वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने वर्चुअल माध्यम से भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग का 12वां स्थापना दिवस मनाया

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नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज वर्चुअल माध्यम से भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के 12वें वार्षिक दिवस को मनाया। सीसीआई की स्थापना प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के तहत 20 मई, 2009 को हुई थी। जब प्रतिस्पर्धा-विरोधी आचरण से संबंधित मूल प्रावधान लागू हुए थे।

मुख्य अतिथि के रूप में वित्त मंत्री श्रीमती सीतारमण ने आमंत्रित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि तेजी से बदलती भारतीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था में बाजार के अनुकूल और दूरंदेशी दृष्टिकोण रखते हुए, प्रतिस्पर्धा पर नजर रखने की अनिवार्यता पर प्रकाश डाला। श्रीमती सीतारमण ने विश्वास आधारित प्रणाली स्थापित करने पर सीसीआई की पहल को स्वीकार किया और उसके लिए सराहना की। उन्होंने कहा कि ऐसा करना भारत जैसी अर्थव्यवस्थाओं में यह महत्वपूर्ण था, क्योंकि वह अभी भी एक मुक्त बाजार वाली अर्थव्यवस्था में परिवर्तित हो रही हैं।

महामारी के बाद, उद्योगों के रिवाइवल की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए, वित्त मंत्री ने सीसीआई को उद्योग जगत के साथ ज्यादा सक्रिय रूप से जुड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया। ताकि उद्योग जगत के वैध दावों को धैर्यपूर्वक सुना जाए और यह भी सुनिश्चित किया जाए कि जाने या अनजाने में, बाजार प्रक्रियाओं की अनदेखी नहीं होने पाए।

अर्थव्यवस्था और नए जमाने के भारत के व्यापक स्वरूप को ध्यान में रखते हुए, वित्त मंत्री ने आयोग से अर्थव्यवस्था को फलने-फूलने और निष्पक्ष बाजार के तरीकों को बढ़ावा के लिए जरूरी पैनापन और विस्तार के मौके वाला, दूरदर्शी नजरिया विकसित करने का आग्रह किया।

आयोजन के उद्घाटन सत्र में न्यायपालिका, नौकरशाही, नियामक प्राधिकरणों, चैंबर्स ऑफ कॉमर्स, उद्योग जगत के नेताओं, शिक्षाविदों और विशेषज्ञों से आमंत्रित लोगों को संबोधित करते हुए, वित्त मंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे सीसीआई एक अधिक मजबूत भूमिका निभाने वाली संस्था के रूप में आगे बढ़ता है। उसे कानूनी रुप से और कार्यप्रणाली के आधार पर भी मुक्त बाजार को फलने-फूलने में मदद करने वाला और बाजार के अनुकूल नियामक बनने के रुप में खुद को स्थापित करना होगा।

इस अवसर पर श्रीमती सीतारमण ने ‘सीसीआई जर्नल ऑन कॉम्पिटिशन लॉ एंड पॉलिसी’ और सीसीआई की कॉम्पिटिशन एडवोकेसी बुकलेट्स का बंगाली, मराठी और तमिल भाषाओं में अनुवाद किए गए संस्करण को जारी किया।

माननीय अतिथि के रूप में श्रोताओं को संबोधित करते हुए, वित्त और कॉरपोरेट कार्य राज्य मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने आयोग से बदलते बाजार के आधार पर गतिशील बनने, आगे की ओर देखने वाले नियामक के रुप में स्थापित होने का आग्रह किया। साथ ही आयोग द्वारा अधिसूचना के समय कंपनियों के लिए विलय के दौरान गैर-प्रतिस्पर्धी व्यवस्थाओं के संशोधनों के बारे में जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता को समाप्त करने के कदम की उन्होंने सराहना की।

श्री ठाकुर ने यह भी कहा कि बाजार अध्ययन करने में आयोग के प्रयासों से सीसीआई के नियामकीय आदेशों के प्रभावी रुप से लागू होने की क्षमता निर्माण में भी काफी मदद मिलेगी। उन्होंने इस उम्मीद के साथ अपने संबोधन का समापन किया कि आगे चलकर, सीसीआई बाजार की खामियों को खोजने में कही ज्यादा सक्रिय होकर अपना समय और संसाधन खर्च करेगा।

कार्यक्रम के दौरान विशेष भाषण देते हुए कारपोरेट कार्य मंत्रालय के सचिव श्री राजेश वर्मा ने कहा कि सीसीआई ने बाजारों में प्रतिस्पर्धा की संस्कृति बनाने के लिए उल्लेखनीय प्रयास किए हैं और उन्होंने सार्वजनिक खरीद के क्षेत्र में सीसीआई के समर्थन और उसके लिए की गई पहल की भी सराहना की । श्री वर्मा ने प्रतिस्पर्धात्मक नीति के माहौल को सुनिश्चित करने के लिए निरंतर और प्रभावी प्रतिस्पर्धा समर्थन के महत्व पर जोर दिया और कहा कि यह किसी भी प्रतिस्पर्धा एजेंसी के कार्य का अभिन्न अंग है। श्री वर्मा ने संबोधन को समाप्त करते हुए आयोग की इस बात की खास तौर पर प्रशंसा की उसने केवल औपचारिक और तय परंपराओं के आधार पर फैसले देने पर निर्भर रहने की जगह, विशेषज्ञ आधारित और समस्या के समाधान वाले दृष्टिकोण की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास किया है।

उद्घाटन सत्र में अपने स्वागत भाषण में सीसीआई अध्यक्ष श्री अशोक कुमार गुप्ता ने बाजारों को नियमित करने में सीसीआई की भूमिका और दृष्टिकोण के बारे में बताया। श्री गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया कि आयोग के कार्यों और हस्तक्षेपों का केंद्र बिंदु बाजार में सुधार लाना रहा है ताकि कारोबारी योग्यता के आधार पर प्रतिस्पर्धा कर सकें और आयोग के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह सुनिश्चित करना है कि उपभोक्ताओं को बाजार का बेहतर लाभ मिल सके। श्री गुप्ता ने कोविड महामारी के दौरान आयोग द्वारा उठाए गए कदमों बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि आयोग ने फिजिकल फाइलिंग की जगह ई-फाइलिंग को अपना लिया है। साथ ही वर्चुअल सुनवाई भी कराई है और लगातार एक व्यावसायिक सलाह जारी की है। जिससे कि उत्पादों की निरंतर आपूर्ति और उचित वितरण सुनिश्चित हो सके। इसके लिए आयोग ने जरूरी गतिविधियों के समन्वय की आवश्यकता को भी स्वीकारा है। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि ऑटोमेटिक अप्रवूल के लिए 2019 में शुरू की गई ग्रीन चैनल अधिसूचना प्रणाली को पिछले एक साल में काफी समर्थन मिला है और इसके तहत अब तक 30 मामलों को मंजूरी मिली है।

उद्घाटन सत्र का समापन सीसीआई के सचिव श्री एस. घोष दस्तीदार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

वार्षिक दिवस के अवसर पर प्रतिस्पर्धा कानून पर एक आधे दिन की कार्यशाला का भी आयोजन किया गया। कार्यशाला में दो पूर्ण सत्र थे। पहला सत्र ‘एंटी-ट्रस्ट एनफोर्समेंट – एक्ट की धारा 3 और 4 और इसके अब तक के सफर पर था। दूसरे सत्र का शीर्षक था ‘भारत में विलय व्यवस्था – पिछले दस वर्षों में हमारी यात्रा और आगे का रास्ता’। कार्यशाला में पूर्ण सत्र के दौरान समकालीन प्रतिस्पर्धा कानून के मुद्दों पर पैनलिस्टों के बीच बेहतरीन चर्चा और संवाद देखा गया। पैनलिस्ट और मॉडरेटर कानून, उद्योग और बिजनेस मीडिया का प्रतिनिधित्व करते थे।

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