खाद्य तेल के मूल्य में कमी लाने के लिए राज्यों और कारोबारियों को हर संभव कदम उठाने चाहिए

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Photo Credit : croll.com

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने आज सभी हितधारकों के साथ खाद्य तेल की कीमतों में स्थिरता लाने के मुद्दे के समाधान के तरीकों और साधनों पर चर्चा के लिए बैठक की। बैठक का उद्देश्य उचित मूल्य पर खाद्य तेलों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए समन्वित प्रयास करना था।

खाद्य तेल की असामान्य मूल्य वृद्धि के मुद्दे को हल करने के तरीकों और साधनों पर चर्चा करने के लिए आयोजित अपनी तरह की पहली बैठक में सचिव, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग, भारत सरकार, सचिव कृषि मंत्रालय, भारत सरकार और सचिव, उपभोक्ता कार्य विभाग, भारत सरकार, खाद्य तिलहन के उत्पादक, मिल मालिक, थोक व्यापारी, खाद्य तेल उद्योग क्षेत्र के विभिन्न संघ, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक का आयोजन खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग, भारत सरकार द्वारा किया गया था।

इस अवसर पर, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव ने कहा कि मूल्य वृद्धि में योगदान देने वाले मुद्दों को समझना और सभी हितधारकों के साथ इस पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है ताकि खाद्य तेल की कीमतों के मुद्दे को हल करने के लिए उपयुक्त रणनीति तैयार की जा सके।

यह ध्यान देने योग्य है कि भारत में तिलहन का उत्पादन और घरेलू उपलब्धता, खाद्य तेल की घरेलू मांग की आवश्यकता से काफी कम है। हर साल बड़ी मात्रा में खाद्य तेल का आयात किया जाता है। खाद्य तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बदलाव से खाद्य तेल की घरेलू भारतीय कीमत पर असर पड़ता है।

बैठक आयोजित करने की आवश्यकता इसलिए भी महसूस की गई क्योंकि केंद्र सरकार पिछले कुछ महीनों के दौरान खाद्य तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि की तुलना में भारत में खाद्य तेल की कीमतों में आनुपातिक वृद्धि से अधिक चिंतित है।

खाद्य और सार्वजनिक वितरण के सचिव ने कहा कि “आत्मनिर्भर भारत” अभियान के लिए देश को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता है। उन्होने कहा, “आयात पर लगभग 60 प्रतिशत की निर्भरता भारत में खाद्य तेल उद्योग के विकास के लिए उपयुक्त नहीं है। कीमतों को स्थिर बनाए रखने के लिए अल्पकालिक उपायों के बीच संतुलन बनाने और खाद्य तेल उत्पादन में भारत आत्मनिर्भर को बनाए रखने के लिए जांच और दीर्घकालिक उपाय करने की जरूरत है।”

बैठक में यह महसूस किया गया कि खाद्य तेल उत्पादन के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के उपायों और कीमतों में वृद्धि को रोकने के उपायों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है।

सचिव ने कहा कि खाद्य तेल के व्यापारियों की तरफ से सभी राज्यों और हितधारकों को कीमतों में कमी लाने के लिए हर संभव कदम उठाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि बैठक में प्रस्तुत सुझावों से खाद्य तेल की कीमतों में स्थिरता और घरेलू तिलहन क्षेत्र के विकास के मुद्दे को हल करने के लिए पूर्ण समाधान पर पहुंचने में मदद मिलेगी।

उन्होंने प्रतिभागियों से सुझाव और अन्य इनपुट मेल करने के लिए कहा क्योंकि केंद्र का प्रयास उचित मूल्य पर खाद्य तेलों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।

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