एवं श्रद्धालुओं को गुरूप्रसाद प्रदान किये।
गुरूपूर्णिमा के पुण्य अवसर पर श्रद्धालुजन मंदिर में जाकर कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुये मंदिर मे विराजित भगवान के दर्शन कर अपना जीवन सौभाग्यमय बनाया।
गुरु-शिष्य की अनादिकाल से चली आ रही परम्परा गुरुपूर्णिमा के अवसर पर देखने को मिली, किंतु कोरोनावायरस संक्रमण के कारण श्रद्धा व आस्था का उत्साह फीका देखा गया।

मानवकल्याण आश्रम (गीताधाम) कटकोना में भी मना गुरु पूर्णिमा पर्व :-

नगर से लगे समीपी ग्राम-कटकोना (बुढार) स्थित मानवकल्याण आश्रम गीताधाम कटकोना के संस्थापक ब्रह्मलीन स्वामी श्री सच्चिदानंद सरस्वती जी के शिष्यों ने स्वामीजी की प्रतिमा को साक्षी मानकर पूरे श्रद्धा के साथ पूजन अर्चन कर शुभाशीर्वाद प्राप्त किया और मन्दिर में विराजे राधा-कृष्ण व शिव जी के दर्शन किये।
गुरुपूर्णिमा के अवसर पर पुजारी – रामदीन शर्मा, आश्रम के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र द्विवेदी, शारदा प्रसाद द्विवेदी, गीतनुरागी – श्रीकांत शर्मा तथा स्वामी जी के शिष्य ने अध्यात्मिक भजनों की प्रस्तुति करवाकर वातावरण श्रद्धामय बना दिया और भजनों का श्रद्धालुजन लाभ अर्जित किये।
गीतानुरागी के शिष्यों ने भी की पूजन अर्चन – ग्राम पिपरतरा में ब्रम्हलीन स्वामी श्री सच्चिदानंद सरस्वती जी के परम शिष्य गीतानुरागी – श्रीकांत शर्मा के शिष्यों ने गुरु शिष्य का अनुपमेय उदाहरण प्रस्तुत करते हुये गुरूपूर्णिमा पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गीतानुरागी जी का पूजन अर्चन किया वहीं प्रेरणदायी आध्यात्मिक भजनों का श्रद्धालुओं ने श्रद्धाभाव से लाभ अर्जित किया।
इस पुण्य अवसर पर गीतानुरागी ने शिष्यों व श्रद्धालुओं को शुभाशीर्वाद देते हुये प्रसाद ग्रहण कराया।

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